डीजी जेल आनंद कुमार का असर, अब सुधार गृह की ओर बढ़ रहीं कारागार

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लखनऊ जेलों को तकलीफ का ही घर माना जाता रहा है, लेकिन आज दौर बदल रहा है। जेलों में आज कैदियों और बंदियों के बीच दुखों की दिवारों को गिराकर वहां पर उनके नवजीवन के लिए उल्लास और उत्साह का मंच नजर आता है। कई चीजें ऐसी हैं, जो यूपी की जेलों में पहली बार हो रही हैं या होने जा रही हैं। ऐसे में बंदियों के अधिकारों और उनके उत्थान के लिए, उनमें सुधार के लिए भी जेलों में नई पहल की शुरूआत की गयी है। इसका असर भी नजर आया है। इन्हीं बदलाव का एक उत्साह आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर भी एक नई उम्मीद के साथ देखने को मिला है। कारागार मुख्यालय में पुलिस महानिदेशक कारागार आनंद कुमार के साथ बंदियों ने राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस आनंदपूर्वक मनाया।







रविवार को कारागार मुख्यालय लखनऊ में 71वां गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय पर्व और महोत्सव की भांति परंपरागत उल्लास, उत्साह और देशभक्ति की भावना के साथ मनाया गया। पूर्ण साज सज्जा तथा वाद्य यंत्रों से सुसज्जित आदर्श कारागार के बंदियों द्वारा राष्ट्रगान की सुंदर धुन के बीच पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक कारागार आनंद कुमार द्वारा प्रातः 8.30 बजे कारागार मुख्यालय भवन पर झंडारोहण किया गया तथा उसके बाद उपस्थित कारागार अधिकारियों और कर्मचारियों को संविधान की प्रस्तावना पढ़कर उसकी रक्षा करने, उसमें दिये गये अधिकारों को प्रयोग करते हुए संवैधानिक दायित्व को ईमानदारी से निभाने के लिए संकल्पित कराया गया। डीजी कारागार आनंद कुमार ने उत्कृष्ट कार्य की सराहना भी की।






इस अवसर पर कारागार विभाग में सराहनीय सेवा के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को स्वीकृत किये गये आईजी कमेंडेशन डिस्क एवं प्रशंसा पत्र प्रदान कर डीजी कारागार द्वारा सम्मानित किया गया। सम्मान की इस कड़ी में सर्वप्रथम बी.पी. त्रिपाठी उप महानिरीक्षक कारागार कानपुर परिक्षेत्र को डीजी कारागार आनंद कुमार द्वारा आईजी कमेंडेशन डिस्क लगाया गया और उन्हें प्रशस्ति पत्र दिया गया। इसके पश्चात शिव शंकर त्रिवेदी और बबलू वर्मा जेल वार्डर तथा चंद्र भूषण मलिक स्टाफ कार चालक को भी आईजी कमेंडेशन डिस्क लगाकर सम्मानित किया गया।





आज के शुभ दिन कारागार मुख्यालय के कुल 18 नान वर्दीधारी अधिकारियों तथा कर्मचारियों को भी पुलिस महानिदेशक/ महानिरीक्षक कारागार आनंद कुमार द्वारा सराहनीय सेवाओं के लिए प्रशंसा पत्र तथा मेडल देकर सम्मानित किया गया। सम्मान की तस्वीर कमोबेश प्रत्येक वर्ष हम ऐसे राष्ट्रीय पर्व के समारोह में देखते रहे हैं, लेकिन डीजी कारागार आनंद कुमार ने सम्मान की इस फेहरिस्त में नया बदलाव करते हुए उन लोगों को भी सराहनीय सेवा के लिए पुरस्कृत किया, जिनके द्वारा जेलों में बन्द बंदियों और कैदियों के जीवन सुधार के लिए कुछ भी बेहतर करने में अपना योगदान दिया है। कारागार विभाग द्वारा यह पहला गणतंत्र दिवस था, जबकि इस विभाग में पहली बार उत्तर प्रदेश की विभिन्न कारागारों में बंदी कल्याण, बंदी सुधार उनके स्वास्थ्य एवं बंदी शिक्षा जैसे दूसरे अन्य क्षेत्रों में कार्य करने वाली स्वयंसेवी, गैर सरकारी संस्थाओं, और व्यक्तियों को उत्कृष्ट सेवा के लिए सम्मान पाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की भांति ही सम्मान मिला।






डीजी कारागार आनंद कुमार की यही कार्यशैली उनको कुछ जुदा अफसर की जमात तक ले जाती है। उनके द्वारा इन संस्थाओं, संगठनों और लोगों को कारागार मुख्यालय में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह के इस उल्लासित अवसर पर सम्मानित किया। प्रदेश की जेलों में बंदियों के कल्याण और अन्य क्षेत्रों में श्रेष्ठतम सेवा कार्य करने वाली ऐसी कुल 10 संस्थाओं का चयन किया गया और उनके प्रतिनिधियों को डीजी कारागार आनंद कुमार द्वारा प्रमाण पत्र दिये गये तथा उनको शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। कारागार विभाग से पहली बार इस बदलाव भरे सम्मान को पाने वालों में मुकेश जैन अध्यक्ष सत्यमेव जयते ट्रस्ट आगरा, प्रदीप रघुनंदन समाजसेवी, एटा, डीडी गुप्ता समाज सेवी, ओबरा सोनभद्र, श्रीमती निवेदिता सिंह इनरव्हील क्लब बाराबंकी, मोहम्मद शफीक पयाम ए इंसानियत फोरम लखनऊ, ऋषि तिवारी रंगनाथन सोसायटी तथा बिमटेक पुस्तकालय नोएडा, सिस्टर मीना डायसिस आफ वाराणसी, जयशंकर वर्मा जेएसवी फाउंडेशन लखनऊ, रमेश चंद्र मिश्रा संरक्षक एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी बरेली तथा श्रीमती मोनिका धवन इंडिया विजन फाउंडेशन नोएडा शामिल रहे। इन लोगों ने कारागार विभाग में हुए इस बदलाव की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि डीजी कारागार आनंद कुमार का यह निर्णय वास्तव में दूरगामी सोच की देन है। अभी तक कारागारों में बंदियों के उत्थान, जीवन सुधार, शैक्षिक विकास के लिए समाजसेवा के लिए विभागीय स्तर पर कुछ खास नहीं किया जाता रहा है, ऐसे सम्मान की शुरूआत होने से स्वयंसेवी संगठन, एनजीओ और समाजसेवी लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा, उनमें सेवा के लिए भी एक प्रतिस्पर्धा का दौर शुरू होगा और कारागारों में बंद लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए बेहतर व्यवस्था, सहारा और सेवा के रास्ते भी खुलेंगे। इन संगठनों के लोगों ने डीजी कारागार आनंद कुमार की कार्यप्रणाली की भी प्रशंसा की और उनके कार्यकाल में कारागारों में हो रही कमाल की व्यवस्था के कुछ संस्मरण उजागर करते हुए उम्मीद जतायी कि कारागार बंदियों के लिए सजा, तकलीफ और प्रताड़ना का घर ना बनकर अब बेहतर सुधार गृह साबित होंगे।

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