बर्थडे स्पेशल - बेगुनाहों को इंसाफ दिलाने वाले अफसर है IPS बबलू कुमार

बर्थडे स्पेशल - बेगुनाहों को इंसाफ दिलाने वाले अफसर है IPS बबलू कुमार

लखनऊ। बबलू कुमार भारतीय पुलिस सेवा के वह अफसर है जो जहां रहते है अपनी कार्यशैली से आम जनता में अपनी पहचान छोड़ जाते है। अपराध नियंत्रण से लेकर पुलिस वेलफेयर के साथ-साथ अपनी व्यवहार कुशलता के बलबूते 2009 से अब तक बबलू कुमार आला अफसरों के भरोसे पर भी खरे उतरते रहे है, यही कारण है कि हरेवा कांड के बाद विपरीत परिस्थितियों में शाहजहापुर में पोस्टिंग हो या खनन माफियाओ के बीच विवाद के बाद चर्चा में आये जालौन जनपद के पुलिस कप्तान का चार्ज संभालना। शासन के आला अफसरो का भरोसा बबलू कुमार में है यह तब भी साबित हुआ था जब जवाहरबाग कांड के बाद जब शासन-प्रशासन पर कार्यवाही नहीं करने की उंगलिया उन रही थी तब उत्तर प्रदेश सरकार ने बबलू कुमार को जालौन से मथुरा एसएसपी के रूप में हैलिकॉप्टर से भेजा था। बबलू कुमार की कई जनपदों में संकट की घड़ी में पुलिस कप्तान के रूप में पोस्टिंग हुई, लेकिन कहीं भी वह विचलित नहीं हुए और जिस मकसद से उन्हे जहां भी भेजा गया था उसमे उन्होंने अपना शत-प्रतिशत योगदान दिया। मथुरा में जवाहरकांड के बाद बबलू कुमार की जब पोस्टिंग हुई तो उन्होंने देर रात तक जागते हुए पुलिस का मनोबल बढ़ाया वहीं इस कांड के मास्टरमाईन्ड लोगो की गिरफ्तारी भी कराई। मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, आज़मगढ़ के बाद अब आगरा के पुलिस कप्तान बबलू कुमार जहां भी तैनात रहे, पुलिस और पब्लिक में अपनी अमिट छाप छोड़ गये हैं।

आईपीएस बबलू कुमार का जन्म 2 जून 1982 को हुआ था तथा 5 दिसम्बर 2011 को बबलू कुमार का विवाह ज्योत्सना के साथ हुआ था। उनके दो बेटे है जिनके नाम रियांस और देवांष है। आज उनके जन्मदिन पर खोजी न्यूज़ की स्पेशल स्टोरी ---------


मूल रूप से मधुबनी बिहार प्रदेश के रहने वाले बबलू कुमार बनना तो आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर चाहते थे लेकिन चूंकि वह नवोदय विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करके आये थे इसलिए वह चाहते थे कि वह ऐसी सेवा में आये जिससे सोसाइटी के जिस पैसे से वह शिक्षा ग्रहण करके आये है, उसी सोसाइटी के लिए काम करके उसे वापस कर सकें। आईपीएस चुनने की इस वजह के साथ-साथ सिविल सर्विसज के प्रति बिहार राज्य का आर्कषण भी एक महत्वपूर्ण कारण था। आईपीएस में आने के बाद बबलू कुमार ने पुलिसकर्मियो की मूलभूत समस्याओं को जाना और जिस जनपद में भी वह बतौर पुलिस कप्तान तैनात रहे वहां उन्होंने पुलिस वेलफेयर के लिए बहुत काम किया है। 12 वीं क्लास में देश भर के 600 जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्रो के टॉपर बबलू कुमार ट्रेनी अफसर के रूप में जहां भी पोस्टिग पर रहे, वहाँ के तत्कालीन एसएसपी और डीआईजी से बेहतर पुलिसिंग सीखने का काम किया। पुलिस विभाग में हमेशा कैसे कुछ नया किया जायें यह सोच रखने वाले आईपीएस बबलू कुमार के पिता का नाम प्रो॰ रामशरण तथा माता का नाम श्रीमति सीता देवी है। बबलू कुमार के पिता प्रो॰ रामशरण आर०के काॅलेज मधुबनी में गणित के प्रोफेसर थे। उनका लक्ष्य था कि वह अपने सभी बेटो को उच्च शिक्षा दें ताकि वह अपने परिवार, जनपद और देश का नाम रोशन कर सकें। आज उनके तीनों बेटे अलग-अलग क्षेत्रों में रहकर अपने परिवार और देश का नाम रोशन कर रहे है। बबलू कुमार को अनुशासन में रहना पंसद हैं उन्हें यह सब कुछ उनके परिवार से मिला है। उनके पिता चूंकि प्रोफेसर रहे है इसलिए उन्होंने अनुशासन में रहने के गुण अपने तीनों बेटो का दिए। बबलू कुमार बताते है कि उनके माता-पिता का पढाई को लेकर उन पर कोई दबाव नही रहता था। माता-पिता ने हमको स्वतंत्रता दे रखी थी। यही वजह रही कि बबलू कुमार पढाई के मामले में स्वतंत्र रहे थे। उनके दो बड़े भाई है। उनके एक भाई मनोज कुमार रेलवे में स्टेशन मास्टर है। उनकी भाभी भी टीचर है उनके दूसरे भाई डा0 सर्वेश कुमार है जो पटना में ही बाल रोग विषेशज्ञ है। बबलू कुमार भी डाॅक्टर बनना चाहते थे, लेकिन अपने भाई डाॅ॰ सर्वेश कुमार की इच्छा पर मेडिकल की पढ़ाई छोड़कर आईआईटी कानपुर में इंजीनियर बनने चले गये थे। उनकी पत्नि यानि बबलू कुमार की भाभी भी चिकित्सक है।



इन IPS से बबलू कुमार ने सीखी पुलिसिंग

2009 बैंच के आईपीएस बबलू कुमार जिस भी अफसर के साथ रहे उससे उन्होंने बहुत कुछ सीखने का प्रयास किया है। मेरठ में पोस्टिंग के दौरान बबलू कुमार तत्कालीन मेरठ डीआईजी जयनारायण सिंह के साथ रहे और पुलिस कार्यालय व्यवस्थित करने का हुनर उन्होंने उनसे सीखा। यही वजह है कि बबलू कुमार जहां रहते है पुलिस कार्यालय को शानदार बनाते है। बबलू कुमार के दूसरे गुरू आईपीएस प्रेमप्रकाश है। बबलू कुमार कहते है कि प्रेमप्रकाश सर से मैने बेहतर पुलिसिंग फील्ड वर्क और सख्ती से कैसे पुलिस इकबाल बुलंद किया जाता है सीखा है। प्रेमप्रकाश सर अक्सर गाड़ी में ही रहते थे और कभी गाड़ी में सोते भी नहीं थे। बबलू कुमार के तीसरे गुरू आईपीएस सुजीत पांडे है । जब बबलू कुमार एसटीएफ पश्चिमी में पुलिस अधीक्षक थे तो सुजीत पांडे आईजी एसटीएफ के पद पर तैनात थे। एसटीएफ के दौरान बबलू कुमार ने सुजीत पांडे से अपराध पर कैसे काम किया जाता है सीखा है। यही वजह है कि बबलू कुमार ने एसटीएफ में पोस्टिंग के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम अपराधियो का डोजियर तैयार किया था और बबलू कुमार जहां भी जाते है उस डोजियर को अपने साथ रखते है। बबलू कुमार के चौथे गुरू आईपीएस विजय सिंह मीणा है। वह बताते है कि पुलिस वेलफेयर और पुलिसकर्मियो के बुनियादी ढांचे को अच्छा रखने का हुनर मैने विजय सिंह मीणा सर से सीखा है। यही कारण है कि बबलू कुमार जहां भी तैनात रहते है वहां पुलिसकर्मियो के आवासीय परिसर के साथ-साथ पुलिस के वेलफेयर पर भी काम करते है। बबलू कुमार के पांचवे गुरू आईपीएस एस0 के0 भगत है। बबलू कुमार बताते है कि नौकरी की शुरूआत में थोड़ा सख्ती से काम करता था लेकिन जब एस0के0 भगत साहब के संपर्क में आया और उनके साथ रहा तो मैने उनसे पब्लिक डीलिंग ओर व्यवहार कुशलता सीखी। उनके बाद से मैने अपने आप में बहुत बदलाव किया।

चाँद के कत्ल को सुलझा कर माहौल को किया था शांत

एक प्रकरण मुज़फ्फरनगर के थाना कोतवाली नगर का था। जिसमें बागजानकीदास निवासी चांद नामक युवक अचानक लापता हो गया था। उसके परिजनो ने दूसरे समुदाय के लोगो पर चांद के अपहरण का आरोप लगाते हुए तहरीर दी। जब बबलू कुमार को इस प्रकरण के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने पुलिस अधीक्षक नगर राजेश कुमार सिंह, क्षेत्राधिकारी नगर डा0 तेजवीर सिंह, शहर कोतवाल प्रीतम पाल सिंह के साथ-साथ क्राइम ब्रांच को भी इस घटना के खुलासे में लगा दिया था। इसी दौरान जब चांद के परिजनो ने चांद की बरामदगी के लिए जाम लगाया तो बबलू कुमार ने संवेदनशीलता को देखते हुए दोनो समुदाय के प्रबुद्व नागरिको को शहर के मीनाक्षी चौराहे पर जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह के साथ इस प्रकरण पर शांति बनाने की अपील की और दोनो तरफ के लोगो के साथ-साथ बबलू कुमार ने चांद मियां के परिजनो को भी वहीं बुलाकर आश्वस्त किया कि अपराधियों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जायेगा। इसी रात को जब पकड़े गये आरोपियो की निशानदेही पर पुलिस ने चांद मियां का शव देर रात बरामद किया तो बबलू कुमार ने जिलाधिकारी दिनेश कुमार के आदेश के बाद रात में ही शव का पोस्टमार्टम कराकर उसके परिजनो को भरोसे में लेते हुए सुबह सवेरे ही उसका अंतिम संस्कार कराकर इस संवेदनशील घटना को एक सामान्य घटना करार दिया। हांलाकि इस घटना के बाद बबलू कुमार ने चांद मियां के परिजनो को भरोसे में ले लिया था लेकिन फिर भी मुजफ्फरनगर की संवेदनशीलता को देखते हुए बबलू कुमार ने कोई कोताही नहीं की और शहर के सभी चौराहो पर पूरे जनपद का फोर्स तैनात कर दिया था।

लूट के मुकदमे से जब छात्रों को किया बेगुनाह साबित - दिलाया था इन्साफ

पुलिस अधीक्षक देहात गाजीपुर में वह फरवरी 2013 से मई 2014 तक रहे। गाजीपुर में पोस्टिंग के दौरान एक लूट की घटना हो गई। पीडि़त ने तीन लोगो को नामजद करते हुए मुकदमा दर्ज करा दिया था। जब बबलू कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने आरोपियो को पकड़ा और उनसे बरामदगी के लिए कड़ी पूछताछ की गई तो आरोपियो ने उन्हे बताया कि घटना के समय वह तो परीक्षा देकर लौट रहे थे हमे घटना के बारे में कुछ भी नही पता है। हमें झूठा फंसाया गया है। आरोपियो से पूछताछ के दौरान बबलू कुमार को यह आभास हो गया था कि इनकी नामजदगी झूटी है लेकिन चूंकि वादी ने इनको नामजद किया था इसलिए पुलिस ने मजबूरन इन तीनो को जेल भेज दिया था लेकिन धुन के पक्के अफसर के रूप में पहचान बनाने वाले बबलू कुमार ने इस घटना की गहराई तक जाकर जांच की और तीन असली लुटेरो को पकड़कर जेल भेजा तथा पूर्व में जेल भेजे गये तीनो बेकसूर लोगो को धारा 169 के तहत जेल से रिहा करा दिया। बबलू कुमार के इस गुडवर्क पर गाजीपुर के लोगो ने उनकी सराहना की थी।




पति की हत्या के झूठे आरोप जेल गयी महिला को साबित किया बेक़सूर

जब एसपी बबलू कुमार जनपद जालौन में तैनात थे तब उनके कार्यकाल में एक मामला ऐसा आया जिसमें कुछ बेगुनाह लोग झूठे मामले में फंसा दिए गये थे। वह मामला ऐसा था जिसमे पति और पत्नि का आपस में न्यायालय में विवाद चल रहा था। पति न्यायालय से तारीख करके वापस लौट रहा था। उसकी रास्ते में हत्या कर दी गई। शक के आधार पर पति के परिजनो ने उसकी पत्नि तथा अन्य परिजनो के विरूद्व हत्या का मुकदमा पंजीकृत करा दिया। पुलिस ने पत्नि तथा उसके परिजनो को जेल भेज दिया। लेकिन जब इस मामले की जांच की गई तो प्रथम दृष्टया यह प्रतीत हो गया कि इस मामले में पत्नि तथा उसके परिजनो का कोई हाथ नहीं है। इसी बीच पुलिस ने एक लुटेरे का गैंग पकड़ा। उनसे जब पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उनके द्वारा ही उस युवक की हत्या की गई है जिसके परिजनो ने उस युवक की पत्नि के परिजनो को नामजद कराया था। हत्या की वजह उन्होंने बताई कि जब वह रास्ते में वापस लौट रहे थे तब उनका विवाद उस युवक से हो गया था। वह विवाद इतना बढ़ गया था कि लुटेरो के गिरोह ने उस युवक की गोली मारकर हत्या कर दी। जब इस प्रकरण का खुलासा हो गया तब एसएसपी बबलू कुमार के निर्देशन में धारा 169 की कार्यवाही करके निर्दोष लोग जो जेल भेजे गये थे उनको रिहा कराया गया।

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