मनमोहन के नेतृत्व में कांग्रेस को धार

कांग्रेस ने आर्थिक मामले विदेश मामले और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर पार्टी की नीतियों पर विचार के लिए तीन समितियों का गठन किया है

Update: 2020-11-22 02:42 GMT

नई दिल्ली। बिहार में कांग्रेस का अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं होने और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की पुस्तक में राहुल गांधी को अपरिपक्व राजनेता बताने के बाद सोनिया गांधी ने कांग्रेस को नयी धार देने के लिए डाॅ. मनमोहन सिंह को आगे किया है। बराक ओबामा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ की है। इसीलिए सोनिया गांधी ने डाॅ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में तीन महत्वपूर्ण समितियां गठित की हैं। ये समितियां क्या करती हैं, अभी इसके बारे में कहना मुश्किल है लेकिन जो लोग राहुल गांधी को आगे करके कांग्रेस पर चर्चा करते थे, वे अब डाॅ. मनमोहन सिंह को लेकर चर्चा शुरू कर सकते हैं।

कांग्रेस ने आर्थिक मामले विदेश मामले और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर पार्टी की नीतियों पर विचार के लिए तीन समितियों का गठन किया है, जिनकी अगुआई पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करेंगे। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इन समितियों का गठन किया है, जो विदेश राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक मामलों को लेकर नीतियों और मुद्दों पर विचार कर उन्हें सूचित करेंगे। इन समितियों में पी. चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं। कांग्रेस आलाकमान की ओर से गठित आर्थिक मामले की कमेटी में डॉ. मनमोहन सिंह के साथ पी। चिदंबरम, मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह और जयराम रमेश को रखा गया है। जयराम रमेश की भूमिका संयोजक की होगी। वहीं, विदेश मामलों पर गठित की गई कमेटी में डॉ. मनमोहन सिंह के साथ आनंद शर्मा, शशि थरूर, सलमान खुर्शीद और सप्तगिरी उलाका को रखा गया है। सप्तगिरी उलाका इस समिति के संयोजक होंगे। राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों की कमेटी में डॉ. मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद, वीरप्पा मोइली, विंसेट एच। पाला और वी. वैद्यलिंगम को रखा गया है। यहां विंसेट एच पाला संयोजक की भूमिका में होंगे। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से इन समितियों का गठन तब किया गया है, जब बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की अगुआई वाले गठबंधन की हार के बाद कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने पार्टी की जिम्मेदारी तय करने की मांग की थी, हालांकि अशोक गहलोत, सलमान खुर्शीद और भूपेश बघेल जैसे नेताओं ने कपिल सिब्बल पर पलटवार कर पार्टी के मामलों को मीडिया में न ले जाने की सलाह दी है।

बिहार का चुनाव खत्म होने के बाद भी सियासी पारा अभी चढ़ा है। एनडीए से मिली हार के बाद महागठबंधन के सहयोगी दलों में फूट पड़ती दिखने लगी है। पहले आरजेडी के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी ने कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की कार्यशैली की वजह से बीजेपी को मदद मिल रही है। अब कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल ने बिहार विधानसभा चुनाव और हाल में हुए चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर बात की है। सिब्बल ने कहा कि बिहार में जाहिर तौर पर एनडीए के बाद आरजेडी दूसरे नंबर की पार्टी थी। कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता, लेकिन पार्टी नेतृत्व का मानना है कि चुनाव में हार से पार्टी का काम नहीं रुकना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस बिहार में मिली हार पर आत्मनिरीक्षण करेगी।

कपिल सिब्बल देश के लोग न केवल बिहार में, बल्कि जहां भी उपचुनाव हुए, जाहिर तौर पर कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मानते। यह एक निष्कर्ष है। आखिर बिहार में एनडीए का विकल्प आरजेडी ही थी। हम गुजरात में सभी उपचुनाव हार गए। लोकसभा चुनाव में भी हमने वहां एक भी सीट नहीं जीती थी। उत्तर प्रदेश के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने 2 फीसद से भी कम वोट हासिल किए। गुजरात में हमारे तीन उम्मीदवारों ने अपनी जमानत खो दी। हालांकि, मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस इन सबकों लेकर आत्मनिरीक्षण करेगी। कांग्रेस पार्टी ने छह साल तक अपने प्रदर्शन को लेकर आत्मनिरीक्षण क्यों नहीं किया? इस सवाल के जवाब में सिब्बल कहते हैं, ये संगठनात्मक रूप से कांग्रेस की गलती है। हम जानते हैं कि क्या गलत है। मुझे लगता है कि हमारे पास सभी उत्तर हैं। कांग्रेस पार्टी खुद ही सारे जवाब जानती है, लेकिन वे उन उत्तरों को पहचानने के इच्छुक नहीं हैं। अगर वे उन उत्तरों को नहीं पहचानते हैं, तो ग्राफ में गिरावट जारी रहेगी। यह अफसोसजनक है कि कांग्रेस अभी भी अलर्ट नहीं हो पा रही है।

कांग्रेस अपनी गलतियां पहचानने को तैयार क्यों नहीं है? इस सवाल का जवाब देते हुए कपिल सिब्बल कहते हैं, ऐसा इसलिए है, क्योंकि कांग्रेस वर्किंग कमिटी एक नामित निकाय है। पार्टी के संविधान में भी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को अपनाया और अपनाया जाना चाहिए, जो कांग्रेस के संविधान के प्रावधानों में ही परिलक्षित होता है। आप नामांकित सदस्यों से यह उम्मीद नहीं करते हैं कि चुनाव के बाद चुनावों में कांग्रेस की लगातार गिरावट के कारणों के बारे में सवाल करना और उनकी चिंताओं को उठाना शुरू करें।

चूंकि मेरे विचार व्यक्त करने के लिए कोई मंच नहीं है, इसलिए मैं उन्हें सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने के लिए विवश हूं। मैं एक कांग्रेसी हूं और एक कांग्रेसी रहूंगा। मैं आशा और प्रार्थना करता हूं कि कांग्रेस एक शक्ति संरचना का विकल्प प्रदान करेगी, जिनके लिए राष्ट्र खड़ा है।

सिब्बल कहते हैं हम वैसे भी बिहार में एक प्रभावी विकल्प नहीं हैं। हम 25 साल से अधिक समय से उत्तर प्रदेश में एक विकल्प नहीं हैं। ये बड़े राज्य हैं। यहां तक कि गुजरात में भी जहां हम तीसरी ताकत के अभाव में विकल्प हैं। हमने लोकसभा की सभी सीटें खो दीं और वर्तमान उपचुनावों में हम बिल्कुल भी उभरकर सामने न आ पाए। इसलिए जहां हम एक विकल्प थे, उस राज्य के लोगों ने कांग्रेस पर अपना विश्वास नहीं दोहराया। इसलिए आत्मनिरीक्षण का समय समाप्त हो गया है। हम जवाब जानते हैं। कांग्रेस को बहादुर होना चाहिए और उन जवाबों को पहचान कर स्वीकार करना चाहिए। हम कांग्रेसियों को यह समझना चाहिए कि हम गिरावट में हैं। जब से संचार क्रांति हुई है, चुनाव प्रक्रिया बदल गई है। कांग्रेस को खुद को खोजने की जरूरत है। संभवतः सोनिया गांधी अब अपनी पार्टी के सबसे बुद्धिमान और संयमी नेता को आगे कर कांग्रेस को खोज रही है। (हिफी)

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