चिकित्सा सुविधाओं पर उच्च न्यायालय ने की चिंता व्यक्त

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नैनीताल। उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में चिकित्सा व्यवस्था के जर्जर हालात को लेकर उच्च न्यायालय ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि चिकित्सा मौलिक अधिकार है और सरकार को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में राज्य में संतुलन बनाना होगा।

शनिवार को मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ की अगुवाई वाली पीठ ने शांति प्रसाद भट्ट की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को चिकित्सा सुविधा के संबंध में एक प्रश्नावली तैयार कर अदालत के समक्ष पेश करने के निर्देश दिये हैं ताकि अदालत इस पर सरकार को उचित दिशा निर्देश दे सके।

अदालत ने माना कि मैदानी क्षेत्रों के बाद पहाड़ों में आबादी का बड़ा हिस्सा निवास करता है और इन क्षेत्रों में न्यूनतम चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। यह जनता का मौलिक अधिकार है और सरकार को इसे उपलब्ध कराना चाहिए।

हालांकि अदालत ने माना कि राज्य के सामने अनेक चुनौतियां मौजूद हैं लेकिन इस मामले को गंभीरता से लेते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी को चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता तथा उनकी गुणवत्ता के साथ साथ अस्पतालों के मानकों के संबंध में सुझावों की एक प्रश्नावली तैयार कर अदालत के समक्ष सौंपने के निर्देश दिये हैं। इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार छह अक्टूबर को होगी।

वार्ता

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