आजादी के अमृतकाल में रेलवे की नई पेशकश- धक्का परेड ट्रेन
टावर ट्रेन ने जब आगे चलने से मना कर दिया तो रेलवे ने मजदूरों को बुलाकर उसे स्टेशन से अलग कराया।
बरेली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोटा किराया चुकाकर लंबी दूरी की यात्रा करने वाले लोगों को वंदे भारत ट्रेन की सौगात दे रहे हैं। जबकि रेलवे विभाग अपने पुराने संसाधनों की देखभाल भी नहीं कर पा रहा है। कोरोनाकाल के दौरान बंद हुई साधारण यात्री गाड़ियों को चलाने में विफल रहे रेलवे की अब टावर मरम्मत ट्रेन भी धक्का परेड होने लगी है। टावर ट्रेन ने जब आगे चलने से मना कर दिया तो रेलवे ने मजदूरों को बुलाकर उसे स्टेशन से अलग कराया।
दरअसल भारतीय रेलवे की ओर से तकरीबन सभी रूटों को इलेक्ट्रिक के रूप में तब्दील किया जा रहा है, जिसके चलते डीजल से चलने वाले इंजन के स्थान पर बिजली चालित इंजन ट्रेन एवं माल गाड़ियों में लगाए जा रहे हैं।
इन्हें बिजली देने के लिए सभी जगह ट्रैक विद्युत तारों से आच्छादित कर दिए गए हैं। बरेली में इनकी मरम्मत के लिए ट्रैक पर उतरा टावर इंजन जब एक जगह तारों की मरम्मत के लिए रोका गया तो उसने दोबारा से आगे चलने से इंकार कर दिया। जब वह टस से मस नहीं हुआ और दूसरी गाड़ी आने का समय हो गया तो रेल अफसरों के हाथ पांव फूल गए। आ रही रेलगाड़ी को तकरीबन 1 किलोमीटर पहले रोक कर खड़ा कराया गया।
इसके बाद रेलवे कर्मी कोच को धक्का लेकर स्टेशन से हटाने लगे, लेकिन जब भारी-भरकम कोच ने अपने स्थान से हिलने से इंकार कर दिया तो मजदूरों का बंदोबस्त कर कोच को बरेली जंक्शन की प्लेटफार्म नंबर 1 से ले जाकर लूप लाइन पर खड़ा किया गया। अब इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसे देखकर लोग रेलवे की छीछालेदारी करते हुए कह रहे हैं कि निजी करण की ओर कदम बढ़ा चुके रेलवे की हालत अब धक्का मार होने जा रही है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना काल के दौरान साधारण एवं एक्सप्रेस गाड़ियों को बंद कर दिया गया था। एक्सप्रेस रेलगाड़ियां तो जैसे तैसे चला दी गई है लेकिन पैसेंजर ट्रेन अभी तक पूरी संख्या में ट्रैक पर नहीं लौट पाई है। जिसके चलते लोगों को अपनी आने जाने की जरूरते बसों के माध्यम से महंगा किराया चुका कर पूरी करनी पड़ रही है।