सूचना आयोग ने पुराने मामले में दिया जनसूचना अधिकारी से अर्थदण्ड़ की वसूली करने का आदेश
यूं तो सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकने के मुकम्मल इंतजाम किये गये हैं और योगी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेंस की नीति पर काम कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके क्रियान्वयन को लेकर अभी भी लाल फीताशाही का बोलबाला चल रहा है। इसका ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के रजिस्ट्रार का पत्र जीता-जागता उदाहरण है, जिसमें वर्ष 2016 में तत्कालीन सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान द्वारा आरटीआई के नियमों का पालन नहीं करने पर जनपद में कार्यरत एक जनसूचना अधिकारी पर अर्थदण्ड़ लगाया था, लेकिन उक्त अर्थदण्ड़ की आरोपी से अभी तक कटौती नहीं होने पर पुनः सूचना आयोग द्वारा संज्ञान लेते हुए उक्त के सम्बन्ध में जिलाधिकारी को पत्र लिखा है।
मुजफ्फरनगर। यूं तो सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकने के मुकम्मल इंतजाम किये गये हैं और योगी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेंस की नीति पर काम कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके क्रियान्वयन को लेकर अभी भी लाल फीताशाही का बोलबाला चल रहा है। इसका ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के रजिस्ट्रार का पत्र जीता-जागता उदाहरण है, जिसमें वर्ष 2016 में तत्कालीन सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान द्वारा आरटीआई के नियमों का पालन नहीं करने पर जनपद में कार्यरत एक जनसूचना अधिकारी पर अर्थदण्ड़ लगाया था, लेकिन उक्त अर्थदण्ड़ की आरोपी से अभी तक कटौती नहीं होने पर पुनः सूचना आयोग द्वारा संज्ञान लेते हुए उक्त के सम्बन्ध में जिलाधिकारी को पत्र लिखा है।
ज्ञात हो कि जनपद के जानसठ कस्बा स्थित मंगलबाजार निवासी दीपक कुमार वर्मा ने विद्युत विभाग के जनसूचना अधिकार से सूचना का अधिकारी के तहत सूचना मांगी थी, लेकिन नियत समय तक सूचना प्राप्त नहीं होने के बाद उक्त मामले की अपील सूचना आयोग में की गयी थी, जिसपर सुनवाई करते हुए तत्कालीन सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने विद्युत विभाग के जनसूचना अधिकारी पर 10000 का जुर्माना लगा दिया था, लेकिन आदेश के बावजूद विद्युत विभाग के तत्कालीन जनसूचना अधिकारी से अर्थदण्ड़ की वसूली नहीं की गयी थी।
याची की अपील पर उक्त मामले में संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के रजिस्ट्रार ने जिला अधिकारी को पत्र लिख कर प्रकरण से अवगत कराते हुए उक्त अर्थदण्ड़ वसूलकर 0070-अन्य प्र्रशासनिक सेवाएं, 60-अन्य सेवाएं, 800-अन्य प्राप्तियां, 15-सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अन्तर्गत अधिरोपित अर्थदण्ड़ लेखा शीर्ष में जमा कराने के निर्देश दिये हैं। सूचना आयोग के रजिस्ट्रार ने अपने पत्र दिनांक 08.08.2019 में यह भी कहा है कि अगर उक्त मामले में हाईकोर्ट अथवा किसी सक्षम न्यायालय द्वारा कोई स्थगन आदेश हो तो उसका अनुपालन करते हुए पूरे प्रकरण सूचना आयोग को तीन माह में अवगत करा दें।