चाय वाले का लंच बॉक्स और आबकारी अधिकारी !

अफसर चाय वाले की सेवा करते है और चाय वाला अफसर के भोजन का ख्याल रखता है। पढ़िए खोजी न्यूज़ की यह स्टोरी।

Update: 2020-04-25 07:43 GMT

मुज़फ्फरनगर। अफसर ऐसा शब्द होता है कि आम आदमी उससे बात करने की हिम्मत नही जुटा पाता है फिर किसी दफ्तर में चाय बेचकर गुजारा करने वाले चाय विक्रेता की कहाँ जुर्रत कि वो साहब के कमरे में चाय सर्व करने के बाद रुक जाए लेकिन ऐसे ही चाय वाले बुज़ुर्ग के कंधे पर देश को आजादी मिलने की तारीख को जब एक अफसर ने हाथ रखकर पूछा काका आज भी क्यों चाय बेच रहे हो , क्या परेशानी है तो उस बुज़ुर्ग चाय वाले कि आंखे छलक आई और उसी दिन से दोनों के बीच ऐसा मार्मिक रिश्ता बना कि अफसर चाय वाले की सेवा करते है और चाय वाला अफसर के भोजन का ख्याल रखता है। दोनों के बीच बने मार्मिक रिश्ते से दोनों खुश है । कौन है यह विहस्की की चस्की का इंतजाम करने वाले अफसर और चाय की चुस्की वाले लोग। पढ़िए खोजी न्यूज़ की यह स्टोरी।

4 जुलाई 2019 को मुज़फ्फरनगर जनपद के जिला आबकारी अधिकारी के रूप में उदय प्रकाश सिंह की पोस्टिंग हुई । उदय प्रकाश सिंह उस समय आसवानी डिस्टलरी गांगनोली सहारनपुर में तैनात थे । मुज़फ्फरनगर में चार्ज सम्भालने के बाद भी वह प्रतिदिन मुज़फ्फरनगर आकर काम कर रहे थे। जुलाई में ही कांवड़ यात्रा शुरू हुई तो उनको सेक्टर मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात कर दिया गया। सहारनपुर से मुज़फ्फरनगर उदय प्रकाश सिंह आते और दफ्तर का काम निपटाकर वापस सहारनपुर चले जाते थे , इस बीच उन्हें चाय की तलब होती तो वो अपने अधीनस्थ कर्मचारी को ऑर्डर करते और थोड़ी देर बाद एक बुज़ुर्ग चाय लेकर आते और फिर चाय देकर चले जाते थे। उदय प्रकाश सिंह को मुज़फ्फरनगर जनपद को बड़ा टिपिकल बताया गया था तो वह जिले को नकली शराब से बचाने और कांवड़ यात्रा को सकुशल सम्पन्न कराने की जिम्मेदारी में ऐसे खोये हुए थे कि उनकी उस बुजुर्ग चाय वाले पर नज़र तो पड़ी मगर उसके बारे में कभी सोच नही पाए। आजादी के दिन का पर्व जिसे पूरा देश बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाता है , 15 अगस्त 2019 को मुज़फ्फरनगर के जिला आबकारी अधिकारी के कार्यालय पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम समाप्त हुआ ही था। जिला आबकारी अधिकारी उदय प्रकाश सिंह अपने अधीनस्थ अफसरों के साथ चर्चा कर रहे थे तभी सब को चाय की तलब हुई और कर दिया गया गर्मागर्म चाय का आदेश। आबकारी अफसरों का आदेश तो तुरंत हाजिर हुआ चाय वाला 65 साल का बुज़ुर्ग शिवकुमार । जिला आबकारी अधिकारी उदय प्रकाश सिंह ने बुज़ुर्ग चाय वाले शिवकुमार के कंधे पर हाथ रखकर कहा काका आज छुट्टी है फिर क्यों दुकान खोली हुई है आपने , आप बुज़ुर्ग है अपने लड़के से काम कराया करिये। जिला आबकारी अधिकारी बोले आपको कोई जरूरत हो तो मुझे बताना । अफसर के यह लफ़्ज सुनकर शिवकुमार तो जैसे भावुक हो उठे। उदय प्रकाश यहीं नही रुके उन्होंने चाय पीने के बाद शिव कुमार को अपने पास बैठाया और सब से बोले आज देश की आजादी के जश्न का दिन है यह हम से पहले की पीढ़ी के लोग है। हमें इनका सम्मान करना चाहिए।


शिवकुमार के लिए यह बड़ा दिन था। जिला आबकारी अधिकारी उदय प्रकाश से ही नहीं रुके। उन्होंने शिवकुमार से पूछा कि क्या आपका स्वास्थ ठीक नहीं रहता है, यह सुनकर तो शिव कुमार की आंखें भर आई जब शिव कुमार ने बताया कि वह शुगर और बीपी के पेशेंट हैं तो उदय प्रकाश ने उनसे उनकी दवाई का पर्चा मंगाया और अपने कर्मचारी को वह पर्चा  देकर जिला अस्पताल भेज दिया। उदय प्रकाश ने खुद डॉक्टर से बात की और उसी साल्ट की दवाई जिला अस्पताल से इस गरीब व्यक्ति को निःशुल्क दवा  दिलाने की रिक्वेस्ट की लेकिन उस साल्ट की दवाई जिला अस्पताल में मौजूद नहीं थी । तब उदय प्रकाश के मन में शिवकुमार की मदद करने का ऐसा मर्म पैदा हुआ कि अब उन्होंने शिवकुमार की दवाई का इंतजाम खुद करना शुरू कर दिया था। अफसर की सेवा से शिवकुमार ऐसा गदगद हुआ कि वह उदय प्रकाश की दिनचर्या पर भी देखभाल करने लगा। नकली शराब की धरपकड़ के चलते जिला आबकारी अधिकारी उदय प्रकाश एक दिन सुबह 8 बजे आए और अपने दफ्तर में ही मीटिंग शुरु कर दी। मीटिंग देर तक चली, इस बीच चाय का दौर मीटिंग में चलता रहा, जिस कारण शिवकुमार को कई बार आबकारी दफ्तर में आना जाना पड़ा। दोपहर के लगभग 2 बजे होंगे। जिला आबकारी अधिकारी दफ्तर की मीटिंग खत्म हुई तो शिवकुमार अपने चाय के कप  उठाने आबकारी दफ्तर आया तो उसी दौरान वहां दो विभागीय कर्मचारी आपस में चर्चा कर रहे थे कि आज साहब सुबह से मीटिंग कर रहे हैं उन्होंने अभी तक खाना भी नहीं खाया है। उदय प्रकाश की सेवा से शिवकुमार के मन में उनके प्रति स्नेह और सम्मान पैदा हो गया था। साहब के देर तक खाना नहीं खाने की बात सुनकर शिव कुमार  के मन में अपने लिए लाया खाना, साहब को खिलाने की बात आई और बिना इसकी परवाह किए कि जिले स्तर का एक अफसर क्या उस मामूली व्यक्ति के घर का बना खाना खा पाएगा। शिवकुमार उदय प्रकाश के दफ्तर में चला गया हाथ में लंच बॉक्स लिए शिवकुमार ने जिला आबकारी अधिकारी से कहा साहब मुझे पता चला है कि आपने अभी तक खाना नहीं खाया, बुरा मान ना मानो तो यह मेरा खाना है। आप खा ले । हमेशा बुजुर्ग लोगों के प्रति सम्मान और स्नेह रखने वाले जिला आबकारी अधिकारी उदय प्रकाश ने बिना संकोच किये  उनका लंच  बॉक्स लेकर उसे खोल लिया तभी उदय प्रकाश के मन में ख्याल आया कि कहीं शिवकुमार भूखा ना रह जाए।


 वहां दोनों के बीच संबोधन हुआ । उदय प्रकाश बोले  काका  यह खाना आप खा लो नहीं तो आप भूखे रह जाओगे, तो शिवकुमार का जवाब था। साहब में खाना खा चुका हूं यह आप खा ले। उदय प्रकाश ने टिफिन खोला तो उसमें आलू मेथी की सब्जी और दो रोटी थी। उन्होंने खाना खाया तो शिवकुमार का सीना गर्व से फूल गया। गरीब की थाली का भोजन अफसर खा सकता है। इस सवाल पर उदय प्रकाश कहते हैं शिवकुमार जी से पता नहीं क्यों स्नेह हो गया था, भूख लगी थी और मैं काका के अनुरोध को मना नहीं कर पाया। उस दिन वह जिला आबकारी अधिकारी उदय प्रकाश का चाय  शिवकुमार का बचा  खाना और उसके बाद दोनों के बीच ऐसा रिश्ता बना कि अब जब भी शिव कुमार के घर कोई उसके हिसाब से अच्छा खाना बनता है तो शिव कुमार का लंच बॉक्स जिला आबकारी अधिकारी उदय प्रकाश की टेबल पर जरूर जाता है।


                                                                         शिवकुमार को काका क्यों बोलते हैं उदय प्रकाश

दरअसल जिला आबकारी अधिकारी उदय प्रकाश की आगरा में पोस्टिंग थी । उनकी बेटी छोटी थी तो पत्नी को अक्सर काम में थोड़े सहयोग की जरूरत पड़ती थी । तब किसी के माध्यम से एक बुजुर्ग व्यक्ति उनके संपर्क में आया। जिसको सहारे की जरूरत थी। घर के छोटे-छोटे काम करने वाले  उस व्यक्ति से उदय प्रकाश की फैमिली को ऐसा लगाव हुआ कि वे उसे काका कहने लगे । 5 साल उदय प्रकाश के परिवार के साथ रहे उस बुजुर्ग व्यक्ति को जब उसकी बेटी की शादी हो गई तो वह उन्हें अपने साथ ले गई। तब से उदय प्रकाश के संपर्क में जो भी व्यक्ति आता है जिससे उदय को लगाव  होता है। वह उसे काका कहकर संबोधन करते हैं इसलिए जब उदय प्रकाश और शिवकुमार के बीच एक मन का नाता बना तो उदय प्रकाश के मुंह से उन्हें काका ही बोला जाने लगा।

                                                                                 40 साल से चाय बेच रहे है  शिव कुमार

मुजफ्फरनगर जिला कारागार गेट के पास स्थित आबकारी दफ्तर के बाहर 40 साल से चाय बेचकर परिवार का पालन कर रहे शिवकुमार के पिताजी भी यही चाय बेचते थे। अब उनकी तीसरी पीढ़ी के उनके पुत्र शैली गर्ग भी यहीं  चाय बेच रहे हैं । शिवकुमार अब शैली का हाथ बटांते हैं।

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