संजय आर. भूसरेड्डी के अभियान से शराब तस्करों पर शिकंजा

संजय आर. भूसरेड्डी के अभियान से शराब तस्करों पर शिकंजा

लखनऊ प्रदेश शासन में आबकारी विभाग के मुखिया के रूप में अपने अपर मुख्य सचिव आबकारी के पद पर रहते हुए प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन कर रहे आईएएस अफसर संजय आर. भूसरेड्डी अपनी कार्यप्रणाली के लिए पहचाने जाते हैं। लाॅक डाउन में शराब को जब प्रदेश में अनलाॅक किया गया तो इसके लिए एक स्मूथ वे बनाने का काम करने के साथ ही संजय आर. भूसरेड्डी ने शराब तस्करों के खिलाफ अभियान छेड़कर उनकी कमर तोड़ने का काम किया।

कोविड-19 महामारी के दौर में लाॅक डाउन के दौरान यूपी आबकारी विभाग ने जहां राजस्व घाटा पूर्ण करने के लिए शराब की दुकानों को खोलने की चुनौती को स्वीकार करते हुए लोगों को सुरक्षित करते हुए सोशल डिस्टेंस के साथ शराब-बीयर की बिक्री कराने का काम किया तो वहीं लाॅक डाउन में शराब तस्करों पर शिकंजा कसने में भी आबकारी विभाग ने अप्रत्याशित सफलता अर्जित की। 14 हजार से ज्यादा मुकदमे शराब तस्करों के खिलाफ पंजीकृत करते हुए 4 हजार से अधिक लोगों को अवैध शराब का कारोबार करने और तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। इस दौरान ओवररेटिंग पर त्वरित कार्यवाही और औचक निरीक्षण अभियान के कारण अंकुश लगाने में भी आबकारी विभाग सफल हुआ।

उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा राजस्व शराब से आता है। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लाॅक डाउन हुआ तो शराब की दुकानों पर भी ताले लटक गये। इससे सरकार को बड़ा राजस्व नुकसान होने लगा, वहीं शराब की दुकानें बन्द होने के कारण लाॅक डाउन में शराब की तस्करी, अवैध बिक्री भी बड़ी चुनौती बन रही थी। यूपी आबकारी विभाग ने इसको स्वीकार किया और आबकारी विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी के नेतृत्व में लाॅक डाउन में ही शराब तस्करों के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ दिया गया। इससे शराब की तस्करी के साथ ही शराब की अवैध बिक्री करने वाले भी निशाने पर आ गये। अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी अपने सख्त मिजाज के लिए जाने जाते हैं, यही कारण है कि उनका हर अभियान सख्ती से चलाया जाता है। शराब तस्करों के खिलाफ जब उन्होंने जिलों को अभियान चलाकर रिजल्ट देने के निर्देश दिये तो आबकारी विभाग में भी हलचल नजर आयी और इसके परिणाम सार्थक भी हुए। अपै्रल से जून 2020 तक लाॅक डाउन के दौरान आबकारी विभाग द्वारा प्रदेश स्तर पर चलाये गये अभियान में शराब तस्करों और अवैध कारोबार करने वालों के खिलाफ कुल 14,732 मुकदमे दर्ज किये गये। पूरे प्रदेश में 3 लाख 39 हजार 848 लीटर कच्ची शराब के साथ ही 37 हजार 855 लीटर देशी और 29 हजार 663 अंग्रेजी शराब पकड़ी गयी। यह शराब अवैध रूप से लायी गयी थी। इस कार्यवाही के दौरान यूपी आबकारी विभाग द्वारा 4,797 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 119 वाहन जब्त किये गये।

लाॅक डाउन में शराब का अवैध कारोबार रोकने के लिए अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर. भूसरेड्डी ने सभी जनपदों में आबकारी अधिकारियों को सड़कों पर निकाला और दिन-रात निरीक्षण करने के आदेश दिये। वह खुद भी प्रदेश में शराब की तस्करी को लेकर चल रहे अभियान पर नजर रखे हुए थे। अफसरों को भी अपने आंख और कान खुले रखने की हिदायत दी गयी। इतना ही नहीं जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लाॅक डाउन के दौरान ही सरकार का राजस्व घाटा कम करने के लिए प्रदेश में शराब व बीयर की दुकानों को शर्तों के साथ खुलवाने के आदेश दिये तो अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी ने इस चुनौती को भी सहजता के साथ स्वीकार करते हुए सोशल डिस्टेंस और कोविड 19 गाइड लाइन के अनुसार प्रदेश में लाॅक डाउन में शराब की बिक्री का प्रबंध कराने में सफलता अर्जित की। पूरे प्रदेश में कहीं पर लाॅक डाउन में शराब की बिक्री के दौरान कोई विवाद सामने नहीं आया। इतना ही उनके स्तर से शराब पर ओवररेटिंग को रोकने के लिए लगातार सख्त कार्यवाही करायी गयी। जिलों में आबकारी अधिकारियों को लगातार शराब के ठेकों पर चैकिंग करने और प्रतिदिन रिपोर्ट देने की व्यवस्था की गयी, जिसके कारण लाॅक डाउन में जबकि दूसरे सामानों पर जमकर मुनाफाखोरी हुई, वहीं शराब पर कोई ओवररेटिंग करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।

लाॅक डाउन में शराबबंदी के बावजूद बढ़ा आबकारी का राजस्व

अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर. भूसरेड्डी ने लाॅक डाउन में शराब बंदी होने के बावजूद भी आबकारी विभाग के राजस्व में बढ़ोतरी करने का काम कर रोजगार के भी नये रास्ते खोलने का काम करके दिखाया है। यह संजय आर. भूसरेड्डी की ही योजना थी, जिसके चलते शराब का निर्माण बन्द हुआ तो जरूर लेकिन शराब फैक्ट्री से राज्य सरकार को राजस्व आना बन्द नहीं हुआ, बल्कि इस दौरान इन फैक्ट्रियों ने कई गुना ज्यादा राजस्व सरकार को देने का काम किया।

लाॅक डाउन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार प्रदेश में स्थापित चीनी मिलों, आसवनियों एवं अन्य ड्रग अनुज्ञापन धारक इकाईयों को हैण्ड सैनटाइजर का निर्माण किये जाने हेतु एफ.एल.-41 अनुज्ञापन त्वरित गति से प्रदान किये गये। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों के पूर्व प्रदेश में केवल 01 इकाई द्वारा सेनटाइजर का उत्पादन किया जाता था, लेकिन लाॅक डाउन के बाद अब वर्तमान में 91 इकाईयों द्वारा सेनेटाइजर का उत्पादन किया जा रहा है। इससे न सिर्फ सेनेटाइजर की उपलब्धता बढ़ी है, बल्कि इसके मुल्य नियंत्रण में भी सहायता मिली है। भारत सरकार के खाद्य उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से प्राप्त निर्देशों के क्रम में प्रदेश सरकार द्वारा भी निर्देशित किया गया है कि सामान्य जनता से हैण्ड सेनटाइजर का अधिकतम फुटकर मूल्य प्रति 200 एम.एल. पैक 100 रुपये से अनधिक एवं इससे अधिक मात्रा के सेनटाइजर का मूल्य इसी अनुपात में रखा जायेगा। प्रदेश स्थित 91 इकाईयों द्वारा दिनांक-08.07.2020 तक 1,33,88,040 ली. सेनटाइजर का उत्पादन किया गया, जिसमें से लगभग 67,42,358 ली. प्रदेश में एवं 47,15,444 ली. देश के अन्य राज्यों को आपूर्ति की गयी। सेनटाइजर उद्योग में 1600 से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ। सेनेटाइजर के उत्पादन और विक्रय से प्रदेश सरकार को डिनेचुरेशन फीस के रूप में 15.63 लाख रूपये, लाइसेंस फीस के मद में 586.13 लाख रूपये तथा जी.एस.टी. के रूप में 9493.99 लाख रूपये की प्राप्ति हुयी, इस प्रकार कुल-10095.76 लाख रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि पूर्व में मात्र एक इकाई द्वारा सेनटाइजर का उत्पादन किया जाता था, जिससे मात्र 208.9 लाख का राजस्व प्राप्त होता था।

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