सीएम का आदेश-पुलिस फ्री हैंड, भाजपाईयों का हुक्म पुलिस हैंड्स डाउन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शपथ ग्रहण करते ही फरमान जारी किया कि अब अपराधी जेल में होंगे या फिर यमलोक पहुंचा दिये जायेंगे और हमने पुलिस को फ्री हैंड कर दिया है, पुलिस पर नेताओं का कोई दबाव नहीं रहेगा।

Update: 2018-08-14 15:24 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शपथ ग्रहण करते ही फरमान जारी किया कि अब अपराधी जेल में होंगे या फिर यमलोक पहुंचा दिये जायेंगे और हमने पुलिस को फ्री हैंड कर दिया है, पुलिस पर नेताओं का कोई दबाव नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री के आदेश पर पुलिस फ्री हैंड हुई तो बदमाश यूपी से फुर्र होने लगे। नतीजा आया, कि अपराधी कम हुए तो अपराध भी घट गये। मगर लगता है अब मुख्यमंत्री के आदेश की खुद भाजपाई ही धज्जियां उड़ाने लगे हैं। मुख्यमंत्री कहते हैं पुलिस फ्री हैंड, मगर मुजफ्फरनगर में भाजपाईयों का हुक्म पुलिस हैंड्स डाउन। कैसे जानिए...

कभी क्राईम कैपिटल से मशहूर मुजफ्फरनगर जनपद उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद क्राईम फ्री का तमगा पाने लगा था, पूरे उत्तर प्रदेश में एक जनपद में नौ बदमाशों के एनकाउंटर करने वाली मुजफ्फरनगर पुलिस ने रिकार्ड बनाया। यहां पुलिस फ्री हैंड थी, तो अपराधी थाने में जाकर सुधरने की गुहार लगा रहे थे, या फिर न्यायालय में हाजिर होकर जेल रवाना हो रहे थे। जो बेफिक्र होकर अपराध करने के बाद भी बाहर की हवा में सांस ले रहे थे, वो पुलिस की बुलेट से सज संवरकर बड़े घर जा रहे थे, क्राईम कंट्रोल में जुटी पुलिस पर पहले तो सत्ताधारी हल्के पड़ रहे थे, मगर अचानक वक्त ने करवट ली और सत्ताधारी नेता हावी होने लगे, नतीजा आया कि गुड पुलिसिंग करने वाले तीन थाना प्रभारी इन नेताओं का दबाव नहीं मानने के कारण लाइन हाजिर कर दिये गये, जिससे मुजफ्फरनगर की पुलिस हताश है। सोशल मीडिया पर भी इन तीनों प्रकरणों में सत्ता के करीब नेताओं की आलोचना होती रही। कहा जा रहा है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को फ्री हैंड से हैंड्स डाउन कर दिया है, या ये मामल उन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

बात मुजफ्फरनगर से निकली है, इसी जनपद से भाजपा की जीत का मंत्र फूंका गया था। पहले 2014 और फिर 2017 में भाजपा की प्रचंड जीत का कारण बने जनादेश का संदेश देने वाले मुजफ्फरनगर में भाजपा सरकार में पुलिस का मनोबल बढ़ा तो एक साल में यूपी के किसी भी जिले से सबसे ज्यादा एनकाउंटर कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार का इकबाल बुलन्द हुआ। आज सत्ताधारी नेताओं के कारण ही इस जनपद की पुलिस हाशिये पर है। मुजफ्फरनगर में सबसे पहले चरथावल में पुलिस को भाजपाईयों ने निशाने पर रखा। यहां ब्लाॅक पर राज्य और केन्द्र सरकार की उपलब्धियों के लिए भाजपा ने चैपाल कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसमें सत्ता की हनक में चूर भाजपा कार्यकर्ताओं और यूपी में दबंग संगठन के रूप में पहचान रखने वाले भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं के बीच विवाद हो गया। इसमें भाजपा नेताओं की ओर से चरथावल थाने में भाकियू कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया। ऐसे में चरथावल के तत्कालीन थाना प्रभारी इंस्पेक्टर जीसी शर्मा पर भाकियू ने भी दबाव बनाना शुरू कर दिया। ऐसे में एक पुलिस अफसर के निर्देश पर इंस्पेक्टर जीसी शर्मा ने भाकियू की तहरीर पर भाजपा नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया। इसी दौरान उन्होंने ये भी स्पष्ट कर दिया था कि निष्पक्ष जांच के बाद ही अगली कर्यावाही की जायेगी, लेकिन सत्ता की हनक में चूर भाजपाईयों को इंस्पेक्टर की ये निष्पक्ष कार्यवाही पसंद नहीं आई। भाजपाईयों ने अफसरों पर दबाव बनाना शुरू किया, लखनऊ तक बात गयी और इंस्पेक्टर जीसी शर्मा को अपराध उन्मूलन में बेहतरीन कार्य करने के बावजूद राजनीतिक दबाव के चलते भाजपाईयों ने हटवाकर ही दम लिया। इंस्पेक्टर जीसी शर्मा ने क्षेत्र में ऐसा काम किया, जिस कारण कई बदमाशों और वांछित अपराधियों ने थाने पहुंचकर सुधरने की कसमें खाई, लेकिन सत्ताधारी नेताओं ने काम को तरजीह नहीं देकर उनको लाइन हाजिर कराना अपनी जिद बना ली। इसके बाद दूसरी घटना भी इसी तरह की सामने आयी। एक बिना नम्बर की कार को चैकिंग के दौरान पकड़ना छपार थानाध्यक्ष आदेश त्यागी का गुनाह बनकर रह गया। कार चालक के पास कोई लीगल डाक्यूमेंट नहीं मिलने के कारण थानाध्यक्ष आदेश त्यागी ने चालक को कार सहित हिरासत में ले लिया। इस मामले में भी कानून तोड़ने वालों के साथ भाजपा की पूरी लाॅबी खड़ी नजर आयी। भाजपाईयों ने तो इसे अपने वजूद से ही जोड़ लिया और फिर अफसरों पर दबाव का खेल शुरू हुआ। आदेश त्यागी ने सरकार के इकबाल को बुलन्द करने के लिए जनपद में कई बेहतरीन कार्य किये। अपराध उन्मूलन के लिए अपने कप्तान के निर्देशन में आॅपरेशन आॅल आउट में भी मुख्य भूमिका निभायी, 50 हजार के इनामी बदमाश फुरकान के एनकाउंटर में भी वो शामिल रहे, लेकिन भाजपाईयों को इससे क्या लेना देना था, उनकी मूंछों का ताव इस सारे कार्य पर पानी फेर रहा था। आखिरकार आदेश त्यागी को भी जाना पड़ा।

अब ताजा मामला जानसठ कोतवाली के इंचार्ज इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा से जुड़ा। क्षेत्र में कानून का राज स्थापित कर माफियाओं और गुण्डे बदमाशों के खिलाफ सफल अभियान चलाकर क्षेत्र की जनता का विश्वास जीतने वाले इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा अचानक भाजपाईयों की आंख का कांटा बन गये। उन्होंने कांवड यात्रा में उत्कृष्ट कार्य किया, ये भाजपा के लोगों को नजर नहीं आया, लेकिन सत्ता पक्ष की नाराजगी के चलते उनको भी चार्ज से हटा दिया गया। इन सारे प्रकरणों से ये साबित होता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अपराध उन्मूलन में जुटी पुलिस की सारी मेहनत बेकार कर व्यवस्था को पलीता लगाने में भाजपाई ही तुले हुए हैं। इंस्पेक्टर प्र्रेमवीर राणा ने उन्होंने 140 मुकदमों में दोनों पक्षों को विश्वास में लेकर कम्युनिटी पुलिसिंग के सहारे समझौते कराये, इनमें से एक दर्जन मामले तो कोर्ट में विचाराधीन होने के बावजूद भी हलफनामे दाखिल करवाकर इनमें समझौता कराया। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों का कारण बने कवाल गांव में इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा ने 13 साल से चल रहे एक मुकदमे में समझौता करा दिया था, उनके इस कार्य को लेकर ग्रामीणों ने प्रशंसा की थी। जानसठ थाने में पारदर्शी व्यवस्था बनाने के लिए एक बोर्ड लगाया, ''यहां दलालों का प्रवेश वर्जित है'', उनके द्वारा क्षेत्र में एक होटल पर शराब की अवैध बिक्री बन्द कराने के लिए अंकुश लगाया, बस यही कार्रवाई करने को लेकर वो सत्ताधारी नेताओं की आंख की किरकिरी बन गये। करीब एक पखवाडे बाद सत्ता के दबाव में इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा को कोतवाली से हटा दिया गया। उनके सभी कार्यों को अनदेखा कर सत्ता के दबाव ने काम किया। उनको क्राइम बं्राच में तैनात किया गया। ये तीनों घटनाएं ही पुलिस को सत्ता के दबाव में हतोत्साहित करने वाली साबित हुई हैं। 

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