निर्मला की विकसित देशों से अपील

कोरोना सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरे विश्व की समस्या है। इसलिए इससे लड़ाई के लिए भी सभी देशों को एक मंच पर आना होगा।

Update: 2021-05-05 05:04 GMT

नई दिल्ली। कोरोना सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरे विश्व की समस्या है। इसलिए इससे लड़ाई के लिए भी सभी देशों को एक मंच पर आना होगा। इसीलिए भारत की केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने गत 3 मई को वैक्सीन राष्ट्रवाद के मुद्दे पर दुनिया के विकसित देशों को आगाह किया। वित्तमंत्री ने विकसित देशों से वैक्सीन उत्पादन की जरूरी प्रौद्योगिकी साझा करने और इससे जुड़े महत्वपूर्ण उपकरणों एवं कच्चे माल की बेरोक-टोक आवाजाही की अनुमति देने को कहा है।

कोरोना महामारी को देखते हुए अब व्यापार की परिभाषा को अस्थायी रूप से बदल लेना चाहिए। व्यापार सिर्फ लाभ कमाने के लिए नहीं होना चाहिए। मुनाफा भी तभी मिल पाएगा, जब उपभोक्ता होंगे। आज तो उपभोक्ताओं की जान ही खतरे में है। इसलिए सबसे पहली जरूरत लोगों की जान बचाना है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने विकसित देशों को यही समझाने का प्रयास किया है। हमारे देश में भी 3 मई को कोरोना मरीजों की संख्या 2 करोड़ के पार हो गई। भारत ऐसा दूसरा देश है, जहां 2 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण का शिकार हुए हैं। संक्रमण की रफ्तार इतनी तेज है कि महज 137 दिन में मामले एक करोड़ से 2 करोड़ के पार पहुंच गए। इन पंक्तियों के लिखे जाने के पिछले 24 घंटे में देशभर में कोरोना के 3 लाख 69 हजार 230 नए मामले सामने आए हैं और 3,421 लोगों की कोरोना से जान गई है। राहत की बात यह है कि उसी दिन कोरोना से 2.99 लाख लोग ठीक भी हुए।

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड महामारी के संदर्भ में बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े व्यापार से संबंधित पहलुओं (ट्रिप्स) पर गौर करने का अनुरोध किया। उनका इशारा कोरोना वायरस के टीके अर्थात वैक्सीन की तरफ था। उन्होंने कहा दुनियाभर के देशों को कोविड टीका आधारित प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए तैयार होना होगा। महामारी के संदर्भ में ट्रिप्स समझौते पर गौर करना होगा। टीकों को लेकर कोई राष्ट्रवाद नहीं हो सकता। देशों को इस मामले में लचीला रुख अपनाना चाहिये। ट्रिप्स समझौता विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) सदस्य देशों के बीच एक कानूनी समझौता है। यह सदस्य देशों द्वारा बौद्धिक संपदा के विभिन्न रूपों के विनियमन के लिये मानक स्थापित करता है, जो डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों पर लागू होता है।यह समझौता जनवरी 1995 में प्रभाव में आया था। वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोविड महामारी से निपटने के लिये वैश्विक स्तर पर सबको मिलकर काम करने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड टीके की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिये आवश्यक कच्चे माल तक पहुंच महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों के लिये इस समय जरूरी है कि वे व्यापार को खोलें और कच्चे माल, महत्वपूर्ण उपकरणों और एपीआई (दवा में उपयोग होने वाले प्रमुख रसायन) समेत जरूरी सामान की आवाजाही को सुगम बनायें। हमने पाया है कि टीके के उत्पादन के लिये जरूरी कच्चे माल की आवाजाही को लेकर कुछ बाधाएं हैं। हम यह चाहेंगे कि इस मुद्दे का यथाशीघ्र हल हो ताकि भारत समेत अन्य देश भी अपने यहां कोविड वैक्सीन का उत्पादन कर सकें और जो उत्पादन हो रहा है, उसे बढ़ा सकें। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार यह महत्वपूर्ण है कि कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो और उसकी बेरोक-टोक आवाजाही हो सके।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के दो कोविड वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन का जिक्र करते हुए कहा कि कोविड के उपचार के लिये दो और टीके आने वाले हैं। इसमें एक 'नोजल स्प्रे' (नाक में डाले जाने वाली दवा) के रूप में है। उल्लेखनीय है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया समेत टीका बनाने वाली भारतीय कंपनियों को पिछले महीने उत्पादन में समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि यूरोप और अमेरिका ने महत्वूपर्ण कच्चे माल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया। निर्मला सीतारमण ने भारत बॉयोटेक समेत टीका बनाने वाली दो कंपनियों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि ये कंपनियां निश्चित रूप से सरकार के साथ मिलकर काम कर रही हैं और इस समय उनकी प्राथमिकता लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने की है। इन कंपनियों ने लाभ के मुद्दे को अलग रख दिया हैं। वित्त मंत्री ने इस मौके पर यह भी कहा कि सरकार ने महामारी के दौरान आर्थिक गतिविधियां बनाये रखने के लिये विभिन्न क्षेत्रों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। सरकार ने महामारी के दौरान उनकी मदद के लिए 3 लाख रुपये के कर्ज गारंटी के रूप में वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करायी है। इसके बावजूद अब दवाइयों और आक्सीजन उत्पादन पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।

भारत स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 3मई को कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 2 करोड़ 2 लाख 75 हजार 543 पर पहुंच गई थी जो संक्रमण के कुल मामलों का 17.13 प्रतिशत है। देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2 लाख 22 हजार 666 हो गई है। अब तक 1.62 करोड़ लोग इस वायरस को मात देकर ठीक हो चुके हैं। कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 34 लाख 44 हजार 548 हो गई है। सबसे ज्यादा मौतों वाले देशों में भारत मैक्सिको को पीछे छोड़कर तीसरे नंबर पर आ गया है। यहां अब तक 2 लाख 18 हजार 945 लोग दम तोड़ चुके हैं। इस मामले में अमेरिका पहले नंबर पर है। यहां 5.92 लाख और ब्राजील में 4.07 लाख मौतें हो चुकी हैं। चैथे नंबर पर पहुंचे मैक्सिको में अब तक 2.17 लाख मौतें दर्ज की गई हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने बताया कि देश में 12 राज्य ऐसे हैं, जहां एक लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं। सात राज्यों में 50 हजार से एक लाख के बीच और 17 राज्यों में 50 हजार से भी कम एक्टिव केस है। उन्होंने बताया कि देश में कोरोना से डेथ रेट 1फीसद के आसपास है। दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में केस कम हो रहे हैं। महाराष्ट्र में 12 जिलों में नए केसों में कमी आई है। लव अग्रवाल ने कहा कि देश में एक और पॉजिटिव ट्रेंड है। देश में अब तक 81.7 फीसद मरीज ठीक हो चुके हैं। रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है। उदाहरण के लिए 2 मई को यह 78 फीसद था जबकि 3 मई को 82फीसद हो गया।

देश के प्रमुख राज्यों को देखें तो महाराष्ट्र में 3 मई को 48,621 लोग संक्रमित पाए गए, 59,500 लोग ठीक हुए और 567 की मौत हो गई। इस राज्य में अब तक 47 लाख 71 हजार लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 40.41 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 70,851 लोगों की मौत हो गई है। 6.56 लाख मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में उसी दिन 29,052 लोग संक्रमित पाए गए, 38,687 लोग रिकवर हुए और 285 लोगों की मौत हो गई। अब तक राज्य में 13.42 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 10.43 हजार ठीक हो चुके हैं, जबकि 13,447 मरीजों ने दम तोड़ दिया और 2 लाख 85 हजार मरीजों का इलाज चल रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में भी उस दिन 18,043 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए, 20,293 लोग ठीक हुए और 448 की मौत हो गई। अब तक 11 लाख 94 हजार लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 10 लाख 85 हजार ठीक हो चुके हैं, जबकि 17,414 मरीजों की मौत हो चुकी है और 89,592 का इलाज चल रहा है। गुजरात में 12,820 लोग संक्रमित मिले, 11,999 लोग रिकवर हुए और 140 की मौत हो गई। अब तक 6,07,422 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 4,52,275 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 7,648 मरीजों की मौत हो चुकी है और 1,47,499 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। (हिफी)

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