समाजवादी पार्टी अन्याय के विरोध में और पीड़ितों के साथ खड़ी है : अखिलेश यादव

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कानपुर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कानपुर पहुंचकर नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा के दौरान पुलिस की गोली से मारे गए मुंशीपुरवा के मो सैफ, मो आफताब और बेगमपुरवा के मो रईस के परिजनों से भेंट की। ये बेहद गरीब परिवार के हैं।

अखिलेश यादव ने मृतक आश्रितों को सांत्वना दी और मो सैफ के पिता मो तकी, मो आफताब की माता नजमा बानो तथा मो रईस के पिता शरीफ को 5-5 लाख रूपए के चेक देकर आर्थिक सहायता दी। अखिलेश यादव ने इसके पूर्व लखनऊ में मृतक वकील अहमद के परिजनों से भेंट कर उन्हें 5 लाख रूपए का चेक दिया था।

अखिलेश यादव न के साथ नेता प्रतिपक्ष विधान परिषद अहमद हसन, राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी तथा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी थे।

अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी अन्याय के विरोध में और पीड़ितों के साथ खड़ी है। इसलिए समाजवादी पार्टी की ओर से पुलिस की गोली से मृतकों के सभी पीड़ित परिवारों को 5-5 लाख रूपए की मदद दी जा रही है।

अखिलेश यादव ने कहा कि 19 दिसम्बर 2019 की घटना में कानपुर में पुलिस की गोली से 3 नौजवानों की जाने गई हैं। यह प्रशासन की बड़ी लापरवाही है। समाजवादी पार्टी इसे दुःखद और अमानवीय मानती है। समाजवादी पार्टी संवेदनशील राजनीतिक दल है। सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान माननीय न्यायाधीश से इनकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन करने वालों पर भाजपा सरकार के इशारे पर हमला किया गया था। यह सरकार की नाकामी दर्शा रही है।

अखिलेश यादव ने कहा कि आजादी के आंदोलन में जब सभी साथ-साथ आंदोलन कर सकते हैं तो आजाद भारत में भाईचारे के साथ क्यों नहीं रह सकते है। भारत की यही ताकत है। स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों की आज उपेक्षा हो रही है जबकि देश के विकास और समाज में सौहार्द तथा सद्भाव के प्रसार में हमें उन आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना होगा। जिसका भाजपा को परहेज है।

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून लाकर देश को बांटने का काम किया है। भाजपा धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बांट रही है। वह अंग्रेजों के पद चिह्नों पर चलते हुए बांटों और राज करो की नीति अपना रही है।

अखिलेश यादव ने कहा कि छह माह पहले प्रदेश सरकार के तीन सौ विधायकों ने विरोध में मोर्चा खोल दिया था। इससे भटकाने के लिए ही प्रदेश में ऐसी घटना कराई गई। अब सभी अपना अस्तित्व बचाने के लिए चुप्पी साधे हैं। नोटबंदी हो या जीएसटी फिर चाहे टेनरी बंदी, प्रदेश और केन्द्र सरकार हर जगह नाकाम साबित हुई है।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कानपुर यात्रा में पच्चीस हजार से ज्यादा नौजवानों की भीड़ थी। इनमें बड़ी संख्या में पुरूष, महिलाएं तथा युवा शामिल थे। कानपुर में भीड़ का आलम यह था कि भारी पुलिस बल और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भी व्यवस्था बनाए रखने में सफल नहीं हो सकी। नौजवानों में भाजपा सरकार और प्रशासन की व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश प्रदर्शित हो रहा था। तब स्वयं अखिलेश यादव ने किसी तरह स्थिति को सम्हाला। लोगों का अखिलेश पर जो भरोसा है, यह जन सैलाब उसका ही प्रदर्शन है।


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