मस्जिद शिलान्यास का उचित अवसर

मस्जिद शिलान्यास का उचित अवसर
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित धन्नीपुर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मुस्लिम समाज को मिली पांच एकड़ जमीन पर 26 जनवरी 2021को मस्जिद का शिलान्यास होगा। यह बहुत अच्छा विचार है । अब इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिये। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि सन 1950 में इसी दिन हमारे देश में हमारा अपना संविधान लागू किया गया था। हमारे देश को 15 अगस्त 1947को आजादी मिली लेकिन ब्रिटेन सरकार के कानून ही लागू थे। अपने देश का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा बनायी गयी जिसके अध्यक्ष डा राजेन्द्र प्रसाद थे। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर व अन्य विद्वानों ने लगभग दो वर्ष 11महीने की मेहनत और मंथन से 26 नवम्बर 1949 को संविधान पूरा किया था। इसीलिए 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाया जाता है। इसी 26जनवरी को रावी नदी के तट पर देश को आजाद कराने का संकल्प भी लिया गया था। इसलिए 26 जनवरी हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण तारीख है। इसका प्रमुख महत्व गणतंत्र दिवस का ही है और हमेशा रहेगा। गणतंत्र दिवस पर संविधान की प्रस्तावना को संकल्पित करते हुए जिस तरह आपसी सद्भाव, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्र की अखंडता को बनाये रखने की शपथ लेते हैं, वही भाव इस मस्जिद के शिलान्यास के समय भी होना चाहिए।


मिली जानकारी के अनुसार 26 जनवरी को इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन धन्नीपुर ट्रस्ट 5 एकड़ भूमि पर वृक्षारोपण और ध्वजारोहण कर मस्जिद निर्माण कार्य की शुरुआत करेगा। धन्नीपुर मस्जिद के लिए बने ट्रस्ट के सदस्यों ने मस्जिद की जमीन का मुआयना भी किया। ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि मस्जिद की शुरुआत 26 जनवरी को 9 ट्रस्टी द्वारा 9 पौधे लगाकर की जाएगी। गणतंत्र दिवस के दिन सुबह 8ः30 बजे मस्जिद की जमीन पर ध्वजारोहण किया जाएगा और साथ ही वृक्षारोपण भी होगा। इसप्रकार पहले गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा, इसके बाद मस्जिद निर्माण के लिए जमीन की सोल टेस्टिंग होगी। इसके लिए टीम 26 जनवरी को ही अयोध्या पहुंचेगी और मस्जिद की मिट्टी के परीक्षण के लिए उसे लैब में ले जाएगी। मस्जिद निर्माण के लिए ट्रस्ट अयोध्या विकास प्राधिकरण में नक्शा ऑफलाइन दाखिल करेगा और जब नक्शे को स्वीकृति मिल जाएगी व सोल टेस्टिंग की रिपोर्ट आ जाएगी , उसके बाद मस्जिद निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने बताया कि अभी ट्रस्ट में 9 सदस्य हैं. सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। आने वाले समय में ट्रस्ट के सदस्यों की संख्या 15 होगी।


मस्जिद के लिए बने ट्रस्ट में अयोध्या बाबरी मस्जिद प्रकरण से जुड़े पक्षकारों को भी आने वाले समय में जगह मिल सकती है, लेकिन इसके लिए उनको ट्रस्ट के अनुसार विकासवादी सोच रखनी होगी। बताया गया कि अभी 26 जनवरी के दिन 9 ट्रस्टियों द्वारा फलदार और छायादार पौधे लगाए जाएंगे, लेकिन आने वाले समय में पर्यावरण के संरक्षण को देखते हुए धन्नीपुर की मस्जिद की जमीन पर ऑस्ट्रेलिया, अमेजन और विश्व के अन्य जगहों से मंगाए गए ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों को लगाकर देश में पर्यावरण संरक्षण का एक बड़ा मैसेज देने की कोशिश की जाएगी। यह भी जानकारी दी गयी है कि 5 एकड़ भूमि में धन्नीपुर की इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन मस्जिद में जहां एक ओर मस्जिद का निर्माण किया जाएगा, वहीं 200 बेड का सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण भी होगा, साथ ही इंडो इस्लामिक कल्चरल रिसर्च सेंटर और एक बड़ा म्यूजियम बनाया जाएगा। एक बड़ी लाइब्रेरी बनाई जाएगी। कम्युनिटी किचन के तहत 1000 लोगों को फ्री खाना उपलब्ध हो, इसकी भी व्यवस्था की जाएगी।


ध्यान देने की बात है कि सामाजिक एक्टिविस्ट शाइस्ता अंबर और लोकप्रिय शायर मुनव्वर राणा जैसी शख्सियतों के ऐतराज के बावजूद अयोध्या के पास धन्नीपुर मस्जिद बनने जा रही है। एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी फैसले का विरोध किया था। अयोध्या राम जन्मभूमि के चर्चित केस में फैसले के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन अलॉट की गई है। इस जमीन पर लखनऊ के आर्किटेक्ट और टाउन प्लानर प्रोफेसर एसएम अख्तर के निर्देश पर निर्माण कार्य होगा।पिछले दिनों अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के चलते भव्य जन्मभूमि मंदिर के डिजाइन और आर्किटेक्चर को लेकर चर्चाएं जोरों पर रहीं। अब अयोध्या में भव्य मस्जिद के लिए जमीन आवंटित हो जाने के बाद डॉ. अख्तर को मस्जिद और इसके पूरे परिसर में निर्माण के डिजाइन के लिए नियुक्त किया गया है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में आर्किटेक्चर विभाग के पुरोधा रह चुके डॉ. अख्तर अयोध्या जिले के धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद और उसके परिसर के लिए डिजाइन तैयार करने का बीड़ा उठाएंगे। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने यह पुष्टि करते हुए बताया है कि 5 एकड़ के क्षेत्र में यह पूरा निर्माण होगा।


धन्नीपुर एक सामाजिक समरसता का केंद्र बन जाएगा। अब गणतंत्र दिवस पर यह धार्मिक स्थल के साथ समाजसेवा और चिकित्सा सेवा का केंद्र भी बनने जा रहा है। हमारे देश के लोकतंत्र को संचालित करने वाली किताब का नाम है भारतीय संविधान। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के धर्मग्रंथ यानी भारत के संविधान को आजादी के आंदोलन के दौरान जागृत हुई राजनीतिक चेतना का परिणाम कहा जाए तो गलत नहीं होगा। भारतीय संविधान में देश के सभी समुदायों और वर्गों के हितों को देखते हुए विस्तृत प्रावधानों का समावेश किया गया है। इसी का परिणाम है कि आजादी के 74 वर्षों के बाद भी भारतीय संविधान अक्षुण्ण, जीवंत और सतत क्रियाशील बना हुआ है। साल 1929 की दिसंबर में लाहौर में पंडित जवारहलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन किया गया था। इस अधिवेशन में प्रस्ताव पारित करते हुए इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार द्वारा 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमीनियन का दर्जा नहीं दिया गया तो भारत को पूर्ण रूप से स्घ्वतंत्र देश घोषित कर दिया जाएगा। जब 26 जनवरी 1930 तक अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया। इन सब बातों की याद भी यह मस्जिद दिलाती रहेगी।

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