कैबिनेट ने पारादीप से नुमालीगढ़ तक कच्चे तेल की पाइपलाइन और नुमालीगढ़ से सिलीगुड़ी तक उत्पाद पाइपलाइन बिछाने को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने नुमालीगढ़ रिफाइनरी की क्षमता 3 एमएमटीपीए (मिलियन मीट्रिक टन वार्षिक) से बढ़ाकर 9 एमएमटीपीए करने की परियोजना को अपनी मंजूरी दे दी है।

Update: 2019-01-16 11:36 GMT

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने नुमालीगढ़ रिफाइनरी की क्षमता 3 एमएमटीपीए (मिलियन मीट्रिक टन वार्षिक) से बढ़ाकर 9 एमएमटीपीए करने की परियोजना को अपनी मंजूरी दे दी है। इस परियोजना में पारादीप से नुमालीगढ़ तक कच्चे तेल की पाइपलाइन और नुमालीगढ़ से सिलीगुड़ी तक उत्पाद पाइपलाइन बिछाना शामिल है जिन पर 22,594 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वैधानिक मंजूरियां मिल जाने के बाद यह परियोजना 48 महीनों के भीतर पूरी की जाएगी।

व्ययः

22,594 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत का वित्त पोषण ऋण, इक्विटी और वीजीएफ (कम पड़ती धनराशि का इंतजाम) के जरिए किया जाएगा। 15,102 करोड़ रुपये का ऋण नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) द्वारा किया जाएगा। उधर, 2,307 करोड़ रुपये के अपने आंतरिक संसाधनों के अलावा प्रमोटर यथा भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, ऑयल इंडिया लिमिटेड और असम सरकार इक्विटी में भी योगदान करेंगी। इस परियोजना के लिए भारत सरकार 1,020 करोड़ रुपये का वीजीएफ (कम पड़ती धनराशि का इंतजाम) उपलब्ध कराएगी।

प्रभावः

रिफाइनरी के विस्तारीकरण से पूर्वोत्तर क्षेत्र में पेट्रोलियम उत्पादों की कमी पूरी हो जाएगी। इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र की सभी रिफाइनरियों में परिचालन निरंतर जारी रखा जा सकेगा क्योंकि उनके पास कच्चे तेल की उपलब्धता बढ़ जाएगी। इससे असम में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर सृजित होंगे। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए सरकार के 'हाइड्रोकार्बन विजन 2030' का एक हिस्सा है।

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