टिड्डी कीट से फसल को बचाने के लिए गन्ना विभाग ने शुरू किया अभियान

Update: 2020-05-18 16:45 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गन्ना एवं चीनी विभाग के प्रमुख सचिव एंव आयुक्त  संजय आर . भूसरेड्डी ने राजस्थान राज्य में टिड्डी के प्रकोप की खबरों के दृष्टिगत प्रदेश में गन्ने की फसल को इन कीटों से बचाने के लिये किसानों में जागरूकता अभियान चलाने के लिये सभी विभागीय अधिकारियों एवं गन्ना शोध केन्द्र के वैज्ञानिकों को निर्देश जारी किये हैं । जिससे " प्रीवेन्शन इज बेटर दैन क्योर " के सिद्धात को अपनाकर गन्ने की फसल के बचाव के लिये आवश्यक सुरक्षात्मक कदम समय से पूर्व उठाये जा सकें ।

इस संबंध में जानकारी प्रदान करते हुये प्रदेश के प्रमुख सचिव एंव आयुक्त गन्ना एवं चीनी संजय आर . भूसरेड्डी ने बताया कि टिड्डियों का दल का प्रकोप अब राजस्थान प्रदेश के अजमेर जिले तक पहुंच गया है , तथा टिड्डीयों के प्रकोप के प्रभावी नियंत्रण व प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में ही टिड्डी को रोकने के लिए ठोस कार्य योजना बनाने की जरूरत है । उन्होंने सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को लगातार गॉवों का भ्रमण करके उक्त कीट के संभावित आक्रमण को विफल करने हेतु किसानों को सजग रहने तथा पर्याप्त सावधानियां बरतने के लिये जागरूक करने को कहा गया है । इसके लिए पम्पलेट्स , हैंडबिल का वितरण करने , दैनिक समाचार पत्रों में कीट से बचाव के उपायों को प्रकाशित कराने , सभी कार्यालयों एवं गोदामों की दीवालों पर कीट के रोकथाम के उपायों को लेखन कराने तथा सभी किसानों तक जानकारी पहुंचाने के निर्देश दिये गये हैं । चूँकि टिड्डियां बहुत अधिक संख्या में एक साथ आक्रमण करती हैं और बहुत कम समय में फसल को चट कर जाती हैं अतः इनका आक्रमण होने के बाद फसल को बचाना बेहद मुश्किल है ऐसी स्थिति में पूर्व से ही तैयारी करके इनसे बचाव किया जा सकता है । कम पानी , सूखा व ग्रीष्म की दशा में उनकी सक्रियता और बढ़ जाती है । उन्होंने गन्ना कृषकों से भी अपील की है कि वह अपने खेतों का भ्रमण करते समय बारीकी से टिड्डी के प्रकोप का निरीक्षण करते रहें , यदि कहीं भी टिड्डी का प्रकोप पाया जाए तो उन पर क्लोरोपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी , क्लोरोपाइरीफास 50 प्रतिशत ईसी , बडियोमिथ्रीन , फिप्रोनिल , और लैंब्डा जैसे कीटनाशकों का छिडकाव कर उन्हें नष्ट कर दिया जाए । गन्ना कृषक इसकी रोकथाम के तत्काल उपाय सुनिश्चित करते हुए भारत सरकार की सम्बन्धित संस्थाओं को सूचित करें तथा इसकी सूचना गन्ना विकास विभाग को भी तत्काल प्रदान कर दें ।

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