हाईकोर्ट ने हेड कॉन्स्टेबल को डिमोट कर PAC भेजने के आदेश पर लगाई रोक

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सैंकड़ो मुख्य आरक्षियों को पदावनत कर आरक्षी के पद पर

Update: 2020-10-01 11:03 GMT

प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सैंकड़ो मुख्य आरक्षियों को पदावनत कर आरक्षी के पद पर पीएसी भेजने के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।

न्यायालय के पूर्व पारित आदेश पर आज इस कई मुख्य आरक्षियों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई हुई । शासन की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल तथा मुख्य आरक्षितयों की तरफ से सीनियर एडवोकेट विजय गौतम ने बहस की।

अदालत में आज शासन की तरफ से लिखित में प्राप्त जानकारी दी गयी कि इन मुख्य आरक्षितयों के पदावनत आदेश को संशोधित कर दिया गया है।

जस्टिस अजय भनोट ने मुख्य आरक्षी पारस नाथ पाण्डेय समेत सैकडों पुलिसकर्मियों की याचिका पर यह आदेश दिया । याचिका यह आदेश में नौ सितम्बर व 10 सितम्बर 2020 को पारित डीआईजी स्थापना, पुलिस मुख्यालय व अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस मुख्यालय के आदेशों को चुनौती दी गयी थी ।

इन आदेशों द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात 890 मुख्य आरक्षितयों को पदावनत कर आरक्षी बना दिया गया है और उन्हें पीएसी में स्थानांतरित कर दिया गया है । अदालत के कहने पर शासन से प्राप्त लिखित निर्देश पर आरक्षियों की तरफ से बहस कर रहे सीनियर को पिछली तिथि पर मुहैया करा दिया गया था।

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत में सुनवाई की पहली तिथि पर इस मामले में अदालत से तीन दिन का समय मांगा था तथा कहा था कि हम शासन से इस मामले में आवश्यक जानकारी भी हासिल कर लेगें । मुख्य आरक्षियों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने अदालत से पदावनत आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी,लेकिन न्यायालय ने कहा था कि शासन से जरूरी जानकारी आने के बाद ही वह इस मामले को सुनेगी।

याचिकाओं में मुख्य रूप से कहा गया है कि इतने वृहद स्तर पर हेड कान्सटेबलो को पदावनत बगैर उन्हें सुनवाई का अवसर दिए ऐसा करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्त के विपरीत है यह भी कहा गया है कि याचियो को 20 वर्ष के बाद सिविल पुलिस से पीएसी में वापस भेजना शासनादेशो के विरूद्ध है । अदालत अब इन याचिकाओं पर एक माह बाद सुनवाई करेगी ।

Similar News