गौरैया के प्रति चिकित्सक में उमडे जज्बात-उपलब्ध कराई हेलमेट की सुरक्षा

देशभर में पिछले काफी समय से पर्यावरण की संरक्षक कहीं जाने वाली गौरैया चिड़िया को बचाने की कवायद की जा रही है।

Update: 2021-06-18 11:48 GMT

मुजफ्फरनगर। गांव देहात के अलावा शहरों व कस्बों के बाहरी इलाकों के घरों के आंगन में आमतौर पर फुदकते हुए बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने वाली चिड़िया गौरैया के संरक्षण की देशभर में काफी कोशिशें हो रही हैं। पर्यावरण की संरक्षक कहीं जाने वाली गौरैया ने जब खूंटी पर लटके हेलमेट में पनाह लेते हुए अपना घर बना लिया तो चिकित्सक के भीतर भी गौरैया के प्रति प्रेम उमड़ आया। जिसके चलते उन्होंने घोसले को नष्ट करने के बजाए हेलमेट गौरैया के आशियाने के लिए ही छोड़ दिया।

देशभर में पिछले काफी समय से पर्यावरण की संरक्षक कहीं जाने वाली गौरैया चिड़िया को बचाने की कवायद की जा रही है। जिसके चलते स्कूलों आदि में कृत्रिम घोंसले बनाकर विभिन्न स्थानों पर लटका दिये जाते है। इसका उद्देश्य यही है कि इन घोंसलों में गौरैया पनाह लेते हुए प्रजनन प्रक्रिया पूरी करें। जिससे गौरैया की निरंतर कम हो संख्या में बढोत्तरी हो सके। लेकिन देशभर में बढ़ रही औद्योगिक इकाईयों और गतिविधियों के अलावा लोगों के बने पक्के घरों के चलते घर आंगन में आमतौर पर फुदकती हुई दिखाई देने वाली गौरैया को अब अपना अस्तित्व ही बचाना भारी पड़ रहा है। इसके चलते यह चिड़िया विलुप्त होने के कगार पर पहुंचती जा रही है। जनपद के भोपा थाना क्षेत्र के बेलडा गांव में जब एक चिकित्सक द्वारा खूंटी पर टांगे गए हेलमेट में गौरैया ने पनाह लेते हुए उसमें अपना घोंसला बना लिया तो चिकित्सक के मन के भीतर भी गौरैया के प्रति जज्बात जाग उठे और उन्होंने घोंसला नष्ट करने के बजाए अपना हेलमेट गौरैया के आवास के लिए ही छोड़ दिया। दरअसल यह दिलचस्प व प्रेरणादायक मामला भोपा क्षेत्र के गाँव बेलडा का है। जहाँ एक आदिल मिजाज डॉक्टर ने अपने हेलमेट में गौरैया को पनाह दी है। बेलड़ा निवासी 55 वर्षीय डॉक्टर ओमपाल सिंह को मोटरसाइकिल द्वारा घर से बाहर जाना था, जिसके लिये उन्होंने खूँटी पर टँगे हेलमेट को उठाना चाहा। तभी उनकी नजर हेलमेट पर बैठी गौरैया पर पड़ी। डॉक्टर साहब ने पाया कि गौरैया ने हेलमेट के अन्दर अपना घोंसला बना लिया है। हालांकि हेलमेट के भीतर घोंसला बनाने के लिये गौरैया द्वारा इस्तेमाल किये गये तिनको को हटा देना कोई मुश्किल भरा काम नही था। किन्तु मासूम चिड़िया के द्वारा रखे गये तिनके उनके कोमल हृदय पर भारी पड़ गये। डॉक्टर साहब ने अपने इरादे का त्याग करते हुवे अपने हेलमेट को गौरैया के हवाले कर दिया है। अब गौरैया इस हेलमेट में घोंसला बनाकर चहचहा रही है।

कहना गलत नही होगा कि गौरैया जो अब विलुप्त होते पक्षियों की कतार में है उसके लिये संयोगवंश ही सही ये प्रयास काबिले तारीफ हैं ।

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