विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजनान्तर्गत प्रशिक्षित होकर परम्परागत कारीगर हो रहे हैं आत्मनिर्भर

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति के अन्तर्गत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के स्थानीय पारम्परिक दस्तकारों, कारीगरों के विकास हेतु उद्यम आधारित कौशल वृद्धि प्रशिक्षण देते हुए उन्हे स्वरोजगार से लगाने के लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना उ0प्र0 सरकार ने संचालित की है। उ0प्र0 के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आरम्भ की गई इस योजना में पारम्परिक शिल्प के कारीगरों, दस्तकारों को 06 दिनों की मुफ्त ट्रेनिंग दी जाती है। इस योजना के तहत प्रशिक्षण जिला उद्योग केन्द्र द्वारा जिला मुख्यालय या तहसील स्तर पर कराई जाती है। प्रशिक्षण के दौरान कारीगरों के रहने, खाने आदि की व्यवस्था प्रदेश सरकार द्वारा की जाती है।

विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजनान्तर्गत प्रशिक्षण लेने के लिए उ0प्र0 के मूल निवासी 18 वर्ष से अधिक आयु वाले अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। इसके अन्तर्गत पारम्परिक दस्तकार, कारीगर यथा बढ़ई, दर्जी, टोकरी बनाने, बुनकर, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई, मोची, राजमिस्त्री, हस्तशिल्पी, आदि शिल्प में परिवार का एक सदस्य प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है। प्रशिक्षण अवधि में अर्धकुशल श्रमिक के मजदूरी दर पर उन्हें मानदेय भी दिया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद प्रशिक्षणार्थियों को संबंधित टेªड्स के आधुनिक/उन्नत किस्म के टूल किट्स भी निःशुल्क दिये जाते हैं। यदि प्रशिक्षण प्राप्त कोई इच्छुक लाभार्थी बैंक से ऋण लेकर अपना व्यवसाय/उद्यम करना चाहता है तो उसे मार्जिन मनी ऋण की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है।

प्रदेश सरकार द्वारा संचालित इस रोजगारपरक योजना से प्रदेश में 15 से 20 हजार बेरोजगार कारीगरों को प्रतिवर्ष स्थाई रोजगार मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इसका लाभ शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लोग उठा सकते हैं। संबंधित टेªड्स में प्रशिक्षण प्राप्त कर गरीब कारीगर अपना स्वयं का उद्यम चालू कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 में प्रदेश के विभिन्न टेªड्स में 7474 कारीगरों ने प्रशिक्षण व टूल किट्स प्राप्त कर अपने रोजगार से लग गये हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 में प्रदेश के 20 हजार लोगों को विभिन्न टेªड्स में प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए कार्यवाही की जा रही है।

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