बढी स्टॉक लिमिट-जमाखोरी के चलते 10 प्रतिशत महंगी हो सकती है दालें

तेजी के साथ आगे बढ़ रहे दालों के दामों पर नियंत्रण ।

Update: 2021-07-20 08:23 GMT

नई दिल्ली। तेजी के साथ आगे बढ़ रहे दालों के दामों पर नियंत्रण लगाने के बाद केंद्र सरकार की ओर से दाल आयातकों के लिए निर्धारित की गई स्टॉक लिमिट हटा लिए जाने के अलावा मिलर्स एवं थोक विक्रेताओं के लिए भी सरकार की ओर से स्टाक लिमिट की सीमा बढ़ा दी गई है। सरकार के इस फैसले से किसानों को तो राहत मिलेगी लेकिन आने वाले दिनों में जमाखोरी के मामलों के चलते दालों के भाव बढ़ सकते हैं। सरकार के फैसले के बाद भी दाल मिलर्स और थोक विक्रेताओं एवं आयातकाों  को उपभोक्ता मामलों के विभाग के वेब पोर्टल पर अपने स्टाफ की जानकारी दे देनी होगी।


केंद्र सरकार की ओर से दाल आयातकों पर लगी स्टॉक लिमिट हटाने और मिलर्स एवं थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक लिमिट की सीमा बढ़ाने के चलते अब कारोबारी 200 टन की जगह 500 टन दाल का स्टॉक रख सकेंगे। हालांकि वह किसी एक दाल का 200 टन से ऊपर स्टाॅक नहीं रख पाएंगे। दाल मिलर्स बीते छह महीनों में कुल उत्पादन या सालाना उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत स्टॉक रख सकेंगे। पहले उत्पादन क्षमता का 25 प्रतिशत स्टाॅक रखने की अनुमति थी।


केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया कहते हैं कि सरकार की ओर से तय की गई लिमिट किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी। इससे आने वाले दिनों में दालों की कीमतों में 5 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा सकती है। हालांकि इससे आम आदमी पर महंगाई की मार पड़ेगी। क्योंकि कोरोना काल के दौरान दालें पहले ही काफी महंगी हो चुकी हैं। ज्यादातर दालें 100 रूपये प्रति किलो से ऊपर निकल गई है। कहना गलत न होगा कि कोरोना काल में लोगों को सब्जियां मिलने में परेशानी हुई है। इसके अलावा इस दौरान लोगों ने नॉनवेज से भी दूरी बनाई है और प्रोटीन के लिए दाल का सहारा लिया है। इस तरह के कारणों के चलते दाम की मांग बढ़ी है। इसके अलावा हम दूसरे देशों से दाल का आयात करते हैं। लेकिन कोरोना की वजह से इसमें कमी आई है। इससे भी दाल कीमतों को आगे बढ़ने का मौका मिला। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दान उत्पादक होने के साथ-साथ सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है





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