दिव्या 9 साल की उम्र से चला रही पॉलीथीन के खिलाफ मुहिम
पॉलीथीन के खिलाफ आज से 11 साल पहले 9 वर्ष की आयु से शुरू हुआ दिव्या जैन का अभियान आज एक आंधी बन चुका है। 17 साल की लड़की की आवाज में लम्बे सघर्ष ने इतना ओज भर दिया है कि राजस्थान सरकार के बजट में उसके तीन सुझाव को न केवल शामिल किया जा चुका है, बल्कि अपनी बात कहने के लिए उसे मुख्यमंत्री सचिवालय में आमंत्रित भी किया गया था। राजस्थान सरकार ने अपने बजट में दिव्या जैन के जिन तीन सुझावों को शामिल किया है, उनमें कक्षा कक्षा 6 से 12 तक में पढ़ने वाली बालिकाओं के लिए आत्मरक्षा का प्रशिक्षण अनिवार्य करना, ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार के लिए युवाओं को सहायता एवं चम्बल के शुद्धिकरण और विकास का मुद्दा प्रमुख है।
पॉलीथीन के खिलाफ आज से 11 साल पहले 9 वर्ष की आयु से शुरू हुआ दिव्या जैन का अभियान आज एक आंधी बन चुका है। 17 साल की लड़की की आवाज में लम्बे सघर्ष ने इतना ओज भर दिया है कि राजस्थान सरकार के बजट में उसके तीन सुझाव को न केवल शामिल किया जा चुका है, बल्कि अपनी बात कहने के लिए उसे मुख्यमंत्री सचिवालय में आमंत्रित भी किया गया था। राजस्थान सरकार ने अपने बजट में दिव्या जैन के जिन तीन सुझावों को शामिल किया है, उनमें कक्षा कक्षा 6 से 12 तक में पढ़ने वाली बालिकाओं के लिए आत्मरक्षा का प्रशिक्षण अनिवार्य करना, ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार के लिए युवाओं को सहायता एवं चम्बल के शुद्धिकरण और विकास का मुद्दा प्रमुख है।
राजस्थान के उस चित्तौड़गढ़ की मिट्टी में जिसमें महाराणा कुंभा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप का अपनी मिट्टी व देश से प्रेम के किस्से आज भी लोग बड़े ध्यान से सुनते हैं और उसी मिट्टी में जन्मी मीरा को कृष्ण भक्ति के लिए जाना जाता है इतना ही स्वामिभक्ति का अनन्य उदाहरण पन्नाधाय ने जिस मिट्टी में जन्म लिया था और धरती 1444 ग्रंथों के रचियता महान आचार्य श्री हरिभद्रसूरि, युगान्तरकारी आचार्य श्री जिनदत्तसूरि, धर्म प्रभावक आचार्य श्री विजयनीतिसूरि एवं उद्भट विद्वान् पद्मश्री मुनि जिनविजय आदि कई आचार्यो की कर्मभूमि-चित्तौड़गढ़ जैन धर्म एवं चित्तौड़गढ़ के गौरवपूर्ण संबंधों को स्थापित करती है। जिस मिट्टी ने भामाशाह जैसे देशभक्त, दानवीर एवं धर्मवीर कर्माशाह जैसे कई जैन श्रेष्ठियों को जिसने अपनी कोख से उत्पन्न किया है। जो चित्तौड़ लम्बे समय तक श्वेताम्बर आचार्यो में खरतरगच्छ के आचार्यो का एक गढ़ रहा है, अपने ननिहाल की उसी मिट्टी से मिले संस्कारों के कारण ही दिव्या जैन ने लीक से हटकर अपने लिए रास्ता चुनने की परम्परा को नये परिवेश में आगे बढ़ाया है।
राजस्थान के कोटा निवासी दिव्या कुमारी जैन के शिक्षक पिता संजय कुमार जैन बताते हैं कि दिव्या जब 9 वर्ष की थी, उस समय एक बार अपने नाना के यहा आयी हुई थी, उस समय उसने पाॅलीथिन खाकर एक गाय को मरते हुए देखा था। उस गाय की मौत ने दिव्या का सारा जीवन ही बदल कर रख दिया और 9 साल की उम्र में उसने अपने जीवन का लक्ष्य तय कर लिया था। जिस उम्र में बच्चे अक्सर खुद पानी पीने के लिए रसोईघर तक नहीं जाते हैं, उस उम्र में दिव्या ने पाॅलीथिन के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी थी और अपने घर के पुराने वस्त्रों के थैले बनाकर वह लोगों को वितरीत करने लगी थी। शुरू में लोगों को थोड़ा अजीब लगा और उन्होंने इसे परिहास की नजर से भी देखा, लेकिन बाद में इसकी गम्भीरता को समझा और लोग दिव्या जैन की इस मुहिम से जुड़ते चले गये। पाॅलीथिन के खिलाफ आंदोलन चलाने का जुनून उसमें इस कदर था कि रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड़, स्कूल, चाय की दुकान आदि जहां कहीं भी लोगों को इकट्ठा देखती, बस पाॅलीथिन के खिलाफ अपनी बात उन्हें समझाने लगती। स्कूल-कालेजों में वह अक्सर इसी पर चर्चा करती रहती थी। यहां तक की वह कथावाचकों से भी अपील करती हैं कि वे अपने प्रवचनों में दो लाईनें पाॅलीथिन के विरोध के लिए भी कहें। कभी लोग उससे इस मुहिम की सफलता के बारे में संदेह व्यक्त करते तो वह कहती कि मेरा काम है कोशिश करना और वो मैं कर रही हूं और करती रहूंगी, बाकी मेरी बात मानना या नहीं मानना आपके हाथ है। वह लोगों में इससे सम्बन्धित पम्पलेट और कपडे के थैले बाटकर जनजागरण अभियान चलाये हुए है। दिव्या जैन अब तक 50 हजार से अधिक कपड़े के थैले वितरित कर चुकी है। वह अब तक पर्यावरण मिश्र पत्रिका के 9 संस्करण प्रकाशित कर चुकी है और 10वां सस्करण 10 अक्टूबर को प्रकाशित होगा। दिव्या की बाते अब तक 50 से अधिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं और उसे अब तक 80 से अधिक बार सम्मानित किया जा चुका है।
बता दें कि दिव्या जैन मंत्री, विधायक, अफसर, साधु-संत, कथावाचक से लेकर काफी ओहदेदारों को 200 से अधिक पत्र लिखकर अपनी मुहिम के बारे में बता चुकी है। अभी हाल ही में उसने 14 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर अपनी बात बतायी थी। उसने पीएम मोदी को लगभग उलाहना देते हुए लिखा था कि वह अब उन्हें 50 से अधिक पत्र लिख चुकी है और आगे भी तब तक लिखती रहेगी, जब तक लक्ष्य पूरा नहीं हो जाता। उसने प्रधानमंत्री से कहा है कि जब एक रात में नोटबंदी हो सकती है, एक रात में जीएसटी लागू हो सकती है, तीन तलाक बिल पास हो सकता है तो पाॅलीथिन पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं लग सकता? प्रधानमंत्री ने भी इस बेटी का मान बढ़ाते हुए उसके पत्र का उत्तर दिया है और पत्र लिखने के लिए धन्यवाद अदा करते हुए उसे रक्षाबंधन की शुभकामनाएं भी दी हैं। दिव्या लोगों को ना सिर्फ पेड़ लगाने के लिये प्रोत्साहित करती है, बल्कि वो उनसे उन पेड़ों के रखरखाव करने को भी कहती है, ताकि वो खराब ना हो।
दिव्या जैन के शिक्षक पिता संजय जैन बताते हैं कि पहले तो उन्होंने छिोटी दिव्या की बातों को उनके पिता ने गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन जब वो अपने फैसले पर अड़ी रहीं तो उनके पिता ने उनका साथ देने का फैसला किया। दिव्या ने इसके लिए सबसे पहले अपनी मां और दादी की पुरानी साड़ियां लीं और उसके थैले बनाये। इसके बाद उन्होने इन थैलों को अपने घर के आसपास की सोसाइटियों और कॉलोनियों में बांटा। साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए पैम्फलेट भी बंटवाये। जिसमें पॉलिथीन के दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया था। धीरे धीरे दिव्या ने चित्तौड़गढ़ शहर के अलावा कोटा, बूंदी में भी कपड़े के बैग बांटने का काम किया। इसके लिए वो शहर की महिलाओं से कहती हैं कि वो पुरानी साड़ियों से बर्तन ना खरीद कर उनको दें या खुद उनसे बैग बनाकर लोगों के बीच बांटे। धीरे-धीरे दूसरे लोग भी उनके इस अभियान से जुड़ते चले गये। कई लोग ऐसे थे जो दिव्या के साथ मिलकर काम करना चाहते थे। जिसके जवाब में दिव्या ने उनसे कहा कि सभी लोग अपने स्तर पर अपने अपने शहर, कस्बे और गांव में लोगों को पॉलीथीन के खिलाफ जागरूक करें और लोगों को कपड़े के बैग बनाकर बांटे।
जानकारों का मानना है कि राजस्थान सरकार ने इस बालिका दिव्या जैन की पहल पर ही 1 अगस्त 2010 को राजस्थान में पॉलीथीन को बैन किया था, इतना ही नहीं मुख्यमंत्री की तरफ से उनको पत्र लिखकर इसकी सूचना भी दी गई थी। इसे एक विडम्बना ही कहा जायेगा कि आज भी कुछ लोग अपने तुच्छ स्वार्थ के चलते इस मुहिम को तेज करने में उतना सहयोग नहीं कर पा रहे हैं, जितना करना चाहिए। इसके विपरीत पाॅलीथिन के कारण मृत्यु को प्राप्त होने वाली गाय की मौत को छोटी बालिका ने अपनी ताकत बना लिया और निकल पड़ी दुनिया को आने वाले संकट से बचाने।