जेल में व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए सीताराम को मिलेगा गोल्ड मेडल

जेल में व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए सीताराम को मिलेगा गोल्ड मेडल

मुजफ्फरनगर। उरई जेल के बाद मुजफ्फरनगर जैसी बदनाम जेल में बतौर जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने अपना चार्ज संभालने के बाद से जिस तरह से जेल में बदलाव किया, उसी का नतीजा है कि जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा को अब शासन से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाएगा। सीताराम शर्मा को इससे पहले भी सिल्वर मेडल मिल चुका है। मुजफ्फरनगर जैसी जेल में काम करते हुए एफएसएसआई ( FSSI) और आईएसओ ( ISO ) जैसे बड़े सर्टिफिकेट दिलाने वाले सीताराम शर्मा जब शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो मन में ख्याल था कि बड़े होकर टीचर, प्रिंसिपल और प्रोफेसर बन कर बच्चों को ऐसी शिक्षा देंगे कि वे देश और समाज की मुख्यधारा में जुड़ सकें, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

पहले जिले लेवल के एक अवसर के रूप में काम किया तो मन नहीं लगा और फिर वह बन गए जेल अधीक्षक। कभी बच्चों को शिक्षा का सबक सिखाने वाले सीताराम शर्मा अब जेल अधीक्षक ( Jail Superintendent ) बनकर जरायम की दुनिया के धुरंधरों को जेल के नियम और कानून का सबक सिखा रहे हैं। मुजफ्फरनगर जिला कारागार ( Muzaffar Nagar District Jail ) के जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा पर खोजी न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट ...


सीताराम शर्मा ( Sitaram Sharna ) मूल रूप से आगरा के रहने वाले हैं। आगरा में ही उनकी प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक पढ़ाई हुई। सीताराम शर्मा जब पढ़ रहे थे तो उनके मन में कहीं ना कहीं टीचर, प्रिंसिपल और प्रोफेसर बनकर बच्चों को ऐसी शिक्षा देने का था कि वे अपने-अपने पदों पर काम करते हुए देश और समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर जनता की सेवा कर सके। उच्च शिक्षा लेने के बाद सीताराम शर्मा ने आगरा के स्कूल में बच्चों को शिक्षा भी दी लेकिन इसी बीच उनका यूपीएससी का एग्जाम के लिए करने का मन बना और उन्होंने दिल्ली जाकर इसकी तैयारी भी शुरू कर दी। उन्होंने अपना पहला एग्जाम यूपीयूपीएससी ( UPUPSC ) का दिया, जिसमें पास होकर वह जिला दिव्यांगजन अधिकारी के रूप में हाथरस जनपद में तैनात हो गए। इस पद के साथ-साथ उनके पास जिला समाज कल्याण अधिकारी का भी अतिरिक्त चार्ज था, लेकिन फाइलों पर दस्तखत करने के अलावा कोई ऐसा काम उन्हें नहीं मिल पा रहा था। जिससे वे निर्णायक मोड में रहकर ऐसे फैसले कर सके जो उन्हें उनके कार्यकाल की नजीर बन सके।

जिला दिव्यांगजन अधिकारी के रूप में सीताराम शर्मा का मन नहीं लगा और उन्होंने फिर से यूपीपीएससी ( UPUPSC )का एग्जाम दिया। साल 2016 में उनका नंबर यूपी में जेल अधीक्षक के पद पर आ गया। सबसे पहले उन्होंने उरई जेल के जेल अधीक्षक की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने जेल में बंद जरायम की दुनिया के धुरंधरों को जेल के नियम कायदे कानून का ऐसा सबक पढ़ाया कि मुजफ्फरनगर जेल में जब उनकी पोस्टिंग हुई तो यहां के बंदियों को उनके आते ही संदेश मिल गया था कि कभी बच्चों को अनुशासन के दायरे में शिक्षा ग्रहण कराने वाले मास्टर जी सीताराम शर्मा अब जेल में खुराफाती बंदियों को सबक सिखाने में एक्सपर्ट है। उरई जेल के उनके संदेश का ही नतीजा था कि मुजफ्फरनगर जेल के बंदी सीताराम शर्मा के दिए गए सबक को नजरअंदाज नहीं कर पाते हैं। कभी अपनी खुराफात को लेकर बदनाम रहने वाली मुजफ्फरनगर जेल अपने मास्टर जी जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा के सबक को याद रखते हुए मुजफ्फरनगर जेल में शांति का वातावरण बनाए हुए हैं।







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