जीते जी अपने श्राद्ध में 700 लोगों को खाना खिलाने वाले की मौत
बांकेलाल का पुत्र 55 वर्षीय पुत्र हाकिम सिंह ब्लॉक के पास बनी अपनी दुकानों में रह रहे थे।
एटा। अपने जीते जी 2 दिन पहले ही अपना क्रियाकर्म करते हुए रस्म तेरहवीं में तकरीबन 700 लोगों को भोजन करने वाले व्यक्ति की मौत हो गई है। जिंदा रहते अपना पिंडदान और तेरहवीं भोज करने वाले व्यक्ति का कहना था कि उसकी अपनी कोई संतान नहीं है परिवार के लोगों पर उसे भरोसा नहीं है।
बुधवार को एटा के साकेत क्षेत्र के मोहल्ला मुंशी नगर में रहने वाले हाकिम सिंह की मौत हो गई है। बांकेलाल का पुत्र 55 वर्षीय पुत्र हाकिम सिंह ब्लॉक के पास बनी अपनी दुकानों में रह रहे थे।
बुधवार की सवेरे रोजाना की तरह अन्य लोग के जब उनकी दुकानों के पास अलाव जलाकर हाथ सेक रहे थे तो इसी दौरान किसी व्यक्ति का ध्यान हाकिम सिंह की तरफ गया। रोजाना की तरह जब उन्हें लोगों ने जागा हुआ नहीं पाया तो आशंकित हुए लोगों ने हाकिम सिंह की चारपाई के पास जाकर देखा। जहां हाकिम सिंह मरे पड़े थे। हाकिम सिंह की मौत की जानकारी मोहल्ले में जंगल की आग की तरह फैल गई। जिसके चलते भारी संख्या में मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। इसी बीच हाकिम सिंह की मौत की सूचना मिलने पर उनके भाई भतीजे भी मौके पर पहुंच गए जो हाकिम सिंह के शव को अपने घर पर ले गए हैं।
उनका कहना है कि वह हाकिम सिंह का अंतिम संस्कार सनातन धर्म के रीति रिवाज के अनुसार पूर्ण तरीके से करेंगे। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले ही हाकिम सिंह ने अपने जीते जी अपना क्रियाकर्म किया था। 55 साल के इस व्यक्ति ने दो दिन पहले ही गांव में भव्य तरीके से रस्म तेरहवीं का आयोजन कर 700 लोगों को भोजन कराया था।
जिंदा रहते अपना पिंडदान और रस्म तेरहवीं करने वाले हाकिम सिंह का कहना था कि उनकी कोई संतान नहीं है। परिवार में जो लोग हैं उनके ऊपर उन्हें भरोसा नहीं है। पता नहीं परिवार के लोग उसके मरने के बाद उसकी रस्म तेरहवीं करेंगे या नहीं! इसलिए वह जीते जी यह काम कर रहा है। तेरहवीं भोज देने के दो दिन बाद ही हाकिम सिंह की मौत से हर कोई हैरान रह गया है।