एक साल - आईपीएस आनंद कुमार बने जेलों में बदलाव के जनक

  • एक साल के कार्यकाल में आईपीएस आनंद कुमार ने जेलों की दशा बदल कर रख दी है।

Update: 2020-06-17 14:39 GMT

लखनऊ  17 जून 2019 को जब आईपीएस आनंद कुमार को यूपी की जेलों का जिम्मा सौंपा गया था तभी तय हो गया था कि अब यूपी की बदला बदनाम जेलों में बदलाव की बयार बहने वाली है। यह इसलिए माना गया था क्योंकि आईपीएस आनंद कुमार जहां भी पोस्ट रहे, उन्होंने वहां बेहतर काम किया है । मुजफ्फरनगर में एसएसपी रहते आनंद कुमार ने जनता को न्याय दिलाने के लिए जनपद स्तर पर शिकायत प्रकोष्ठ का गठन कर 24 घंटे में कार्रवाई कराना शुरू कर दिया था। ऐसे ही जब आनंद कुमार को मेरठ जोन का अपर पुलिस महानिदेशक बनाया गया था तब भी उन्होंने मेरठ जोन में अपराधियों की कमर तोड़ने के लिए एनकाउंटर अभियान की शुरुआत कर दी थी। इसी बीच आईपीएस आनंद कुमार को अपर पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था बनाया गया तो उन्होंने बदमाशों को यमलोक पहुंचाने की अपनी मुहिम को पूरे प्रदेश में अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया था । यह आईपीएस आनंद कुमार की कार्यशैली का ही नतीजा था की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार पूरे सूबे में बदमाशों का सफाया होने लगा था। आईपीएस आनंद कुमार के कार्यकाल में पुलिस का इकबाल इतना बुलंद हुआ कि जान लेने की प्रवृत्ति वाले बदमाश थानों में जाकर जान बचाने की गुहार लगाते घूम रहे थे।




आईपीएस आनंद कुमार का पुलिस महानिदेशक पद पर प्रमोशन हुआ तो उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें कारागार विभाग का मुखिया बना दिया। बिगड़ैल जेलों पर आईपीएस आनंद कुमार ने ऐसी लगाम लगाई कि जेलों में मोबाइल चलाने, अपराधियों के गठजोड़ की खबरें मिलनी खत्म सी हो गई। यह आईपीएस आनंद कुमार की ही कार्यशैली है ,जो जेल बदनाम हुआ करती थी अब उन जिलों में अब रेडियो गूंजता है। कत्ल करने वाले हाथ अब क्रिकेट खेल रहे हैं। जेलों में बदलाव तब भी दिखाई पड़ा जब कोरोना संक्रमण का कहर शुरू हुआ तो सबसे पहले उत्तर प्रदेश की जेलों ने मास्क बनाना शुरू कर दिया था। आईपीएस आनंद कुमार ने यूपी की जेलों को सेनीटाइज कराने के साथ-साथ ऐसी व्यवस्थाएं कर दी थी कि जेलों में कोरोना का संक्रमण अपने पैर नहीं फैला पाया।

एक साल के कार्यकाल में आईपीएस आनंद कुमार ने जेलों की दशा बदल कर रख दी है। उनके साल के कार्यकाल पर खोजी न्यूज़ की स्पेशल स्टोरी।




 


                                                                                       जेलों मे सख्ती , मोबाईल पर पाबंदी  

 उत्तर  प्रदेश की जेलों में अक्सर  प्रभावशाली बंदियों के मोबाइल फोन का उपयोग आपराधिक गतिविधियों के संचालन करने कि खबरें मिलती रहती थी । अधिकारियों द्वारा नियत्रंण करने की कोशिश करने पर वे जेलों में वीडियो बनाकर मीडिया में वायरल करने तथा विभागीय कार्यवाही कराने की धमकी देकर उनको मनोवैज्ञानिक दबाव में रखने की कोशिश करते  थे। इसी को देखते हुए जेलों की उपरोक्त स्थिति पर नियत्रंण करने के लिये शासन, कारागार मुख्यालय तथा जिला पुलिस प्रशासन के एकीकृत सहयोग से जेलों में दो माह तक निरन्तर आकस्मिक तलाशी अभियान चलाया गया, जिन बंदियों के पास से अवैध वस्तुए प्राप्त हुई , उन्हें दूरस्थ कारागारों में स्थानान्तरित किया गया तथा उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कराने की कार्यवाही की गयी। ऐसे बंदियों को सहयोग करने वाले जेल कर्मियों के खिलाफ कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की गयी। कुछ एक जेल कार्मिकों की बर्खास्तगी भी की गयी।




 जेलों  में अवैध वस्तुएं  तलाशी के दौरान प्राप्त होने पर पहले अधिकारियों तथा कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाती थी। प्रायः अवैध वस्तुओं का प्रयोग करने वाले बंदियों के खिलाफ जेल मैनुअल में वर्णित साधारण दण्डात्मक कार्यवाही की जाती थी जिससे बंदियों में जेल प्रशासन का खौफ नही था। दूसरी तरफ जेल कार्मिकों पर दण्डात्मक कार्यवाही का मनोवैज्ञानिक दबाव बना रहता था। ऐसे में उनमें यह नकारात्मक भाव घर कर गया था कि कारागार विभाग में अच्छे या खराब सभी तरह के कार्यो सिर्फ दण्ड मिलता है। डीजी आनंद कुमार ने इस पर बदलाव करते हुए जेल  विभाग के ईमानदार, कर्तव्यनिष्ट  व बहादुर अधिकारियों का मनोबल बनाये रखने के लिये तथा जेलों को अवैध वस्तुओं से मुक्त करने की दिशा में मुख्यालय से यह आश्वस्त किया गया कि यदि जेल अधिकारी द्वारा की गयी तलाशी में बंदियों के पास से अवैध वस्तुओं की प्राप्ति होगी तो ऐसी दशा में बंदियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी,  जेल अधिकारियों के खिलाफ कुछ नहीं किया जाएगा। इसका नतीजा आया कि  एक वर्ष में कारागारों से बंदियों  द्वारा वीडियो वायरल की एक भी घटना प्रकाश में नही आयी है।

         

 



     जेलों में बँटने लगे इनाम  

डीजी आनंद कुमार ने  उत्तर प्रदेश की जेलों में तैनात अधिकारियों तथा कर्मचारियों का मनोबल बढाने हेतु पुलिस विभाग में महानिदेशक का प्रशस्ति पत्र देने की व्यवस्था की भाॅति जेलों में भी ईमानदार, कर्तव्यनिष्ट , योग्य व बहादुर कार्मिकों को महानिरीक्षक कारागार का स्वतन्त्रता दिवस तथा गणतन्त्र दिवस के अवसर पर स्थायी रूप से कमेण्डेशन डिस्क देने की व्यवस्था प्रारम्भ की। स्वतन्त्रता दिवस 2019 तथा गणतन्त्र दिवस 2020 के अवसर पर 180 कार्मिकों को कमेण्डेशन डिस्क दी गयी। इसके साथ साथ डीजी आनंद कुमार ने  जेलों में सुधारात्मक एवं बंदी कल्याण की गतिविधियों से निरन्तर जुडे हुये 98 स्वयं सेवी संगठनों एवं व्यक्तियों को भी प्रथम बार कारागार महानिरीक्षक का प्रशस्ति पत्र दिया गया। इन संस्थाओं द्वारा जहाॅ और अधिक मनोयोज्ञ से बंदी कल्याण के कार्यक्रमों में योगदान दिया गया है, वहीं अन्य संस्थाएं भी प्रेरित हुई  है।

                                                                                 मीडिया से बनाए बेहतर ताल्लुक 

 जेलों में बंदियों के सर्वागीण विकास हेतु सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, खेल कूद, योगा तथा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कौशल विकास से सम्बन्धित अनेक गतिविधियाॅ निरन्तर चलती रहती है किन्तु जन सामान्य तक कारागारों में घटित कतिपय दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं भी प्रायः पहुॅचती है। इसका मुख्य कारण यह रहा है कि कारागार मुख्यालय में कोई मीडिया सेल/जनसम्पर्क अनुभाग नही था। ऐसे में बाध्य होकर मीडिया प्रायः अपुष्ट स्रोतों  से प्राप्त सूचनाएं प्रकाशित करता रहा है। डीजी आनंद कुमार ने हमेशा कि तरह मीडिया से जेल विभाग के ताल्लुक बेहतर बनाने के लिए  कारागार मुख्यालय पर एक मीडिया सेल का गठन किया तथा प्रेस विज्ञप्ति और सोशल मीडिया का उपयोग सूचनाएं के आदान-प्रदान हेतु किया गया। वर्तमान में कारागार विभाग के वाट्सऐप ग्रुपDG PRISONS UP  ट्विटर हैण्डिल /My /DgPrisons फेसबुक  पेज UPPrisons मीडिया में बेहद लोकप्रिय है। मीडिया सेल के गठन से विभाग की सृजनात्मक तथा कल्याणकारी गतिविधियाॅ अथवा जेलों में घटित दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की सूचना मीडिया को आधिकारिक रूप से मिलने लगी है। परिणामस्वरूप  जन सामान्य तथा शासन व प्रशासन में विभाग की छवि सुधरी है।

                                                                                            कारागारों में हुआ काम 

 देश में सर्वाधिक बंदी जनसंख्या उत्तर प्रदेश की 71 जेलों में निवास करती है तथा अधिकांश कारागारों के पुरानी होने के कारण यहाॅ ओवरक्राउडिंग की समस्या भी है। ऐसे में मुख्यालय स्तर से ओवरक्राउडिंग को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया गया हैं। डीजी आनंद कुमार के कार्यकाल मे  रू0 99.00 करोड़ की लागत से नवनिर्मित 971 बंदी क्षमता की जिला कारागार अम्बेडकर नगर का  मुख्यमंत्री द्वारा दिनांक 09.12.2019 को लोकार्पण किया गया तथा वर्तमान में निर्माणाधीन जिला कारागार श्रावस्ती, संतकबीर नगर, प्रयागराज तथा इटावा की कारागारों का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण कराकर क्षमता सृजन कराया जा रहा है।

 इसके साथ साथ जिला कारागार ललितपुर में 30 क्षमता की 02 बैरक एवं जिला कारागार, अलीगढ़ में 30 क्षमता 01 महिला बैरक का निर्माण पूर्ण कराकर 90 बंदी क्षमता सृजित की गयी एवं जिला कारागार फतेहगढ़ तथा आगरा की नवीन मुख्य प्राचीरों का निर्माण पूर्ण कराया गया। 08 कारागारों में विभिन्न श्रेणी के 57 आवासों का निर्माण एवं 06 कारागारों क्रमशः फतेहपुर, बागपत, फिरोजाबाद, बांदा, गोण्डा एवं केन्द्रीय कारागार, फतेहगढ़ में कैम्पस बाउण्ड्रीवाल का निर्माण पूर्ण कराया गया। 15 कारागारों क्रमशः जिला कारागार गोरखपुर, बलिया, मथुरा, फिरोजाबाद, मेरठ, बुलन्दशहर, अलीगढ़, रायबरेली, लखनऊ, फैजाबाद, प्रतापगढ़, फतेहपुर एवं केन्द्रीय कारागार वाराणसी फतेहगढ़ व बरेली में टयूबवेल की स्थापना एवं 07 कारागारों क्रमशः देवरिया, गोरखपुर, गाजीपुर, बलिया, मेरठ, एटा एवं के0का0 वाराणसी में विजिटर शेड का निर्माण पूर्ण कराया गया।

इसके अलावा  02 कारागारों में महिला अहाते में क्रेच किचन एवं अस्पताल वार्ड, 01 कारागार में पाकशाला 02 कारागारों में नालियों, 01 कारागार में मल्टीपरपज हाल, 01 कारागारों में वाचटावर, 01 कारागारों में पुलिस चैकी का निर्माण पूर्ण कराया गया। जनपद कुशीनगर एवं हाथरस में जिला कारागार के निर्माण हेतु भूमि क्रय के लिए रू0 80.00 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गयी।

         जेलों से बंदियों कि रिहाई 

डीजी आनंद कुमार के प्रयास से उत्तर प्रदेश की विभिन्न कारागारों में निरूद्ध बंदियों को विभिन्न प्राविधानों के अन्तर्गत 142 आजीवन कारावास के बंदी समयपूर्व रिहा हुए  एवं समयपूर्व रिहाई की स्थायी नीति के अन्तर्गत गणतन्त्र दिवस 2020 के अवसर पर 184 बंदियों को समयपूर्व रिहाई का लाभ प्राप्त हुआ। गरीब तथा सजा के एवज में जुर्माना राशि अदा न कर पाने वाले असहाय बंदियों की जुर्माना राशि जमा कर 281 बंदी भी रिहा कराये गये। इसके अलावा  567 बंदियों को निशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध करायी गयी तथा कारागारों में लोक अदालतों का आयोजन कर इनके माध्यम से 2451 बंदियों को रिहाई का लाभ प्राप्त हुआ।

                                                                                                जेलों में होने लगा मनोरंजन 

जेलों मे बंदियों के तनाव की खबरें अक्सर मिलती थी डीजी आनंद कुमार ने  बंदियों को अवसाद एवं तनाव से बचाने की दिशा में भी काफी प्रयास किया गया है। उन्हें स्वस्थ मनोरंजन एवं सूचनाएं प्रदान करने हेतु कुल 1190 एलईडी टेलीविजन जेल की बैरकों में अब तक लगाए गए । प्रदेश की कारागारों में बंदियों द्वारा संचालित जेल रेडियो स्थापित कराया गया है। वर्तमान में 26 जेलों में जेल रेडियो सफलतापूर्वक चल रहे है। एक साल के कार्यकाल मे  बंदियों को सामूहिक रूप से सम्बोधित करने, व्याख्यान देने, भजन सुनाने आदि हेतु सभी कारागारों में पब्लिक एड्रेस सिस्टम, 40 कारागारों में डाक्यूमेण्ट्री फिल्म दिखाने एवं प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु मल्टी मीडिया प्रोजेक्टर दिये गये हैं। सभी कारागारों में अच्छे कार्यक्रमों की फोटोग्राफ लेने हेतु 71 अद्द डिजिटल कैमरें दिये गये है ताकि जन सामान्य में प्रचार-प्रसार हो सकें।

                                                                                   कारागारों पर जमायी  निगाहें 

उत्तर  प्रदेश की कारागारों में स्थापित 2750 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फीड कारागार मुख्यालय में प्राप्त कर उच्चस्तरीय निगरानी हेतु 55 इंच की 12 एलईडी पैनल से निर्मित वीडियो वाॅल का लोकार्पण  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  द्वारा कारागार मुख्यालय में दिनाक  06.12.2019 को किया गया। यह स्वयं में पूरे देश में अपने प्रकार का अभिनव प्रयास हैं। वीडियो वाॅल के निरन्तर संचालन होने से कारागारों में उच्च स्तरीय निगरानी का मनोवैज्ञानिक दबाव बना है। इससे सुरक्षा तथा सामान्य प्रबन्ध व्यवस्था सुदृढ़ हुई  है। वर्तमान में कोविड-19 के अन्तर्गत कारागारों में निर्धारित नियमों का पालन कराने में भी वीडियो वाॅल की महती उपयोगिता सिद्व हुई  है।

                                                                                          कारागार कर्मियों को मिलने लगी सौगाते 

 डीजी आनंद कुमार ने अपने एक साल के कार्यकाल मे कारागारों की तलाशी व्यवस्था को सुदृढ करने की दिशा में उत्तर प्रदेश पुलिस सुरक्षा मुख्यालय के माध्यम से 121 अद्द डीप सर्च मेटल डिटेक्टर सभी कारागारों को उपलब्ध कराए । इसके अलावा  01 डीप सर्च मेटल डिटेक्टर प्रशिक्षण के दौरान ही इसका संचालन करने के प्रशिक्षण हेतु सम्पूर्णानन्द कारागार प्रशिक्षण संस्थान को भी उपलब्ध कराया गया। रू0 407.00 लाख की लागत से प्रदेश की 15 कारागारों की 20 पाकशालाओं को आधुनिकृत किये जाने की इनमें चपाती मेकर, आटा गूथने की मशीन, वैनमेरी, भोजन वितरण ट्राली आदि आधुनिक उपकरणों की व्यवस्था करायी गयी।

उन्होंने  कारागारों में बंदी उपद्रव के समय कारागार कर्मियों की सुरक्षा हेतु सभी कारागारों में उनकी आवश्यकता के अनुसार 1250 हैलमेट, 1250 चेस्ट प्रोटेक्टर, 1250 पाली कार्बोनेट शील्ड, 1250 लाठी एवं 71 लाउडहीलर की व्यवस्था करायी। डा0 सम्पूर्णानन्द कारागार प्रशिक्षण संस्थान में निर्मित महिला छात्रावास एवं व्याख्यान कक्ष को राज्य मंत्री द्वारा दिनांक 04.12.2019 को लोकापर्ण कराया गया। विभाग में कम्प्यूटर आपरेटर ग्रेड-2 के 73 पद, परिक्षेत्रीय कार्यालयों हेतु विभिन्न श्रेणी के 12 पद, डा0 सम्पूर्णानन्द कारागार प्रशिक्षण संस्थान हेतु विभिन्न श्रेणी के 13 पद, निर्माणाधीन जिला कारागार संतकबीर नगर हेतु 103 पदों का सृजन किया गया। लिपिकीय संवर्ग के 86 कर्मचारियों, उप कारापाल से कारापाल पद पर 04 एवं जेल वार्डर से हेड जेल वार्डर पद पर 330 कार्मिकों की पदोन्नति की गयी। ई-प्रिजन कार्ययोजना के अन्तर्गत प्रदेश की सभी कारागारों में 06 माह की अवधि के लिये भारत सरकार अनुदानित योजना के अन्तर्गत यूपी डेस्को के माध्यम से सहायक प्रोग्रामर व डेटा मैनेजमेण्ट असिस्टेण्ट स्तर के 75 मैनपावर की व्यवस्था करायी गयी।

                                                                                         कोरोना पर कारागारों ने  किया प्रहार 

उत्तर  प्रदेश में जब कोरोना का एक भी केस नही था किन्तु विभिन्न देशों में लगातार कोरोना महामारी की खबरें आ रही थी। ऐसे में कारागार के बंदियों तथा स्टाफ को कोरोना संक्रमण से बचाने हेतु कारागार मुख्यालय द्वारा पहली गाइड लाइन दिनाक  06 मार्च 2020 को जारी की गयी। प्रदेश की सभी कारागारों को सिलाई यूनिटों की स्थापना कराकर मास्क निर्माण का कार्य युद्व स्तर पर प्रारम्भ करने के निर्देश दिये गये। बंदियों को भी मास्क व सेनीटाइजर बनाने में अपना योगदान देने हेतु प्रोत्साहित किया गया। जेलों में बैनर, पोस्टर हेतु पब्लिक एड्रेस सिस्टम द्वारा बंदियों को कोरोना से बचाव हेतु जागरूक किया गया। परिणामस्वरूप अब तक 16,53,471 लाख मास्क तथा 2125 पीपीई किट का निर्माण किया जा चुका है। विभिन्न कारागारें अपनी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु सेनीटाइजर का भी निर्माण कर रही है जो कि कारागारों में ही उपयोग किया जा रहा है। निर्माण करके सर्वप्रथम बंदियों तथा कारागार कार्मिको को दिया जा चुका है जबकि लगभग 12 लाख मास्क तथा लगभग 250 पीपीई किट विभिन्न शासकीय संस्थानों तथा गैर शासकीय संस्थानों को दिया गया है।

 प्रदेश की जेलों को कोरोना संक्रमण से बचाने हेतु 51 जिलों में कुल 65 अस्थायी जेलों का निर्माण किया गया है। नये बंदी इन कारागारों में रखे जा रहे है तथा कोविड टेस्ट के बाद निगेटिव पाये जाने वाले बंदियों को ही स्थायी जेलों में निरूद्ध किया जा रहा है। नये बंदियों को टेस्ट में पाॅजीटिव पाये जाने पर उन्हें विभिन्न कोविड अस्पतालों में भर्ती कराया जाता है। निगेटिव पाये जाने पर इन बंदियों को भी कारागार में निरूद्धि के दौरान 14 दिन क्वारनटाइन में रखने की व्यवस्था की गयी है। आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्गत गाइड लाइन का अनुपालन सुनिश्चित करते हुये कारागारों में निरूद्ध बंदियों का इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिये आर्युवेदिक काढ़ा तथा होम्योपैथिक औषधि नियमित रूप से दी जा रही है।

 कारागारों में आगन्तुकों/बंदियों के परिजनों का प्रवेश पूर्ण रूप से निषिद्ध कर दिया गया है। बंदियों की मुलाकात रोक दी गयी है तथा वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में बंदियों की उनके परिजनों से जेल में स्थापित पी0सी0ओ0 से वार्ता करायी जा रही है।  समय से कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये उठाये गये कदमों के बदौलत आज उत्तर प्रदेश की जेलों में कोरोना का संक्रमण अप्रत्याशित रूप से कम है। वर्तमान में 8272 कोविड टेस्ट बंदियों के तथा 926 कोविड टेस्ट जेल कार्मिकों के किये जा चुके है जिसमें वर्तमान में मात्र 37 बंदी ही कोरोना पाॅजीटिव है जिनका विभिन्न कोविड अस्पतालों में ईलाज कराया जा रहा है। 02 बंदियों को कोरोना संक्रमण से मृत्यु हुई है जबकि कोई भी जेल कर्मी वर्तमान में कोरोना पाॅजीटिव नही है।



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