हरसिमरत कौर का इस्तीफा- कश्मकश में हरियाणा के DEPUTY CM दुष्यंत चौटाला

पहले महाराष्ट्र में शिवसेना ने अब शिरोमणि अकाली दल भी उसी राह पर चल पड़ा है और हरियाणा में जजपा को भी वही राह पकड़नी पड़ेगी

Update: 2020-09-20 05:54 GMT

नई दिल्ली। राजनीति भी कभी-कभी नेताओं को असमंजस में डाल देती है। केन्द्र सरकार के दो कृषि विधेयकों के विरोध में पंजाब की नेता और केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हरसिमरत ने दूर की कौड़ी चली है क्योंकि पंजाब में डेढ़ साल बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसी मामले को हरियाणा में भाजपा के साथ सरकार चला रहे जननायक जनता पार्टी के नेता और डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला ने भी उठाया था। कांग्रेस समेत विपक्षी राजनीतिक दल अब दुष्यंत चौटाला पर भी दबाव बना रहे हैं कि वे भी हरसिमरत कौर बादल की तरह इस्तीफा दे दें। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के लिए हालांकि ये खतरे की घंटी है कि उसके पुराने साथी एक-एक करके दूर हो रहे हैं। भाजपा का पहले महाराष्ट्र में शिवसेना ने साथ छोड़ा था, अब शिरोमणि अकाली दल भी उसी राह पर चल पड़ा है और हरियाणा में जजपा को भी मजबूरन वही राह पकड़नी पड़ेगी।

कृषि संबंधी विधायकों को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए में बगावत शुरू हो गई है। कृषि विधेयक के खिलाफ हरियाणा और पंजाब के किसान आंदोलित हैं। किसानों की नाराजगी को देखते हुए बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल की तरफ से केंद्र सरकार में एकमात्र केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद हरियाणा में बीजेपी की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) पर साथ छोड़ने का दबाव बढ़ गया है। ऐसे में जेजेपी प्रमुख उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चैटाला कशमकश में फंसे हुए हैं।


हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी गठबंधन की सरकार है। देश में कृषि अध्यादेश को लेकर सबसे ज्यादा आक्रोश हरियाणा के किसानों में दिख रहा है। किसानों की गांव-गांव में पंचायतें हो रही हैं और इस विधेयक के खिलाफ उनका गुस्सा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। किसानों की नाराजगी को देखते हुए जेजेपी विधायकों के अंदर बगावत की चिंगारी सुलगने लगी है। जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम पहले से ही डिप्टी सीएम के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे और अब टोहाना के विधायक देवेंद्र सिंह बबली ने किसानों के मुद्दे को लेकर दुष्यंत चौटाला  के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है।

दरअसल, 10 सितंबर को किसान कुरुक्षेत्र जिले में कृषि संबंधी विधेयकों के खिलाफ रैली के लिए सड़क पर उतरे थे। इसके बाद पुलिस ने उन्हें रोक दिया था और किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। पुलिस की कार्रवाई में कई किसान गंभीर रूप से घायल हो गए। जिसके बाद विपक्ष ने किसानों की आवाज दबाने की बात कहते हुए सरकार पर हमला बोला। हरियाणा सरकार को समर्थन दे रहे जेजेपी खिलाफ भी किसान गुस्से में है। ऐसे में जेजेपी विधायक को अपनी सियासी जमीन खिसकने का डर सताने लगा है। ऐसे में हरसिमरत ने कुर्सी त्याग कर दुष्यंत चौटाला  पर दबाव बढ़ा दिया है। कांग्रेस ने मौके की नजाकत को समझते हुए किसानों के मुद्दे को लपक लिया है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, दुष्यंत जी हरसिमरत कौर बादल की तरह आपको भी कम से कम डिप्टी सीएम की पोस्ट से इस्तीफा दे देना चाहिए। आपको किसानों से ज्यादा अपनी कुर्सी प्यारी है।

कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट किया, पंजाब के अकाली दल, आम आदमी पार्टी ने संसद में कांग्रेस के साथ किसान विरोधी अध्यादेशों का विरोध करने का साहस दिखाया, लेकिन दुर्भाग्य कि हरियाणा के बीजेपी और जेजेपी नेता सत्ता-सुख के लिए किसानों से विश्वासघात करने लगे हुए हैं। दीपेंद्र ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब पंजाब के सब दल किसानों के पक्ष में एक हो सकते हैं तो हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी क्यों नहीं एक हो सकते? उन्होंने कहा कि अकाली दल की हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद इस प्रश्न को और बल मिलता है।


हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार जेजेपी के सहयोग से चल रही है। जेजेपी का राजनीतिक आधार ग्रामीण इलाके और किसानों पर टिका हुआ है, क्योंकि चौधरी   देवीलाल किसान नेता के तौर पर देश भर जाने जाते थे। किसानों की नाराजगी और राजनैतिक नुकसान को देखते हुए जेजेपी ने लाठीचार्ज को लेकर किसानों से माफी मांगी है। दुष्यंत चौटाला  के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला  ने कहा, किसानों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर जेजेपी माफी मांगती है। जेजेपी हमेशा किसानों के साथ है और किसानों के हित की बात पार्टी के लिए सबसे ऊपर हैं जेजेपी प्रमुख और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला  कृषि संबंधी विधेयक के समर्थन में हैं और कांग्रेस पर किसानों को बहकाने का आरोप लगा रहे हैं। दुष्यंत चौटाला ने अभी तक इस किसान विधेयक का विरोध नहीं किया है, लेकिन यह जरूर कहा है कि इसमें एमएसपी का जिक्र होना चाहिए।

यह बिल लोकसभा में पारित हो चुका है। हालांकि, यह पहला मौका है जब जेजेपी किसी मुद्दे पर घिरी हुई है। उसके वोटबैंक से लेकर पार्टी विधायक तक बगावती रुख अख्तियार किए हुए हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या किसानों का दिल जीतने के लिए दुष्यंत चौटाला भी हरसिमरत कौर के नक्शेकदम पर चलते हुए डिप्टी सीएम की कुर्सी छोड़ेंगे?

अकाली दल की तरफ से मोदी सरकार में हरसिमरत कौर बादल ही एकमात्र कैबिनेट मंत्री थीं। पंजाब की यह पार्टी बीजेपी का सबसे पुराना सहयोगी दल है। पंजाब में अकाली दल का राजनीतिक प्रभाव बीजेपी से ज्यादा है और यहां की राजनीति किसानों के इर्द-गिर्द सिमटी रहती है। यही वजह है कि कृषि विधेयकों को लेकर लोकसभा में सुखबीर बादल ने कहा कि मोदी सरकार से उनकी पार्टी की एकमात्र मंत्री इस्तीफा दे देंगी। इसके फौरन बाद हरसिमरत कौर ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। मंत्री का पद त्यागने के कदम से अकाली दल पंजाब के किसानों की नाराजगी को खत्म करना चाहती है।

कृषि विधायकों को लेकर किसान संगठनों के द्वारा यह कहा जा रहा है कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ही आमदनी का एकमात्र जरिया है, अध्यादेश इसे भी खत्म कर देगा। इसके अलावा कहा जा रहा है कि ये अध्यादेश साफ तौर पर मौजूदा मंडी व्यवस्था का खात्मा करने वाले हैं। पंजाब में किसान पिछले तीन महीने से इन अध्यादेशों का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।

दरअसल, पंजाब में कृषि और किसान ऐसे अहम मुद्दे हैं कि कोई भी राजनीतिक दल इन्हें नजरअंदाज कर अपना वजूद कायम रखने की कल्पना भी नहीं कर सकता है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में किसानों के कर्ज माफी के वादे ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी में कराई थी जबकि उससे पहले किसानों को मुफ्त बिजली वादे के बदौलत ही अकाली दल सत्ता पर काबिज होती रही है। यही स्थिति हरियाणा की है और दुष्यंत चौटाला किसानों के इस मामले को नजरंदाज नहीं कर सकते। 

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा ) 

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