Vocal for Local: इस जिले में गोबर के दिए से जगमगाएगी इस बार की दीवाली

प्रधानमंत्री मोदी की वोकल फार लोकल की अपील के तहत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

Update: 2020-09-28 07:25 GMT

औरैया। प्रधानमंत्री मोदी की वोकल फार लोकल की अपील के तहत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम में औरैया जिले में समूह की महिलाएं दीवाली पर दीपक जलाने के लिए गाय के गोबर के दीये बना रहीं हैं।


औरैया के अछल्दा ब्लाक के गांव की महिला समूह की सदस्यों ने प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत और वोकल से लोकल बनने के मंत्र से प्रेरित होकर इस बार जिले में गोबर के दीयों माध्यम से प्रकाश पर्व मनाने के लक्ष्य के तहत बड़ी संख्या में दीया बनाना शुरू कर दिया है। समूह की महिलाओं का कहना है कि इस बार चायनीज आइटमों को दरकिनार (बहिष्कार) कर गोबर व मिट्टी से बने दीपकों से दीवाली जगमगाने के लिए उन्होंने यह पहल शुरू की है। जिसके चलते वह लोग गाय के गोबर से दीपक बना रही हैं। साथ ही लोगों को जागरूक भी कर रही है।


महिलाओं ने कहा कि गोबर से दीपक बनाने की विधि बहुत सरल और आसान भी है। सबसे पहले गोबर को धूप में सुखाया जाता है, सूखने के बाद उसे पीसना पड़ता है। पीसने के बाद एक किलो गोबर में 200 ग्राम पीली मिट्टी मिलाते हैं। और 100 ग्राम प्रीमिक्स पाउडर मिलाकर अच्छी तरह घोल बनाते हैं। इन सभी चीजों को मिलाने के बाद अच्छी तरह से गोबर की मड़ाई की जाती है, फिर गोबर की गोली बनाकर सांचे में रखकर दीपक तैयार किया जाते हैं। जिसके बाद उन्हें विभिन्न कलरों (रंगों) से रंग उनमें ॐ, श्री, शुभ-लाभ व स्वास्तिक आदि लिखकर आकर्षक भी बनाया जाता है।

समूह की मुखिया सुमन चतुर्वेदी ने कहा कि गोबर के दीए बनाने का यह आईडिया जालौन जिले के उरई से मिला। वह उरई गयी थी वहां पर लोग गाय के गोबर से दीये बना रहे थे। उन्होंने बनाने की जानकारी ली । उसके बाद वापस आकर समूह की सदस्यों को इसकी जानकारी दी। समूह की महिलाओं ने मिलकर अपने गांव समेत आसपास के क्षेत्र में एक नई ऊर्जा के साथ इस नई मुहिम को चलाया ।

उन्होंने कहा कि दिवाली आ रही है उसमें मिट्टी के रंगीन दीये तो देखने को मिलते हैं, लेकिन इस बार बड़ी संख्या में गोबर के दीये भी बनाये जा रहे हैं । उन्होंने कहा कि गाय के गोबर के दीये आस्था के प्रतीक माने जाते हैं, ऐसे में यह प्रयास काफी कारगर साबित होगा।

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