IMF ने कोरोना में छात्रों की शिक्षा पर जताई चिंता

IMF ने कोरोना महामारी की शुरुआती दो सालों में पांच से 19 वर्ष के छात्रों की पढ़ाई पर पड़े प्रभाव को लेकर एक विश्लेषण किया

Update: 2022-03-23 15:02 GMT

नयी दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कोरोना महामारी की शुरुआती दो सालों में पांच से 19 वर्ष के छात्रों की पढ़ाई पर पड़े प्रभाव को लेकर एक विश्लेषण किया है जिसमें पता चला कि सीखने की हानि अत्यधिक रूप से असमान रही।

विश्लेषण इन छात्रों के कक्षा समय पर पड़े प्रभाव की अवधि को दर्शाता है, ये छात्र दुनिया की आबादी का लगभग एक चौथाई हिस्सा बनाते हैं। कोरोना के संकट में दो साल से अधिक समय से दुनिया भर में लाखों स्कूल बंद हैं और इसमें ओमिक्रोन के खतरे के कारण बहुत से स्कूलों को दोबारा बंद किया गया है।

छात्र महामारी के कारण पढ़ाई में नुकसान का सामना कर रहे हैं, जिसका प्रभाव वर्षों तक रह सकता है जबकि कोरोना वायरस से पुरानी पीढ़ियों से अपेक्षाकृत अधिक मृत्यु हुयी हैं। कोरोना से युवा वर्ग के लोग अपने काम के वर्षों की अवधि के लिए अपनी आजीविका पर प्रभाव महसूस कर सकते हैं। अर्थव्यवस्था में भी एक तरह से जीवन पर पड़े कोविड के प्रभाव की तरह लंबा असर पड़ सकता है, जिसमें प्रत्येक पीढ़ी के अलग-अलग निशान होंगे।

आईएमएफ के अप्रैल राजकोषीय मॉनिटर का अनुमान है कि 2020 के अंत तक कक्षा बंद होने से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में स्कूल शिक्षा का नुकसान स्कूल वर्ष के एक चौथाई और उभरती एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में आधे तक था। विश्लेषण से पता चलता है कि अक्टूबर के दौरान ये असमान रूप से सीखने के नुकसान पूरे देशों में बने रहे।


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