भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला है MSME - मानवेन्द्र प्रताप सिंह

एमएसएमई क्षेत्र में करीब 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है घरेलू उत्पाद में 30 और निर्यात में 49 प्रतिशत का योगदान रहता है

Update: 2022-03-07 03:31 GMT

नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए,लिये गए संकल्प को पूरा करने के लिए एमएसएमई क्षेत्र को अग्रणी भूमिका निभाने की आवश्यकता है इसके लिए हमें प्रमुख लघु और मध्यम उधोग में अभूतपूर्व कार्य करने की जरुरत है क्योंकि भारत में एमएसएमई क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार उपलब्ध कराने वाला क्षेत्र माना जाता है। भारत में एमएसएमई क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार उपलब्ध कराने वाला क्षेत्र माना जाता है। एमएसएमई क्षेत्र में करीब 12 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। एमएसएमई क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पाद में 30 प्रतिशत और देश के निर्यात में 49 प्रतिशत का योगदान रहता है।

भारत में 6.5 करोड़ एमएसएमई इकाईयां कार्यरत हैं। भारतीय एमएसएमई वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हैं और उनकी उत्पाद सेवाओं को विदेशों में स्वीकार किया गया है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 33% है। कुल एमएसएमई का लगभग 50% ग्रामीण क्षेत्रों में काम करता है और कुल रोजगार का 45% प्रदान करता है। एमएसएमई क्षेत्र में कुल रोजगार का लगभग 97% माइक्रो सेगमेंट से आता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2022-23 के आम बजट में इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है।

कोरोना महामारी के काल में लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के चलते बहुत विपरीत रूप से प्रभावित हुए छोटे छोटे व्यापारियों एवं एमएसएमई इकाईयों को बचाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने एक आपात ऋण गारंटी योजना लागू की थी। इस योजना के अंतर्गत बैकों को यह निर्देश दिए गए थे कि छोटे व्यापारियों एवं एमएसएमई इकाईयों को उनका व्यापार पुनः खड़ा करने के उद्देश्य से उन्हें पूर्व में स्वीकृत ऋणराशि का 20 प्रतिशत, अतिरिक्त ऋण के रूप में प्रदान किया जाय एवं इस राशि की गारंटी केंद्र सरकार द्वारा उक्त योजना के अंतर्गत प्रदान की जाएगी। बैंकों को इस योजना के अंतर्गत 4.5 लाख करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत करने का लक्ष्य प्रदान किया गया था। ऋण के रूप में प्रदान की गई अतिरिक्त सहायता की राशि से देश में लाखों उद्यमों को तबाह होने से बचा लिया गया है। 1.5 करोड़ लोगों को बेरोजगार होने से भी बचा लिया गया है।

इसी प्रकार एमएसएमई के 1.8 लाख करोड़ रुपए की राशि के खातों को विभिन्न बैंकों में गैर निष्पादनकारी आस्तियों में परिवर्तिति होने से भी बचा लिया गया है। उक्त राशि एमएसएमई इकाईयों को प्रदान किए गए कुल ऋण का 14 प्रतिशत है। इस योजना के अंतर्गत बैंकों द्वारा प्रदान की गई कुल ऋणराशि में से 93.7 फीसदी राशि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाईयों को प्रदान की गई है। छोटे व्यवसायी (किराना दुकानदारों सहित), फुड प्रोसेसिंग इकाईयों एवं कपड़ा निर्माण इकाईयों को भी इस योजना का सबसे अधिक लाभ मिला है। गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में कार्यरत एमएसएमई इकाईयों ने इस योजना का सबसे अधिक लाभ उठाया है।

उक्त योजना की अवधि 31 मार्च 2022 को समाप्त होने जा रही थी परंतु चूंकि एमएसएमई क्षेत्र में कार्यरत हासपीटलिटी उद्योग से सबंधित इकाईयां व्यापार के मामले में अभी भी कोरोना महामारी के पूर्व के स्तर को प्राप्त नहीं कर पाईं हैं अतः आपात ऋण गारंटी योजना की अवधि को 31 मार्च 2023 की अवधि तक बढ़ा दिया गया है। साथ ही, वितीय वर्ष 2022-23 के आम बजट में यह घोषणा भी की गई है कि एमएसएमई क्षेत्र की इकाईयों को 50,000 करोड़ रुपए की राशि का अतिरिक्त ऋण भी उक्त योजना के अंतर्गत बैंकों द्वारा स्वीकृत किया जाएगा। इसके अलावा भी एमएसएमई इकाईयों की पूंजी सम्बंधी कमी को दूर करने के लिए इन इकाईयों को 2 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऋण बैंकों द्वारा सीजीटीएमएसई गारंटी योजना के अंतर्गत उपलब्ध कराया जाएगा।

अब छोटे व्यापारियों एवं एमएसएमई इकाईयों को उक्त योजना के अंतर्गत बैंकों से अतिरिक्त सहायता की राशि 31 मार्च 2023 की अवधि तक उपलब्ध होती रहेगी। केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई आपात ऋण गारंटी योजना चूंकि बहुत सफल रही है अतः इस योजना के अच्छे बिंदुओं को बैंकों में पिछले लगभग दो दशकों से चल रही इसी प्रकार की सीजीटीएमएसई योजना में शामिल किये जाने पर विचार किया जाएगा। वर्तमान में सीजीटीएमएसई योजना का लाभ विभिन्न बैंकों द्वारा अपने बहुत कम हितग्राहियों को दिया जा रहा है।

कुछ समय पूर्व तक भारत सुरक्षा उत्पादों का लगभग 100 प्रतिशत आयात करता था परंतु अब कई सुरक्षा उत्पादों का भारत में ही निर्माण किया जाने लगा है। इस वर्ष के बजट में यह प्रावधान किया गया है कि सुरक्षा उत्पादों की कुल जरूरत का 68 प्रतिशत भाग देश में ही निर्माण कर रही सुरक्षा उत्पादक इकाईयों से खरीदा जाय। इससे देश में नए नए उद्योगों को स्थापित करने में मदद मिलेगी, रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित होंगे एवं विदेशी मुद्रा की बचत भी की जा सकेगी। इस प्रकार भारत सुरक्षा उत्पादों के निर्माण के क्षेत्र में शीघ्र ही आत्म निर्भरता हासिल कर लेगा। केंद्र सरकार द्वारा आम बजट में की गई उक्त घोषणा का लाभ सुरक्षा उत्पाद के क्षेत्र में कार्यरत कई एमएसएमई इकाईयों को भी मिलेगा।

एमएसएमई क्षेत्र में कार्यरत सेकंडरी स्टील उत्पादक इकाईयों को स्टील स्क्रैप पर लगाने वाली कस्टम ड्यूटी की छूट भी एक और वर्ष के लिए जारी रहेगी। इसका सीधा सीधा लाभ उक्त क्षेत्र में उत्पादन करने वाली एमएसएमई इकाईयों को मिलना जारी रहेगा।

31 जनवरी 2022 को जारी किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि भारत में 61,400 स्टार्टअप स्थापित हो चुके हैं। वित्तीय वर्ष 2022 में देश में 15,000 नए स्टार्टअप प्रारम्भ हुए हैं। देश के 555 जिलों में कम से कम एक स्टार्टअप स्थापित कर लिया गया है। विशेष रूप से पिछले 6 वर्षों के दौरान देश में बड़ी संख्या में नए नए स्टार्टअप, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, स्थापित किए गए है। इनमें से कई स्टार्टअप एमएसएमई इकाईयों के रूप में प्रारम्भ किया जा रहे है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के आम बजट के माध्यम से यह घोषणा की गई है कि इन स्टार्टअप को दी जाने वाली टैक्स सम्बंधी सुविधाएं एक और वर्ष के लिए जारी रहेंगी। साथ ही, ड्रोन शक्ति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नए स्टार्टअप एमएसएमई क्षेत्र में प्रारम्भ किए जाएंगे। इससे इस क्षेत्र में रोजगार के कई नए अवसर निर्मित होंगे।

इसी प्रकार केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में किए जाने वाले पूंजीगत खर्चों में अधिकतम 35.4 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा करते हुए इसे 7.50 लाख करोड़ रुपए की राशि तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। केंद्र सरकार के पूंजीगत खर्चों में हो रही इस आकर्षक वृद्धि के कारण एमएसएमई क्षेत्र में कार्यरत इकाईयों के व्यवसाय में भी वृद्धि दृष्टिगोचर होगी।

केंद्र सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा एमएसएमई क्षेत्र को आसान शर्तों एवं कम ब्याज की दर पर ऋण उपलब्ध कराने हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। परंतु, एमएसएमई क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए अभी भी बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है। एमएसएमई इकाईयों द्वारा निर्मित उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाना आवश्यक है एवं इन उत्पादों की लागत भी कम करने की जरूरत है ताकि इनके निर्यात को बढ़ाया जा सके। अन्य विकसित देशों में भी सरकारों द्वारा एमएसएमई इकाईयों की विशेष मदद की जाती है।


हमारे देश में सेवा क्षेत्र में कार्यरत इकाईयां तो बहुत आगे आ गईं है परंतु विनिर्माण के क्षेत्र में कार्यरत इकाईयों को अभी भी केंद्र एवं राज्य सरकारों के सहायता की आवश्यकता है। देश के अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान केवल 14 से 17 प्रतिशत तक ही रहता है इसे बढ़ाकर 25 प्रतिशत किए जाने की आवश्यकता है। हालांकि केंद्र सरकार अब सुरक्षा उत्पादों का भारत में ही निर्माण करने पर लगातार जोर दे रही है अतः इस क्षेत्र में एमएसएमई इकाईयों का योगदान भी बढ़ेगा, ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है। विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा देश में एमएसएमई क्षेत्र के लिए निर्धारित किए गए उत्पादों की न्यूनतम खरीद सम्बंधी नियमों का कठोरता से पालन करना आवश्यक है। साथ ही, इन इकाईयों से खरीदे गए उत्पादों का भुगतान भी निर्धारित समय सीमा में करने से भी एमएसएमई इकाईयों की बहुत सहायता होगी।

लेखक : मानवेन्द्र प्रताप सिंह

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