कभी गधा बाप तो कभी बाप गधा!

कभी गधा बाप तो कभी बाप गधा!
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पटना। यह कहावत यूं ही नहीं बन गयी कि मतलब पड़ने पर लोग गधे को भी बाप बना लेते हैं। इसका सामान्य अर्थ यही लगाया जाता है कि स्वार्थ पूरा करने के लिए किसी को भी सम्मान दिया जाना। इस प्रकार गधा और बाप दोनों को इस संदर्भ में समझना पड़ेगा। सामान्य तौर पर गधा एक जानवर है और बाप का मतलब पिता से है। गधे को लेकर यह कहा जाता है कि वो बेवकूफ किस्म का जानवर होता है । उसका संबंध धोबी से जोड़ा जाता है जिनका पुश्तैनी धंधा कपड़े धोने का है। धोबी के पास गधे का काम कपड़े लादकर घाट तक ले जाना और फिर धुले कपड़े घर ले आना होता है। कभी कभी धोबी का बच्चा अथवा स्वयं धोबी उस पर बैठ भी जाता है। यह भी एक दुर्लभ संयोग होता होगा क्योंकि कहते हैं कि कहने से कभी धोबी गधे पर नहीं बैठता। यह गधा पुराण बहुत लम्बा है लेकिन क्या करें बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बिहार के दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने बाप को ही गधा साबित कर दिया । बिहार में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। राज्य में 2015 में जब विधानसभा चुनाव हुए थे, तब वहां लालू यादव के प्रयास से ही महागठबंधन बना था। यही कारण रहा कि नीतीश यादव की पार्टी जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू) से ज्यादा विधायक लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को मिले थे। यह लालू यादव का ही प्रभाव था कि तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम बनाया गया। अब तेजस्वी यादव कहते हैं कि लालू यादव के जंगलराज के लिए बिहार की जनता क्षमा करे। लोग कहते हैं कि बेटा होशियार है। इसीलिए बाप को गधा बनाकर चुनाव जीतना चाहता है।

बिहार में विधानसभा चुनाव इसी वर्ष अक्टूबर या नवम्बर में होने हैं । कोरोना महामारी ने जिस तरह से अपने पैर पसारे हैं, उससे यह कहना मुश्किल लग रहा कि चुनाव किस तरह सम्पन्न कराए जाएंगे। भाजपा वर्चुअल रैलियां कर रही है। इस प्रकार की रैली में बहुत खर्चा आता है। भाजपा के बाद उसकी साथी और सत्तारूढ़ जद-यू ने वर्चुअल रैली करने की घोषणा की है। अन्य दलों की तरह राजद के सामने भी समस्या है। इसीलिए चुनाव से ठीक पहले तेजस्वी यादव ने एक बड़ा दांव चल दिया है बड़ा बयान दिया है। तेजस्वी यादव ने बिहार की जनता से 15 साल के लालू-राबड़ी शासनकाल में हुई गलतियों के लिए माफी मांगी है और कहा है कि एक बार हमें मौका देकर देखें। तेजस्वी यादव ने ये बातें गत 2 जुलाई को राजद के मिलन समारोह के दौरान आयोजित कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही।

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि 15 साल के आरजेडी शासनकाल के दौरान जो भी हुआ, वह उस वक्त हुआ जिस वक्त हम छोटे थे और सरकार में क्या हो रहा था ये सब कुछ भी नहीं जानते थे। तेजस्वी यादव ने ये भी कहा, ठीक है, 15 साल हम सत्ता में रहे, लेकिन हम तो सरकार में नहीं थे, हम तो छोटे थे लेकिन फिर भी हमारी सरकार रही। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि लालू प्रसाद ने सामाजिक न्याय नहीं किया।तेजस्वी यादव ने कहा, लालू प्रसाद ने बिहार में सामाजिक न्याय नहीं किया। वह दौर अलग था। ठीक है 15 साल में हमसे कोई कमी या भूल हुई है तो हम उसके लिए भी माफी मांगते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता उनको एक मौका और देगी तो वह उनको निराश नहीं होने देंगे। तेजस्वी ने बिहार की जनता से अपील की कि अगर वह एक कदम आगे चलेंगे तो वह खुद चार कदम आगे बढ़ने को तैयार हैं। तेजस्वी ने कहा कि आप हमें एक मौका दें।

तेजस्वी मौका चाहते हैं एक बार सरकार बनाने का, कहते हैं जनता को निराश नहीं करेंगें । उनके पिता लालू यादव ने जो गलती की, उसे नहीं दोहराएंगे। तेजस्वी यादव आज जो भी हैं, अपने पिता लालू यादव और माता राबड़ी देवी के कारण हैं। उनकी राजनैतिक हैसियत लालू-राबड़ी सरकार के चलते ही बनी है। आज उन्हें लालू यादव में कमियाँ नजर आ रही हैं। तेजस्वी यह भूल रहे हैं कि जिस कुर्सी के लिए वे अपने पिता को गधा साबित कर रहे हैं, उसी कुर्सी को लालू यादव ने लगभग डेढ़ दशक तक अपने कब्जे में रखा है। इतना ही नहीं, लालू यादव जब रेलमंत्री हुआ करते थे, तब रेलवे ने अच्छी कमाई की थी और रेलवे के मैनेजमेंट को ही देख कर कई प्रतिष्ठित मैनेजमेंट कालेजों ने उनको लेक्चर देने के लिए भी आमंत्रित किया था। अपने बेटे की नजर में आज वो सफल मैनेजर कठघरे में खड़ा है।

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के 73वें जन्मदिन पर उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने रिम्स में उनसे मुलाकात की। इस दौरान केक भी कटा और सादे अंदाज में बर्थडे सेलिब्रेट भी हुआ। इस मौके पर तेजस्वी ने अपने पिता लालू के जीवन व व्यक्तित्व को लेकर बिहार के लोगों के नाम इमोशनल चिट्टी लिखी थी। तेजस्वी ने लिखा आज पिता जी से उनके अवतरण दिवस पर मिलने रांची आया हूं। उनके जन्मदिवस पर अलग-अलग तरह के भाव मन में आ रहे हैं। मन थोड़ा व्यथित है कि वो हमसे दूर अकेले संघर्ष कर रहें है और थोड़ा सशक्त भी क्योंकि उनका जन्मदिन मुझे और अधिक प्रेरणा देता है। उनकी तरह ही मुखरता से गरीब-गुरबों, शोषित, पीड़ित, उपेक्षित और वंचितों की लड़ाई बिना सिद्धांतों से समझौता किए लड़ूं। अपने पिता के जीवन की यात्रा पर जब भी नजर डालता हूं तो ऐसा लगता है कि क्या अद्भुत और बिरला जज्बा लिए हैं।

आदरणीय लालू जी, ऊंच-नीच के विरुद्ध लड़ाई लड़े, बिहार की तमाम सामाजिक विसंगतियों को खत्म किया। गरीब के हक का झंडा बुलंद किया और चाहे कितनी भी विषम परिस्थिति आई, कभी घुटने नहीं टेके, कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। विषम हालात अच्छे-अच्छों को तोड़ देते हैं। षडयंत्र व समर्पण करने को मजबूर कर देते हैं। वर्षों का दुष्प्रचार इंसान का आत्मविश्वास छीन लेता है, लेकिन ये भी अनुकरणीय है कि विषम हालात, अनगिनत षडयंत्र और लगातार दुष्प्रचार भी लालू जी के हौसले को तोड़ नहीं पाए, उनके सिद्धांतों को झुका नहीं पाए, जनसेवा के लिए समर्पित उनके कदमों को रोक नहीं पाए अपितु उनके हौसलों को मजबूत ही किया। वो लड़ रहे हैं आज भी, बिना थके, बिना झुके... और मुझे गर्व है कि बिहार के लोगों के हक के लिए उनकी इस लड़ाई में मैं भी सहभागी बना हूं। इसलिए आज उनके जन्मदिन पर मैं यह प्रण लेता हूं कि बिहार के युवाओं और गरीबों को हर हालत में न्याय दिला कर रहूंगा।बस...बहुत हो चुका जातिवाद, सम्प्रदायवाद। बहुत हो चुकी बीमारी के दौरान फैली अव्यवस्था से मौतें, बहुत देख ली गरीब ने रोटी की भूख, बहुत रह लिया हमारा युवा बेरोजगार, बहुत सह लिया हमारे भाइयों और उनके परिवारों ने पलायन का दर्द, कुशासन ने छीन ली बहुत जानें। सड़कों पर बहुत बेहाल हो चुका बिहारी...सरकार ने 15 साल राज करते-करते बहुत ठीकरा फोड़ लिया दूसरों पर...अब और नहीं होने दूंगा। भुखमरी से, अपराध से, अव्यवस्था से, अन्याय से अब जान नहीं खोने दूंगा....।

तेजस्वी जी, जनता को कभी गधा समझने की भूल मत करिएगा। (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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