एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार बोले-किसी धर्म के खिलाफ नहीं सीएए,भ्रम में ना आएं

एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार बोले-किसी धर्म के खिलाफ नहीं सीएए,भ्रम में ना आएं
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मुजफ्फरनगर नागरिकता संशोधन कानून 2019 और एनआरसी को लेकर मुस्लिमों में फैल रहे भ्रम और इसके रिएक्शन में हो रही हिंसक वारदातों को लेकर पुलिस प्रशासन अलर्ट है। मेरठ जोन के नौ जनपदों में से तीन जनपदों में हिंसक वारदात होने के बावजूद तेजी के साथ शांति व्यवस्था को स्थापित किया गया। खुद एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार ने कानून व्यवस्था को लेकर तत्परता बरती और कई जनपदों में विरोध प्रदर्शन को वह शांतिपूर्वक निपटाने में सफल रहे। उन्होंने मुस्लिमों से अपील की है कि वह किसी भी भ्रम में ना आएं, सीएए किसी भी धर्म के लोगों के खिलाफ नहीं है और एनआरसी का इससे कोई लेना देना नहीं है। एनआरसी को लेकर स्पष्ट कर दिया गया है कि इसे लाने का अभी कोई इरादा सरकार का नहीं है। उन्होंने सभी से शांति व्यवस्था में सहयोग की अपील की है।



बता दें कि 20 दिसम्बर को जुमे की नमाज के बाद सीएए और एनआरसी के विरोध स्वरूप मेरठ जोन के जनपदों में मुस्लिमों ने प्रदर्शन किया। जोन के नौ जनपदों में से मेरठ, मुजफ्फरनगर और बुलन्दशहर में भीड़ ने हिंसा की। आगजनी, तोड़फोड़ और पथराव में पुलिस कर्मियों सहित लोग घायल हुए और जोन में छह लोगों की मौत हुई है। जबकि छह जनपदों में शांति व्यवस्था बनी रही। मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि जुमे के दिन प्रदर्शन के बाद लोग उग्र हुए और पुलिस पर पथराव किया। उन्होंने बताया कि हिंसा के बाद जोन में शांति व्यवस्था को तेजी से स्थापित किया गया है। बलवाईयों को गिरफ्तार करने के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है। किसी भी निर्दोष को हिंसा के मामलों में नहीं फंसाया जायेगा। जांच में जो लोग दोषी नहीं होंगे, उनके साथ न्याय किया जायेगा। उन्होंने बताया कि मेरठ जोन के नोएडा, बागपत, सहारनपुर, शामली और गाजियाबाद में विरोध प्रदर्शन के बाद भी पुलिस की ओर से शांति व्यवस्था कायम रखी गयी। जबकि मुजफ्फरनगर, मेरठ और बुलन्दशहर में हिंसा हुई, यहां पर कम से कम पुलिस बल का प्रयोग करते हुए संभाल लिया गया। दो तीन घंटों के भीतर ही हम इन जनपदों में शांति बहाल करने में सफल रहे। आगजनी की घटनाएं भी हुई, लेकिन लोगों में अब विश्वास लौट रहा है।


एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार के अनुसार मेरठ जोन में हुई हिंसा में अब तक 78 मुकदमे उपद्रवियों के खिलाफ दर्ज किये जा चुके हैं। इनमें 1037 लोग नामजद किये गये है या प्रकाश में आये हैं। मुकदमों के अनुसार 381 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। धारा 151 के अन्तर्गत 132 लोगों की गिरफ्तारी पुलिस द्वारा की गयी हैं। इस हिंसा में मेरठ जनपद में पांच और मुजफ्फरनगर में एक व्यक्ति की मौत गोली लगने के कारण हुई है। उन्होंने बताया कि हिंसा के बाद पुलिस ने जांच के दौरान 175 खोका कारतूस, 20 जिन्दा कारतूस और 10 बुलेट बरामद किये हैं। तलाशी के दौरान पुलिस ने 14 शस्त्र और 6 अस्त्र बरामद किये हैं। इस हिंसा के दौरान 50 पुलिस कर्मचारी उपद्रवियों के हमले के दौरान घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि हिंसा के बाद करीब 800 उपद्रवियों की पहचान की जा चुकी है। शांति व्यवस्था बनाने के लिए जोन में 17 कम्पनी और 2 प्लाटून फोर्स को फील्ड में लगाया है। इसके साथ ही सिविल पुलिस बल भी तैनात है। जोन को 5 गजेटिड अफसर भी मिले हैं। कानून व्यवस्था के साथ कोई समझौता नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बात पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि हिंसा के बाद किसी भी निर्दोष पर कोई कार्रवाई न हो पाये। लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास पैदा किया जा रहा है। लोगों से पुलिस अफसर प्रशासन के साथ मिलकर संवाद स्थापित कर रहे हैं। लोगों के मन से यह भय दूर करने का काम भी हम कर रहे हैं कि पुलिस हिंसा में निर्दोषों को फंसा सकती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपना विरोध प्रदर्शन कर का अधिकार है, लेकिन हमारी अपील है कि किसी के बहकावे या अफवाह में आकर शांति भंग न करें। एसआईटी का गठन किया गया है और निष्पक्ष विवेचना पर जोर दिया जा रहा है। उनके द्वारा यह विश्वास दिलाया गया है कि किसी भी परिस्थिति में दोषी को छोड़ा नहीं जायेगा और निर्दोष को पुलिस टीम प्रताड़ित नहीं करेगी। चौराहों पर चिन्हित बलवाईयों के फोटो लगाये गये हैं, ताकि उनकी जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित करायी जा सके।

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