समाज का हर वर्ग असंतुष्ट और आक्रोशित है : अखिलेश यादव
समाजवादी सरकार में अपराध नियंत्रण के लिए यूपी 100 पुलिस सेवा उपलब्ध करायी गई थी वह भाजपा सरकार में प्रायः निष्प्रभावी है।
लखनऊ । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार प्रशासन पर अपना नियंत्रण पूरी तरह खो चुकी है। समाज का हर वर्ग असंतुष्ट और आक्रोशित है। कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है।
समाजवादी सरकार में अपराध नियंत्रण के लिए यूपी 100 पुलिस सेवा उपलब्ध करायी गई थी वह भाजपा सरकार में प्रायः निष्प्रभावी है। उत्तर प्रदेश हत्या प्रदेश बन गया है। स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। राज्य में बाढ़ और बारिश से बेहाल लोगों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। हर तरफ अव्यवस्था, अशांति और अराजकता है।
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ग्रामीण एवं शहरी एम्बूलेंस चालकों ने सरकारी अनियमितताओं से ऊबकर हड़ताल कर दी हैं। एम्बूलेंस सेवा 108 और 102 ठप्प हैं। समाजवादी सरकार ने मरीजों, घायलों की सेवा के लिए 108 और प्रसूताओं को अस्पताल लाने ले-जाने के लिए 102 नम्बर सेवा शुरू की थी। इनसे त्वरित सेवा और सुविधाएं मिलती थी। भाजपा सरकार के सत्ता में आते ही इन सेवाओं के दुर्दिन शुरू हो गए। इसके चालकों को दिहाड़ी मजदूर बना दिया गया है। दुःख और क्षोभ की बात तो यह है कि इनकी समस्याओं के समाधान के बजाय सरकार इनको दंडित करने पर लग गई है। उसने तानाशाही ढंग से एस्मा कानून लगाकर उनको प्रताड़ित करने का काम किया है।
सरकार की आयुषमान योजना भी फेल हो रही है। गरीब और लाभार्थी अस्पतालों में भटक रहे हैं। मुख्यमंत्री जी का यह कहना निराधार है कि पहले मरीज इलाज के लिए भटकते रहते थे। सच तो यह है कि समाजवादी सरकार के समय अस्पतालों में इलाज और दवाएं मुफ्त थी। गंभीर बीमारियों कैंसर, किडनी, दिल और लीवर तक के मुफ्त इलाज की व्यवस्था थी। लखनऊ में कैंसर अस्पताल की स्थापना समाजवादी सरकार ने ही की थी। सभी जांचे निःशुल्क थी।
जहां तक कानून व्यवस्था का प्रश्न है हालत सरकार के नियंत्रण से बाहर है। सितम्बर महीने में राजधानी लखनऊ में हर दूसरे दिन फायरिंग की घटनाएं हुई है। लूट, अपहरण, बलात्कार रोजमर्रा की बातें हो चली है। अस्पतालों में तीमारदारों के साथ मारपीट, बलात्कार की कोशिशें होती हैं लेकिन मामले दबा दिए जाते हैं। एम्बूलेंस वाहन चालकों की हड़ताल से बीमारों का क्या हाल होगा, किसी को चिंता नहीं। संविदा कर्मचारी आए दिन हड़ताल पर चले जाते हैं। ऐसे में मरीजो की होने वाली मौतों के लिए कौन जिम्मेदार होगा ?
भाजपा सरकार अपनी जिम्मेदारियों से ढाई वर्ष से ही तरह-तरह से बचने के लिए जनता को गुमराह करती रही है। राज्य सरकार पता नहीं कौन प्रशिक्षण ले रही है कि उसे अपनी संवैधानिक दायित्वों का एहसास ही नहीं हो रहा है? वैसे भी अब तो भाजपा के दिन ढलान पर हैं। इस चलाचली के बेला में तो भाजपा को चेत जाना चाहिए था पर भाजपा ने तो कसम खा रखी है कि भाजपा को न सुधरना है, नहीं वह कभी सुधरना चाहेगी।