जन्मदिन विशेषः मध्य प्रदेश में जन्मे, उत्तर प्रदेश में चमके सत्यदेव चौधरी

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नई दिल्ली । 12 अगस्त 1948 को जन्में सत्यदेव पचौरी कानपुर की सियासत से निकल कर देश के सबसे बड़े सदन में यानी लोकसभा के भी सदस्य बन गए। कानपुर से तीन बार विधायक रह चुके सत्यदेव पचौरी ने 2017 के चुनाव जीतने के बाद जब यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली तो उन्हें विभाग दिया गया था खादी ग्रामोद्योग, रेशम उत्पादन, वस्त्र, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन । इन विभागों को सँभालने के बाद सत्यदेव पचौरी ने ऐसा काम किया कि इन विभागों की कायाकल्प कर दी थी इसके बाद कानपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने उन्हें टिकट दिया और नतीजा आया कि सत्यदेव पचौरी चुनाव जीतकर देश के सबसे बड़े सदन में पहुँच गए और अब कानपुर के विकास के लिए निरंतर काम कर रहे है । उनके जन्मदिन पर खोजी न्यूज़ की खबर

उत्तर प्रदेश की कानपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर संसद में पहुंचे सत्यदेव पचौरी को 468,937 मत प्राप्त हुए थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वन्दी कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 313,003 मत प्राप्त हुए थे। इसके साथ ही सपा के रामकुमार को 48,275 मत, एसबीजेपी के आलोक कुमार को 1,885 मत, बीएससीपी की पूनम शुक्ला को 1130, निर्दलीय राम गोपाल उत्तम को 1078, शिवम कुशवाहा को 998, जावेद मोहम्मद खान को 696, चंद्र भान संखवार को 595, बलवीर सिंह चंदेल को 591, दिलशाद अहमद को 580, त्रिवेणी नारायण जायसवाल को 486, रीना उर्फ रेणु को 367 तथा मुक्ति यादव को 316 मत प्राप्त हुए थे। सांसद बनने से पूर्व सत्यदेव पचौरी यूपी के योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे।




भारतीय सभ्यता और परिवेश में रचे बसे एक ब्राह्मण कृषक परिवार में प्यारेलाल पचौरी के घर में सत्यदेव पचौरी का जन्म 12 अगस्त 1948 में मध्य प्रदेश के जनपद भिंड स्थित गांव मिहोना में हुआ था। इनका ज्योतिषों के परामर्श से 'सत्यदेव' नामकरण किया गया। सत्यदेव पचौरी के जीवन पर इनकी धार्मिक माँ का गहरा प्रभाव पड़ा, जिसने इनके मन में सरलता एवं विनम्रता का संस्कार डाला। इनके बड़े भाई, स्वर्गीय श्रीनिवास शास्त्री, ज्योतिष में विद्वान् होने के साथ जनसंघ के वरिष्ठ नेता भी थे। सत्यदेव पचौरी विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय भावनाओ से ओतप्रोत रहे। इनका विद्यार्थी जीवन बचपन से ही प्रतिभाशाली रहा है। प्रारंभिक कक्षाओं से ही प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होते रहे। गंगा किनारे नवाबगंज कानपुर में स्थित विक्रमाजीत सिंह सनातन धर्म (वीएसएसडी) काॅलेज से रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। सत्यदेव पचैरी का विवाह वर्ष 1967 में, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुडे जनसंघ और भाजपा के नेता स्वर्गीय सुरेन्द्र नाथ शर्मा की पुत्री, रमा शर्मा के साथ हुआ। इस विवाह से इन्हें दो पुत्रियाँ एवं दो पुत्र हैं।




परिवार के जीवन-यापन के लिए सरकारी नौकरी को अनदेखा करके सत्यदेव पचौरी ने अपने लोहे के व्यवसाय को चुना, जिसमें ईमानदारी व कठिन परिश्रम को अपना शास्त्र बनाकर काफी प्रगति की। सत्यदेव पचौरी में समाज हित की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। बाल निकुंज स्वरुप के अध्यक्ष के रूप में भी इन्होंने अपनी भूमिका निभाई। सत्यदेव पचौरी सनातन धर्म मंडल व हिन्दू अनाथालय कानपुर मंडल के सदस्य भी हैं। अनाथालय के सदस्य होने के नाते, बेसहारा अनाथ बच्चों की भलाई के लिए हर संभव प्रयास करते रहते हैं। सत्यदेव पचौरी इसी लगन एवं समाजसेवा के परिणामस्वरुप सन 1991 में कानपुर की आर्यनगर विधानसभा और इसके बाद 2012 एवं 2017 में गोविन्दनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुना गया। सत्यदेव पचैरी बहुत ही सरल-सहज एवं धार्मिक प्रकृति के व्यक्ति है। राष्ट्रप्रेम इनके रोम रोम में बसा है। सत्यदेव पचौरी समाज के प्रत्येक वर्ग एवं जाति में लोकप्रिय हूं।




बचपन से ही सत्यदेव पचौरी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कामकाज से प्रभावित रहे, क्योंकि उनके पिता जनसंघ से जुड़े हुए थे, तो घर में राजनीतिक माहौल में ही उन्होंने जन्म लिया और बचपन राजनीतिक चर्चाओं व गतिविधियों के बीच ही गुजरा, यही कारण रहा कि उन पर भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का प्रभाव रहा। बचपन से ही उन्होंने एक स्वयं सेवक के रूप में सेवा की। छात्र जीवन से ही उनको राजनीति ने प्रभावित किया। वो वीएसएसडी काॅमर्स काॅलेज कानपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता के रूप में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे और 1967 से छात्र सभा के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने के साथ ही अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की। 1968 से 1975 तक वीएसएसडी काॅलेज कानपुर संकाय छात्र संघ चुनाव में भारतीय जनसंघ उम्मीदवारों का प्रभाव बना रहा। यहीं से सत्यदेव पचौरी ने भारतीय राजनीति का ककहरा सीखा और वर्ष 1972 के चुनाव में सत्यदेव पचौरी की भूमिका रही। साल 1975 से 1977 तक आपातकाल में, लोकनायक जयप्रकाश नारायण की भूमिका से प्रभावित होकर उन्होंने भूमिगत रहकर काम किया। 1978 से 1980 तक सत्यदेव पचौरी ने उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा में काम किया और युवाओं को बड़ी संख्या में भाजपा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई। वर्ष 1980 में उनको भाजपा को-ऑपरेटिव कमेटी उत्तर प्रदेश का सदस्य नामित किया गया। 1991 में विधानसभा कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। 1992 में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष द्वारा उनको राज्य अनुशासन समिति में जिम्मेदारी सौंपी। 1991 से 2002 तक वो आयरन बिजनेस बोर्ड कानपुर के अध्यक्ष रहे। 1991 में ही उनको उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट दिया और वो कानुपर जनपद की आर्यनगर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने। इस चुनाव में भाजपा की लहर चली थी। इसके बाद 1993 में हुए मध्यावधि विधानसभा चुनाव में फिर से सत्यदेव पचौरी को आर्यनगर सीट से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया, लेकिन वो चुनाव नहीं जीत सके। 1994 से 2004 तक भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में उनको उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली। यहां उन्होंने संगठनात्मक कार्यशैली से सभी को प्रभावित किया और संगठन में अनुशासन को सर्वोपरि रखा। साल 2004 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर कानपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव आये तो भाजपा ने सत्यदेव पचौरी को कानपुर जनपद की गोविंद नगर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से टिकट दिया और उन्होंने जीत दर्ज की। सपा ने इस चुनाव में पूर्ण बहूमत हासिल किया था, लेकिन इसके बाजवूद भी सत्यदेव ने गोविन्दनगर सीट से 57156 वोट लेकर जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के डा. शैलेन्द्र दीक्षित को पराजित किया। सपा इस सीट पर चैथे स्थान पर रही। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फिर से सत्येदव पर भरोसा किया और उनको गोविन्दनगर सीट से प्रत्याशी बनाया गया।




मिश्रित आबादी वाली इस गोविन्द नगर विधानसभा में वैसे तो पिछली बार भाजपा की जीत हुई थी। यहां ब्राह्मण वोट बैंक अधिक होने के कारण भाजपा को इसका फायदा मिला। 2017 में भी पार्टी यहीं आकड़ा लगाये हुई थी, क्योंकि सपा कांग्रेस गठबंधन के बाद यहाँ से कांग्रेस के उम्मीदवार अम्बुज शुक्ल चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन सपा से सुनील शुक्ल का टिकट काट जाने के बाद पार्टी को भीतरघात का डर भी सता रहा था। हालांकि बाद में सपा ने योगेन्द्र कुशवाहा को टिकट दिया था, लेकिन पर्चे में कमी पाए जाने के कारण खारिज कर दिया गया था। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने भी ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए निर्मल तिवारी को टिकट दिया, लेकिन इस चुनाव में दूसरी बार भी यहां पर कमल खिलाकर सत्यदेव पचौरी विधानसभा में पहुंचे थे ।




इस चुनाव में सपा ने इस सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा। सत्यदेव ने 1 लाख 12 हजार 29 वोट हासिल किये। कांग्रेस के अम्बुल शुक्ला 40 हजार वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे। 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तो सत्यदेव पचौरी को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलायी गयी। वर्तमान में सत्यदेव पचौरी यूपी सरकार में खादी ग्रामोद्योग, रेशम उत्पादन, वस्त्र, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे थे । बतौर मंत्री उनके दो साल के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के प्रोत्साहन के चलते उनकी स्थापना कराने में देशभर में अव्वल पायदान पर पहुंचा था ।

बतौर कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचैरी ने दावा किया था कि 70 साल के इतिहास में देश में पहली बार किसी सरकार ने अपने प्रत्येक साल का रिपोर्ट कार्ड पेश किया है। किसी सरकार ने आज तक देश की जनता को अपनी उपलब्धियों को नहीं बताया है। पिछली सरकार ने जो कार्य 40 साल में नहीं किया है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार ने पांच साल में पूरा कर दिया है।

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