मानसून को देरी से पहुँचने के कारण कई स्थानों पर पानी की कमी या सूखे की संभावना
लखनऊ।उ0प्र0 में मानसून को देरी से पहुँचने के कारण कई स्थानों पर पानी की कमी या सूखे की संभावना बन सकती है। इस संबंध में मा0 प्रधानमंत्री तथा जल शक्ति मंत्री भारत सरकार की अपेक्षाओं के अनुरूप जल संरक्षण तथा वर्षा जल संचयन के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के समस्त मण्डलायुक्तों तथा जिलाधिकारियों को अभियान चलाने के निर्देश दिये गये हैं। निर्देशों में कहा गया है कि कल 22 जून, 2019 को ग्राम सभा की विशेष बैठक आयोजित करके जल संरक्षण के लिए श्रमदान हेतु ग्रामीणों को प्रेरित किया जाये।
मुख्य सचिव की ओर से समस्त जिलाधिकारियों तथा मण्डलायुक्तों को वृहस्पतिवार को भेजे गये परिपत्र में कहा गया है कि मानसून के देरी से पहुँचने से प्रदेश के कई स्थानों पर पानी की कमी अथवा सूखे जैसी स्थिति की संभावना हो सकती है। इसको दृष्टिगत रखते हुए ग्राम प्रधानों के माध्यम से गांवों में जल संरक्षण के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाये।
प्रधानमंत्री तथा जल शक्ति मंत्री, भारत सरकार द्वारा 10 जून तथा 15 जून, 2019 को मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ को पत्र लिखकर गांवों में जल संरक्षण हेतु तालाबों का निर्माण एवं सफाई, वृक्षारोपण, रेन हार्वेंस्टिंग स्ट्रक्चर का निर्माण, घरेलू व कृषि उपयोग के लिए सोकपिट का निर्माण, रैली के माध्यम से जल संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान, गांवों एवं विद्यालयों में नुक्कड़ नाटक एवं लोक गीत के माध्यम से वर्षा जल संरक्षण तथा सार्वजनिक स्थानों पर दीवार लेखन करके जागरूक करने की अपेक्षा की गयी है।
वर्षा जल को एकत्र करने एवं संरक्षित करने की दिशा में अबिलम्ब कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये हैं। पत्र में कहा गया है कि जहां पर भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरोद्धार योजना के अन्तर्गत कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं वहां पर जल संरक्षण की इकाईयों की मरम्मत एवं नवीनीकरण का कार्य कराया जाय। इसके अलावा सिंचाई टैंकों एवं उनकी जल संरक्षण क्षमता बढ़ाने के लिए सिल्ट सफाई आदि के कार्य मनरेगा योजना में कराया जाये।
निर्देशों में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसी भी मौजूदा वर्षा जल संचयन, भूगर्भ पुनर्भरण और वाॅटर शेड को पूरा करने में तेजी लायी जाय। इसके अलावा मनरेगा के तहत खेत, तालाब निर्माण कराया जा सकता है। भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार भूजल रीचार्ज तथा पुनर्भरण के कार्य कराये जायं। इसके साथ ही कुओं के पानी को शुद्ध रखने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाये।
मौजूदा जल संसाधनों के संरक्षण के लिए पानी का कम से कम उपयोग किया जाये। सूखाग्रस्त क्षेत्रों में ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा दिया जाय। निर्देशों में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री व जल शक्ति मंत्री एवं मुख्यमंत्री के अपेक्षाओं के अनुरूप प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही सुनिश्चित की जाये।