तीन तलाक़ पर राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल को मिली बड़ी कामयाबी

तीन तलाक़ कानून के खिलाफ पहली याचिका राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के सदर आमिर रशादी मदनी ने दाखिल की थी। उन्होंने कहा था हकूमत यह कानून बना कर मुस्लिम औरतों के साथ इंसाफ नही बल्कि ज़ुल्म कर रही है।

Update: 2019-08-23 10:14 GMT

नई दिल्ली । तीन तलाक कानून पर सुप्रीम कोर्ट मे राष्ट्रीय सदर मौलाना आमिर रशादी मदनी की तरफ से दाखिल याचिका पर बहस के दौरान राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के वकील सलमान खुर्शीद ने जस्टिस रमन्ना के सामने अपनी दलील रखी और कहा कि यह कानून सरकार की गलत नीयत व औरतों पर जुल्म करने के बराबर है।
जस्टिस रमन्ना ने पूरी दलील सुनने के बाद सरकार को फटकार लगाते हुये नोटिस भेज कर ज्वाब तलब किया है।




 



 सुप्रीम कोर्ट मे मौजूद राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी मदनी ने कहा कि सरकार यह कानून बना कर मुस्लिम औरतों के साथ इंसाफ नही बल्कि ज़ुल्म कर रही है, आज हमारी याचिका पर सुनवाई थी अदालत ने हमें सुना और सरकार को नोटिस भेजा व फटकार लगाई है। हमे उम्मीद है कि हमारे साथ इंसाफ होगा और इस कानून पर रोक लगेगी।



 



 



तीन तलाक बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी. जिसकी सुनवाई करते हुए देश की सुप्रीम कोर्ट ने सेंटर गवर्नमेंट को बड़ा झटका दिया है।




 



जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक कानून की समीक्षा के लिए भी तैयार हो गया है.
याचिका पर सुनवाई पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कोई धार्मिक प्रथा जैसे दहेज़ प्रथा और सती प्रथा को गलत करार दिया गया हो ऐसे में क्या इसे अपराध की सूची में नहीं रखेंगे।




 


बतादें कि तीन तलाक कानून के खिलाफ शीर्ष अदालत में तीन याचिकाएं दाखिल की गई थीं।





 


तीन तलाक़ कानून के खिलाफ पहली याचिका राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल के सदर आमिर रशादी मदनी ने दाखिल की थी। उन्होंने कहा था हकूमत यह कानून बना कर मुस्लिम औरतों के साथ इंसाफ नही बल्कि ज़ुल्म कर रही है।

दूसरी याचिका उलेमा-ए-हिंद ने डाली अपनी याचिका में कहा है कि तीन तलाक कानून का एक मकसद मुस्लिम पतियों को दंडित करना है. यह मुस्लिम पतियों के साथ अन्याय है ।

तीसरी याचिका आल केरल जमीयतुल उलेमा व अन्य ने भी तीन तलाक कानून के खिलाफ याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया कि तीन तलाक कानून से मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।


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