अधूरे पोपट पत्रकारों पर एसएसपी अभिषेक यादव का प्रहार

Update: 2020-05-22 15:35 GMT

मुजफ्फरनगर। तालीम से कोई ताल्लुक नहीं, मगर गले में आईडी रिबन (पट्टा) उसमें लगा प्लास्टिक का 50 से 100 रुपये में प्रिंट प्रेस कार्ड डालकर जब ऐसे लोगों की भीड़ धीरे धीरे मुजफ्फरनगर के कोने कोने में फैलने लगी, तब कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन में मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक यादव के निशाने पर यह अधूरे पोपट पत्रकार आ गए । एक पोपट पत्रकार पर पुलिस ने एफआईआर की, जिस पर एसएसपी अभिषेक यादव को जब पत्रकारों की तरफ से धन्यवाद मिला तो उसके बाद पुलिस की मुहिम जोर पकड़ गई। आज एसएसपी अभिषेक यादव ने पैसे लेकर प्रेस कार्ड जारी करने वाले संपादक के गले में भी पुलिस का फंदा डालकर ऐसे अधूरे पोपट पत्रकारों में हड़कंप मचा दिया है।

पत्रकारिता ऐसा फील्ड है जो समाज को दिशा देने के साथ-साथ सरकार, पुलिस, प्रशासन व आम जनता को आईना दिखाने व उनके बेहतर कार्य एवं कार्यक्रम को भी पत्रकार प्रकाशित एवं प्रसारण करता है। यह सब करने वाला पत्रकार सुबह से शाम तक एक्सक्लूसिव खबरों की फिराक में घूमता रहता है, ताकि अच्छी स्टोरी करने पर उसे संस्थान की तरफ से शाबाशी मिल सके, मगर कई सालों से इन पत्रकारों के सामने अधूरे पोपट पत्रकारों ( व्हाट्सएप एवं फेसबुक के टाइप बॉक्स में जाकर खबर को बोलकर ऑटोमेटिक टाइप होने पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने एंव पैसे के बल पर प्रेस कार्ड हासिल करने वाले  ) की फौज आकर खड़ी हो गई। इसके साथ साथ एक तबका और इस फ़ौज में इनकी देखा देखी शामिल हो गया। वह तबका जो अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, कन्नड़, तमिल, मराठी भाषाएं तो छोड़ दीजिए, हिंदी भी नहीं जानता है। उन्होंने पोपट पत्रकारों के साथ तिकड़म लगाई और चांदी के जूतों की चमक (रुपया ) के बल पर प्रेस कार्ड प्राप्त कर फील्ड में घूमने लगे।

इन अधूरे पोपट पत्रकारों के साथ खड़ी हुई अनपढ़ लोगों की टीम में ऐसे लोग भी आ जुड़े, जिनको पत्रकारिता की एबीसीडी तो आती ही नहीं , उनका अपराधिक चरित्र भी सबके सामने है। पुलिस के रजिस्टर नंबर 8 में दर्ज  पत्रकार का मुखौटा लगाने वाले ऐसे जनाब का प्रेस कार्ड हासिल करने का मकसद पुलिस की गैंगस्टर, गुंडा एक्ट, हिस्ट्रीशीट एवं किसी अन्य कार्रवाई से कैसे बचा जाए , होता है। अधूरे पोपट पत्रकार और उनकी टीम में जुड़े लोग जिनकी शिक्षा भी निम्न स्तर की है, ने इस जिले में अवैध वसूली का ऐसा खेल शुरू किया हुआ है कि राशन डीलर, होटल संचालक, छुटभैये डॉक्टर के साथ-साथ छोटे स्तर के पुलिस एंव प्रशासनिक कर्मचारियों को भी यह वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करते हैं। अभी हाल ही में खालापार में एक विकलांग राशन डीलर की दुकान पर सोशल डिस्टेंसिंग का मामूली उल्लंघन क्या हुआ, एक ऐसे ही अधूरे पोपट पत्रकार ने उसकी वीडियो बनाकर कार्यवाही कराने के नाम अपनी जेब गर्म कर ली। तहसील, राशन से जुड़े दफ्तरों, पुलिस थाने, चौकियों में मंडराने वाले इन अधूरे पोपट पत्रकारों से गरीब आदमी का बचना मुश्किल हो गया है। ऐसे अधूरे पोपट पत्रकार पुलिस चौकियों में प्रेस कार्ड डालकर मुखबिरी के कारोबार में भी लिप्त हो गए हैं । कई बार तो शिकायत के बाद थाना प्रभारियों ने ऐसे अधूरे पोपट पत्रकारों से गरीब लोगों से वसूला गया रुपया वापस कराया है। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है की प्रेस कार्ड डालकर घूम रहे इन लोगों ने ब्याज का धंधा भी शुरू किया हुआ है। 10 से लेकर 20 परसेंट तक के ब्याज पर यह अधूरे पोपट पत्रकार एवं उनके साथी गरीब आदमियों को पहले ब्याज पर रुपए देते हैं फिर उसका मकान, दुकान, मोटरसाइकिल हड़प लेते हैं।

इन पोपट पत्रकारों को शब्दों का भी ज्ञान नहीं है। पूरे विश्व में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन लगा हुआ है। कोरोना वायरस एवं लॉक डाउन, इन दो शब्दों का पूरे विश्व में बच्चे बच्चे को ज्ञान हो गया है, लेकिन अधिकतर पोपट पत्रकार इन शब्दों को अभी भी कोरोना को करोना तथा लॉकडाउन को लोग डाउन या लोक डाउन लिखकर ही पोस्ट कर रहे हैं। हद तो तब हो गई जब 4 अप्रैल को बुनियादी शिक्षा से वंचित  एक समाचार पत्र के संपादक एवं स्वयं घोषित पत्रकार नेता ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कोरोना वायरस को करुणा बारिश बोलते हुए लिखकर ही पोस्ट कर दिया। यहां गलती सुधार भी ली जाती, तब भी ठीक था, मगर यह पोस्ट फेसबुक की शोभा बढ़ाती रही। संपादक साहब ने करेक्शन करने की जहमत नहीं उठाई, उठाते भी कैसे जब तालीम से कभी ताल्लुक ही नहीं रहा। 

ऐसे लोगों पर एसएसपी अभिषेक यादव ने शिकंजा कसना शुरू किया तो कई लोगों ने अपने गले से प्रेस कार्ड निकाल कर रख दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि ऐसे लोगों में एसएसपी अभिषेक यादव के अभियान से इतनी दहशत पैदा हो गई है कि अभी तक गाड़ी और मोटरसाइकिल पर प्रेस लिखकर घूम रहे अधूरे पोपट पत्रकारों ने अपने वाहनों पर लगे स्टीकर को भी फाड़ दिया है, हालांकि इनमें से अभी कुछ प्रेस कार्ड किनारे रखकर मुखबिरी के बल पर पुलिस चौकियों में अपनी पकड़ बरकरार रखे हुए हैं। एसएसपी अभिषेक यादव का यह अभियान जहाँ पत्रकारों का सम्मान बचाने वाला साबित होगा, वही गरीब लोग जो इनके शिकंजे में फंस कर बिना किसी सुविधा शुल्क के निकल नहीं पाते थे अब  उनका भी भला हो जाएगा। 

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