राजस्थान को पूरा पानी मिले : मुख्यमंत्री

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि रावी ब्यास नदी के जल में राजस्थान की शेष हिस्सेदारी का 0.60 एमएएफ जल छोड़े जाने, हरिके पर राजस्थान की नहरों में प्रदूषित जल का प्रवाह रोकने तथा हरिके पर इंदिरा गांधी फीडर के हैड रेगुलेटर की क्षमता बढ़ाने सहित अन्य मुद्दों पर पंजाब सरकार से बीते दिनों द्विपक्षीय वार्ता हुई थी।

Update: 2019-09-21 01:50 GMT

जयपुर ।  मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत ने शुक्रवार को चण्डीगढ़ में आयोजित उत्तर-क्षेत्रीय परिषद् की 29वीं बैठक में राजस्थान से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर मजबूती से अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि अंतर्राज्यीय जल समझौतों के अनुरूप प्रदेश को उसके हिस्से का पूरा पानी मिले। मुख्यमंत्री नेे कहा कि पंजाब सरकार ने राजस्थान के साथ समझौतों पर सकारात्मक रूख अपनाया है। अब हरियाणा सरकार भी राजस्थान के हितों का ध्यान रखे।




 


केन्द्रीय गृहमंत्री  अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि रावी ब्यास नदी के जल में राजस्थान की शेष हिस्सेदारी का 0.60 एमएएफ जल छोड़े जाने, हरिके पर राजस्थान की नहरों में प्रदूषित जल का प्रवाह रोकने तथा हरिके पर इंदिरा गांधी फीडर के हैड रेगुलेटर की क्षमता बढ़ाने सहित अन्य मुद्दों पर पंजाब सरकार से बीते दिनों द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। इसमें बनी सहमति के अनुसार पंजाब और राजस्थान लाभप्रद समझौते की ओर अग्रसर हैं। नहरों में प्रदूषित जल का प्रवाह रोकने के लिए पंजाब सरकार ने काम भी शुरू कर दिया है।

पारस्परिक सहयोग से संचालित होगा अलवर में ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज

बैठक में अलवर में लंबे समय से अनुपयोगी पडे़ ईएसआईसी के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल भवन को राज्य सरकार तथा ईएसआईसी द्वारा आपसी सहयोग से संचालित किए जाने पर सहमति बनी।  गहलोत ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि ईएसआईसी द्वारा करीब 900 करोड़ रूपये की लागत से बने इस अस्पताल व मेडिकल कॉलेज भवन का लोगों को लाभ मिलना चाहिए। इसके लिए मेडिकल कॉलेज को समझौता कर आपसी सहयोग से चलाया जा सकता है।

प्रदेश के 1376 गांवों को बैंकिंग सेवाओं से जोडें़

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृहमंत्री से आग्रह किया कि सीधी बैंकिंग सेवा से वंचित प्रदेश के एक हजार 376 गांवों में भारत सरकार बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करवाए। उन्होंने कहा कि ऎसे गांव जहा 5 किलोमीटर के दायरे में कोई भी बैंक शाखा नहीं है, वहां बैंकों की शाखाएं खोली जाएं ताकि लोग स्थानीय स्तर पर बैंकिंग सेवाएं प्राप्त कर वित्तीय समावेशन की दिशा में आगे बढ़ सकें।

केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में हिस्सा राशि घटाना अनुचित

 गहलोत ने बैठक में कहा कि केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में केन्द्र सरकार लगातार अपनी हिस्सा राशि घटाती जा रही है। राज्यों पर इससे आर्थिक भार और बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में वर्ष 2011-12 तक केंद्र की हिस्सा राशि 75 प्रतिशत और इससे अधिक हुआ करती थी, लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार ने इसे कम करते हुए बराबर की हिस्सेदारी तक ला दिया है। इसके कारण राज्य आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।




केन्द्रीय करों से राज्य के हिस्से में हो रही निरंतर कटौती

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय करों में राज्य की हिस्सा राशि में निरंतर हो रही कटौती पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने फरवरी में प्रस्तुत बजट में राज्य के लिए केन्द्रीय करों में 46 हजार 411 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा था, जिसे परिवर्तित बजट में घटाकर 44 हजार 461 करोड़ रूपये कर दिया। इस प्रकार प्रदेश को 1950 करोड़ रूपये की कटौती झेलनी पड़ रही है। इस कटौती के बाद राज्य को मिलने वाली मासिक हिस्सा राशि में भी करीब 118 करोड़ रूपए कम दिए जा रहे हैं।

जीएसटी मुआवजा 5 साल और मिले

मुख्यमंत्री ने जीएसटी के बाद राज्यों की कमजोर आर्थिक स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि जीएसटी मुआवजे की अवधि 5 साल और बढ़ाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़े अरसे से लंबित सीएसटी मुआवजा भी राज्यों की तरलता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इसके लिए सीएसटी दर पहले की तरह 4 प्रतिशत की जाए और मुआवजा शीघ्र दिया जाए।

ताजेवाला हैड समझौते पर हरियाणा करे हस्ताक्षर

मुख्यमंत्री ने यमुना जल आवंटन के समझौते के 25 साल बाद भी राजस्थान को ताजेवाला हैड से अपने हिस्से का पानी नहीं मिलने पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय गृहमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप कर हरियाणा को राजस्थान द्वारा 10 जुलाई, 2017 को भेजे गए समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कहें। साथ ही ताजेवाला हैड से अपने हिस्से का यमुना जल लेने के लिए राजस्थान द्वारा बनाई गई डीपीआर के शीघ्र अनुमोदन के लिए केन्द्रीय जल आयोग को निर्देशित करें। ताकि चूरू एवं झुंझुनूं जिलों को जल्द से जल्द यमुना का पानी मिल सके।

सिद्धमुख-नोहर परियोजना के लिए भाखडा मैन लाइन से मिले पानी

मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि हरियाणा की असहमति के कारण सिद्धमुख-नोहर सिंचाई परियोजना के लिए राजस्थान को भाखड़ा मैन लाइन से रावी-ब्यास के 0.17 एमएएफ जल का आवंटन भी नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिद्धमुख-नोहर की क्षमता का पूरा उपयोग तभी हो सकता है जब यह जल हरिके के बजाय भाखड़ा मैन लाइन के माध्यम से मिले। इस मामले में भारत सरकार मध्यस्थता कर शीघ्र अपना निर्णय दे।

घग्घर में रोकें प्रदूषित जल का प्रवाह

मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री से आग्रह किया कि वे सुखना नाले में औद्योगिक अपशिष्ट का बहाव रोकने के लिए हिमाचल सरकार को कहें। यह प्रदूषित जल घग्घर नदी के जल की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है। साथ ही पंजाब एवं हरियाणा सरकार भी इसमें प्रदूषित जल प्रवाह पर नियंत्रण करे।

बीबीएमबी में राजस्थान से पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त हो

मुख्यमंत्री ने भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान को सदस्यता से वंचित रखने पर आपतिया जताते हुए कहा कि राजस्थान के लिए पूर्णकालिक सदस्य के एक और पद का सृजन किया जाए। उन्होंने रोपड़, हरिके एवं फिरोजपुर सिंचाई हैडवक्र्स का नियंत्रण बीबीएमबी को सौंपने का आग्रह किया।

सतलज-यमुना लिंक नहर की बैठकों में हो राजस्थान का प्रतिनिधित्व

मुख्यमंत्री ने सतलज-यमुना लिंक नहर को लेकर होने वाली बैठकों में राजस्थान को अनिवार्य रूप से शामिल करने तथा इस नहर को लेकर कोई भी समझौता राजस्थान की बिना सहमति के नहीं करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सतलज यमुना लिंक से राजस्थान के हित भी जुड़े हैं। ऎसे में किसी भी निर्णय पर राजस्थान की सहमति आवश्यक रूप से ली जाए।

देहर प्लांट से 52 करोड़ यूनिट बिजली की हो भरपाई

 गहलोत ने कहा कि देहर बिजली प्लांट से राजस्थान को जनवरी 1979 से जनवरी 2012 की अवधि के बीच कुल 52 करोड़ 17 लाख यूनिट की आपूर्ति कम की गई है। राज्य को इसकी भरपाई की जानी चाहिए। इसके लिए उत्तर-क्षेत्रीय परिषद् उचित दृष्टिकोण अपनाते हुए आवश्यक निर्देश जारी करे। श्री गहलोत ने कहा कि रेणुका एवं किशाऊ बांध तथा हथिनीकुंड बैराज परियोजनाओं से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड द्वारा राजस्थान को जल विद्युत उत्पादन में हिस्सेदारी की पेशकश की जाए।

पीएमजीएसवाई के दिशा-निर्देशों में हो संशोधन

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के दिशा निर्देशों में संशोधन करे और सड़कों के निर्माण के लिए वन भूमि के अंतरण की लागत भी वहन करे। साथ ही वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत पीएमजीएसवाई में 5 हैक्टेयर तक की शक्तियां राज्यों को सौंपी जाए।

परिषद की अगली बैठक राजस्थान में होगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतर्राज्यीय समस्याओं के निपटारे के लिए उत्तर क्षेत्रीय परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने इसकी अगली बैठक राजस्थान में आयोजित करने का आग्रह किया, जिसका सभी राज्यों ने स्वागत किया। अब परिषद की अगली बैठक की मेजबानी राजस्थान करेगा।

बैठक में पंजाब के राज्यपाल  वीपी सिंह बदनोर, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल खट्टर, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल  सत्यपाल मलिक, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री  जयराम ठाकुर तथा दिल्ली के उप राज्यपाल  अनिल बैजल भी मौजूद थे।  

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