भारत ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पछाड़कर पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

आत्मनिर्भर भारत अभियान केवल अर्थिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है।

Update: 2022-09-10 04:23 GMT

लुधियाना। भारत मिशन भारतीय विरासत पर गर्व के विचार भी शामिल हैं। वर्तमान सरकार इस दिशा में नया अध्याय जोड़ें। कुछ दिन पहले नरेंद्र मोदी ने नौसेना के प्रकाश का प्रकाश डाला था। क्रास को हटा दिया गया, उसकी क्षत्रपति शिवा जी की मुद्रा मुद्रा को अंकित किया गया। इसके वह सरकार ने भी दर्ज किया था। यह परिवर्तन यूपीआई सरकार को पुराना है। उसने फिर से क्रास को रिकॉर्ड किया गया। यह पता करने के लिए सरकार ने किसको खुश किया है। नरेंद्र मोदी ने भारत की स्थिरता बनाए रखी है। परावर्तन के बाद से भी मुक्ति का आह्वान था। क्रास काल की रॉयल नेवी के प्रक्षेपण में। इस को बनाने की आवश्यकता नहीं है। वायु के प्रकार ने नेविगेट किया है। सुभाष चंद्रा की प्रतिमा की प्रतिमा स्थापित की गई है। यह सब न्यू इंडिया के चिह्न हैं। यह सुखद है। वैश्विक विकास में शुभ है। वह सम्‍पूर्ण राष्‍ट्र संघ सुरक्षा परिशद का सदस्य सदस्य है। नरेंद मोदी ने कहा था कि भारत का सबसे बड़ा आर्थिक परिवर्तन हुआ था, भारत ऑफ इंडिया ऑफ गवर्नमेंट को पछाड़कर दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली बन गई है। देश की वंशानुक्रम की धारणा। सम्भोग करने वाला सोसाइटी है।

नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से पंच प्राणों की बात कही थी। उनमें सबसे पहला है- विकसित भारत का निर्माण। विकसित भारत के निर्माण के लिए देश के उत्पादन क्षेत्र में मेक इन इंडिया का विस्तार हो रहा है। बीते वर्षों में देश ने पोर्ट लीड डेवलपमेंट को विकास का एक अहम मंत्र बनाया है। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि सिर्फ आठ वर्षों में भारत के पोर्ट्स की कैपेसिटी लगभग दोगुनी हो गई है।

हर चुनौती से पार पाते हुए भारत ने चार सौ अठारह बिलियन डॉलर अर्थात इकतीस लाख करोड़ रुपये के व्यापार निर्यात का नया रिकॉर्ड बनाया। कुछ दिनों पहले जीडीपी के आंकड़े आए हैं। यह दिखाते हैं कि भारत की कोरोना काल में बनाई गई नीतियां और निर्णय कितने महत्वपूर्ण थे। पिछले साल इतने वैश्विक व्यवधान के बावजूद भारत ने छह सौ सत्तर बिलियन डॉलर अर्थात पचास लाख करोड़ रुपये का कुल निर्यात किया। देश के विकास के साथ सरकार आर्थिक और समाजिक रूप से पिछड़े समुदाय के लिए बहुत से प्रयास कर रही है। पिछले आठ वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। भारत ने दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ा है। अब इस लिस्ट में अमेरिका,चीन,जापान और जर्मनी के साथ भारत का भी नाम लिखा जाएगा।इस समय ब्रिटेन महंगाई, विकास और राजनीतिक अस्थिरता को लेकर परेशानी झेल रहा है। मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार करीब साढ़े आठ सौ बिलियन था,वहीं ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था आठ सौ सोलह अरब डॉलर थी। एक दशक पहले भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ग्यारहवें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन पांचवें स्थान पर था।लेकिन भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है।आजादी के बाद से पचहत्तर वर्षों में, भारत की प्रति व्यक्ति आय छह गुना बढ़ गई है। इसी को देखते हुए पीएम मोदी ने अगले पच्चीस वर्षों में एक विकसित देश बनने का लक्ष्य रखा है।जिसके लिए प्रति व्यक्ति आय एक तिहाई समय में नौ गुना तक बढ़नी चाहिए। भारत ने कृषि और सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन किया है। देश की जीडीपी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में साढ़े तेरह प्रतिशत रही। वहीं, इससे पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर बीस प्रतिशत से अधिक रही थी। नरेन्द्र मोदी ने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने के अपने अभियान के अंतर्गत दिल्ली में इंडिया गेट के पास सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।राष्ट्रपति भवन तक जाने वाले मुख्य मार्ग राजपथ का नामकरण कर्तव्य पथ के रूप में किया। गुलामी के दौर में राजपथ का नाम किंग्सवे था तथा इंडिया गेट के पास एक छतरी के नीचे ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम की प्रतिमा स्थापित थी। आजादी के कुछ वर्ष बाद जॉर्ज पंचम की प्रतिमा हटा दी गई थी। इसके बाद यह स्थान खाली पड़ा था।

नरेंद मोदी ने कहा कि राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है। जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है।यह गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है। यह मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक, निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है। राजपथ से लोकोनमुखी यात्रा नहीं हो सकती। राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे। राजपथ की भावना गुलामी का प्रतीक थी।उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी। आज इसकी वास्तुशैली भी बदली है और इसकी आत्मा भी बदली है। इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा राष्ट्र भाव की प्रेरणा देगी।

उन्होंने कहा कि परिवर्तन केवल प्रतीकों तक सीमित नहीं है बल्कि अब नीतियों का हिस्सा है। कर्तव्य पथ भारत के लोकतान्त्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है। आज भारत के आदर्श आयाम सपने और संकल्प सब अपने हैं। आजादी के अमृत महोत्सव में देश को नई प्रेरणा और नई ऊर्जा मिली है। आज के भारत में आत्मविश्वास है। सत्ता के प्रतीक राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना जन प्रभुत्व और सशक्तिकरण का एक उदाहरण है। सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की गई है,जहां सुभाष जयन्ती के अवसर पर नरेन्द्र मोदी ने उनकी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया था। (हिफी)

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

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