लॉकडाउन में आरबीआई से मिली निराशा-लोन की ईएमआई में नहीं राहत

लॉकडाउन की वजह से लोगों को उम्मीद थी कि कोरोना की पहली लहर की तरह ऋण लेकर

Update: 2021-06-04 07:27 GMT

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर की ओर से मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक के नतीजों की घोषणा में कर्ज लेकर ईएमआई अदा कर रहे लोगों को जरा सी भी राहत नहीं मिली है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने कोविड-19 के प्रभाव को कम करने की वजह से अपने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है। यानी रेपो रेट और रिवर्स रेपो दर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। रेपो रेट पहले की तरह 4 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है। मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट भी 4.25 प्रतिशत पर है। अर्थात आम नागरिकों द्वारा लिए गए लोन की ब्याज की दरें और ईएमआई पहले जितनी ही रहेगी।

इसमें आरबीआई की ओर से कोई राहत नहीं दी गई है। आरबीआई के गवर्नर शशिकांत दास ने बताया है कि फिश्कल ईयर 2021 में रियल जीडीपी 7.3 प्रतिशत रही। अप्रैल में महंगाई दर 4.3 प्रतिशत रही जो राहत की बात है। उन्होंने कहा कि अच्छे मानसून से इकॉनमिक रिवाइवल संभव है। आरबीआई की कमेटी ने फैसला किया है कि जब तक कोविड-19 का पूरी तरह से खात्मा नहीं होता है तब तक मौद्रिक रुख को उदार बनाए रखा जाएगा। गौरतलब है कि देश में दूसरी लहर के रूप में आई कोरोना महामारी के चलते सभी राज्यों में लगाए लॉकडाउन की वजह से लोगों को उम्मीद थी कि कोरोना की पहली लहर की तरह ऋण लेकर अपनी जरूरतें पूरी कर रहे लोगों को लिये कर्ज की ईएमआई के समय में सरकार की ओर से कुछ राहत दी जाएगी। लेकिन आरबीआई की घोषणा में ऐसे लोगों को पूरी तरह से निराशा ही मिली है। गौरतलब है कि लाॅकडाउन की वजह से लोगों के सभी काम धंधे बंद हैं। जिसके चलते दो वक्त की रोटी जुटाने में देश के लोगों को भारी पड़ रही है। ऐसे हालातों में लिए गए कर्ज की किस्तें समय से चुकाना उनके लिए असंभव सा ही होगा।

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