जनता से धोखा है देहरादून में एक और विधानसभा भवन का निर्माण : हरीश रावत

जनता से धोखा है देहरादून में एक और विधानसभा भवन का निर्माण : हरीश रावत

देहरादून उत्तराखंड संभवतः देश का अकेला ऐसा राज्य है जो अपने अस्तित्व में आने के 20 साल बाद भी अभी तक यह तय नहीं कर पाया है कि उसकी राजधानी (स्थाई) कौन सी है. पिछले विधानसभा सत्र में अचानक गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जो ब्रह्मास्त्र फेंका था वह अब पलटकर सरकार की ओर आता दिख रहा है. देहरादून के रायपुर में नया विधानसभा भवन बनाने के लिए हलचल तेज होने का बाद इस पर राजनीति भी तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे राज्य की जनता के साथ छल बताया है तो यूकेडी ने तीसरे विधानभवन के निर्माण पर आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है।

गैरसैंण में होने वाले हर सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच गैरसैंण को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते रहे थे लेकिन समय बीतने के साथ लोगों को विश्वास होता जा रहा था कि यह ऐसा ही चलता रहेगा और गैरसैंण बस नूराकुश्ती का विषय बना रहेगा. इस साल 4 मार्च को गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अचानक गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का ऐलान कर सनसनी मचा दी थी।

बीजेपी ने इसे बहुत बड़ा वादा पूरा करने के रूप में पेश किया और इसे राज्य के लोगों की जीत बताया. लेकिन उसके साथ ही सवाल उठने लगे थे कि ग्रीष्मकालीनी राजधानी गैरसैंण है तो असली राजधानी कौन सी है. बीजेपी इस मुद्दे को टालती रही है।

हालांकि त्रिवेंद्र रावत सरकार ने भी देहरादून नगर निगम और देहरादून जिला प्रशासन के देहरादून को राजधानी (अस्थाई नहीं) बताने के दावों पर कभी कोई टिप्पणी नहीं की. नगर निगम और जिला प्रशासन की वेबसाइट पर देहरादून को राजधानी गलती से लिखा गया था या जानबूझकर, यह पता करने की न कभी कोशिश की गई... न गैरसैंण के ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के बाद ही इसे बदलने की बात हुई. देहरादू की इन दोनों प्रमुख सरकारी वेबसाइट्स आज भी देहरादून को राजधानी बता रही हैं।

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