बजट में कृषि सेक्टर के लिए की गई घोषणाओं पर अशोक बालियान का विश्लेषण

केन्द्र सरकार के बजट 2021-22 में कृषि सेक्टर के लिए एग्रीकल्चरल क्रेडिट टारगेट और अधिक बढ़ाए जाने की घोषणा की है

Update: 2021-02-01 13:27 GMT

मुज़फ्फरनगर। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान ने  केन्द्रीय बजट 2021-22 में कृषि सेक्टर के लिए की गई घोषणाओं का विश्लेष्ण करते हुए लिखा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केन्द्र सरकार के बजट 2021-22 में कृषि सेक्टर के लिए एग्रीकल्चरल क्रेडिट टारगेट (कृषि ऋण लक्ष्य) और अधिक बढ़ाए जाने की घोषणा की है इस बजट में कृषि ऋण लक्ष्य 16.5 लाख करोड़ रुपये का है, जबकि पिछली बार यह 15 लाख करोड़ रुपये का था। किसानों को साहूकारों और सूदखोरों के चंगुल में फंसने से बचाने के लिए और खेती के कार्य के लिए सस्ती दर ऋण उपलब्ध कराने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड देती है। इसमें प्रतिवर्ष समय से ऋण व् ब्याज जमा करने पर 4 प्रतिशत ही ब्याज देना होता है।

नावार्ड के अंतर्गत 5,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर माइक्रो इरिगेशन फंड को दोगुना कर 10,000 करोड़ रुपये किया जाएगा। ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष में किए जा रहे आवंटन को 30,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।


देश में 1,000 और मंडियों को इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय बाजार से जोड़ा जाएगा। बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) को फंड उपलब्ध कराया जाएगा और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्टर फंड का खर्च बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये किया जाएगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2013-14 में गेहूं पर सरकार ने 33 हजार करोड़ रुपए खर्च किए थे। वर्ष 2019-20 में हमने 63 हजार करोड़ रुपए की खरीदारी की थी, जो इस वर्ष बढ़ कर लगभग 75 हजार करोड़ रुपए हो गई है। धान खरीदारी पर वर्ष 2013-14 में 63 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे, और इस वर्ष 2020-21 में ये आंकड़ा एक लाख 72 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। इसका लाभ प्राप्त करने वाले किसानों की संख्या जो 2019-20 में 1.24 करोड़ थी वह बढ़कर 2020-21 में 1.54 करोड़ हो गई है।

दाल उत्पादक किसानों को वर्ष 2013-14 में 236 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। वर्ष 2019-20 में यह राशि बढ़कर 8,285 करोड़ रुपये हो गई थी और अब 2020-21 में यह राशि 10,530 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है जो कि 2013-14 की तुलना में 40 गुना अधिक है।


जनवरी 2021 तक 25,974 करोड़ रुपए की कपास खरीद हो चुकी थी जो कि वर्ष 2013-14 में मात्र 90 करोड़ रुपए ही थी। इस प्रकार पिछले छह साल में धान, गेहूं, दालों और कपास जैसी फसलों की खरीद कई गुना बढ़ी है। वर्ष 2020-21 में संशोधित उर्वरक सब्सिडी 133947 करोड़ थी, जबकि 2021-22 में अनुमानित बजट 79530 रुपए है। यानि उर्वरक सब्सिडी कम हो गई है।

केंद्र सरकार कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट में 22 और उत्पादों को शामिल करेगी। और ऑपरेशन ग्रीन स्कीम के तहत 22 जल्दी नष्ट होने वाली सब्जियां शामिल होंगी।

कृषकों को लाभ पहुंचाने के लिए कपास पर सीमा शुल्क को शून्य से बढ़ाकर 10% और कच्चा रेशम ओर रेशम सूत पर 10% से बढ़ाकर 15% कर दिया गया है। कृषि के काम आने वाली मशीनों पर भी टैक्स को कम कर उन्हें सस्ता करने का प्रयास किया गया है। इस प्रकार बजट में किसानों की आय का ध्यान रखा गया है और इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं।

हेल्थ सेक्टर के बजट को 94,000 करोड़ से बढ़ाकर 2.38 लाख करोड़ कर दिया गया है, इससे ग्रामीण आबादी को लाभ होगा। देश में 15,000 से अधिक स्कूलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत गुणात्मक रूप से मजबूत बनाने की घोषणा की है। अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का ऐलान किया।

केंद्र सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत हर साल लगभग 14 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचा रही है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 6.11 करोड़ किसानों का बीमा कराया गया है। इस प्रकार फसल बीमा योजना का लाभ अब तक आधे किसानों को भी नहीं मिल पाया है। ऐसे में देश के सात करोड़ से ज्यादा किसान हर साल अपनी फसलों को लेकर अनिश्चित जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। इस पर केंद्र सरकार को सोचना होगा।

इस बजट में कृषि, ग्रामीण विकास, सिंचाई और संबंध कार्यों पर 2.83 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। विकास खंड स्तर पर बागवानी क्षेत्र में माल गोदाम स्थापित करने का प्रस्ताव है। वर्ष 2025 तक दूध प्रसंस्करण क्षमता को 53.5 से बढ़ाकर 108 मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अनुसार यह बजट स्वागत योग्य है।

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