भण्डारण लाइसेन्स स्वीकृति हेतु इच्छुक व्यक्ति कर सकते हैं आवेदन -डाॅ0 रोशन जैकब

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लखनऊ। आम जनमानस को उचित मूल्य पर एवं सुगमता पूर्वक उपखनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित किये जाने के उद्देश्य से किसी भी भारतीय नागरिक, फर्म, संस्था द्वारा प्रदेश के किसी भी जनपद में उपखनिजों का भण्डारण लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

यह जानकारी भूतत्व खनिकर्म निदेशक डाॅ0 रोशन जैकब ने दी। उन्होंने बताया कि भण्डारण अनुज्ञप्ति की स्वीकृति हेतु आवेदक द्वारा रू0 10,000/- का आवेदन शुल्क, खनिज स्टाॅक के बाजार मूल्य के 10 प्रतिशत के बराबर एफ0डी0आर0/एन0एस0सी0 जो जिलाधिकारी के पक्ष में बंधक हो के साथ भू-कर मानचित्र, नजरी-नक्शा, चरित्र प्रमाण पत्र, भण्डारित खनिज की मात्रा की 10 प्रतिशत रायल्टी का हैसियत प्रमाण पत्र, खनन देयों से सम्बन्धित अदेयता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाना होगा।

डाॅ0 रोशन जैकब ने बताया कि नदी तल में स्वीकृत बालू, मौरम, बजरी, बोल्डर के खनन पट्टेधारकों को जिस जनपद में पट्टा स्वीकृत है उस जनपद को छोड़कर अन्य जनपदों में भण्डारण अनुज्ञप्ति स्वीकृत की जायेगी। उन्होंने बताया कि नदी तल के उपखनिजों के भण्डारण 05 कि0मी0 के घेरे के बाहर स्वीकृत होंगे। फुटकर विक्रेता अधिकतम 100 घन मी0 तक खनिज की मात्रा भण्डारित कर सकते है, जिसके लिए भण्डारण अनुज्ञप्ति की आवश्यकता नही होगी, परन्तु उन्हे स्वयं का विवरण वेब पोर्टल कहउनचण्पद पर आॅनलाइन दर्ज करना होगा।

निदेशक ने बताया कि मानसून सत्र में आम उपभोक्ता को सस्ते एवं सुगम रूप से उपखनिज उपलब्ध हो पाये इसलिए मानसून अवधि के पूर्व अधिक से अधिक भण्डारण लाइसेंस स्वीकृति हेतु इच्छुक व्यक्ति आवेदन प्रस्तुत कर सकते है। इस सम्बन्ध में जनपद के विभागीय अधिकारी से विशेष जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

डाॅ0 रोशन जैकब ने बताया कि उत्तर प्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भण्डारण का निवारण) नियमावली-2002 के प्राविधानों के अनुसार अधिकतम 10 वर्ष की अवधि हेतु खनिजों के भण्डारण की अनुज्ञप्ति स्वीकृत /नवीनीकरण का प्राविधान प्राविधानित था, जिससे भण्डारणकर्ता द्वारा खनिजों की भ्वंतकपदह किये जाने से उपखजिनों की उपलब्धता में समस्या उत्पन्न हो रही थी साथ ही खनन परिहारधारकों द्वारा खनिज क्षेत्रों के निकटस्थ भण्डारण लाइसेंस स्वीकृत करा लिया जा रहा था जिससे मानसून अवधि (जुलाई, अगस्त, सितम्बर) में भी अवैध खनन की सम्भावनायें बनी रहती थी।

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