20 दिसम्बर , 20 हजार की भीड़, 20 पुलिसकर्मी और अभिषेक यादव का अदम्य साहस जानिए क्या था यह सब

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मुज़फ्फरनगर तारीख 20 दिसंबर 2019 दिन शुक्रवार यानी जुम्मा और हाड़ कपाती सर्दी के इस दिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर शहर में एसएसपी अभिषेक यादव और डीएम सेल्वा कुमारी जे एक साथ कदम बढ़ाते हुए लोगों के बीच पहुंचने के लिए, उनमें सुरक्षा और शांति के लिए विश्वास जगाते हुए लगातार शहर में गश्त पर थे। उन्हें सूचना मिली थी कि शहर का मुस्लिम समाज जुमे की नमाज के बाद भीड़ के रूप में किसी एक जगह इकट्ठा हो सकता है, मुस्लिमों के इकट्ठा होने के पीछे एक कारण भी था, इसकी बड़ी वजह थी केन्द्र सरकार द्वारा तीन बड़े मुस्लिम देशों के हिन्दु अल्पसंख्यकों को भारत में रहने का अधिकार देने के लिए लाए गए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध....!

पुलिस के सामने यह भी बड़ा असमंजस था कि सीएए को लेकर मुस्लिमों में बने भय और इससे उत्पन्न हो रहे सार्वजनिक आक्रोश के बावजूद भी किसी भी बड़े मुस्लिम संगठन या अन्य दल की ओर से प्रदर्शन के लिए कोई भी 'क्लोजर कॉल' नहीं की गई थी, मगर शहर में मुस्लिम बाहुल्य इलाकों की दुकानों के शटर सुबह से ही बंद थे, यानी पूरे शहर में जुमे के दिन एक अघोषित बंद की स्थिति पैदा हो गई थी। पुलिस कप्तान अभिषेक यादव ने एसपी सिटी सतपाल अंतिल, एडीएम प्रशासन अमित सिंह, सीओ सिटी डॉक्टर दीक्षा शर्मा, सीओ मंडी हरीश भदौरिया, इंस्पेक्टर शहर कोतवाली अनिल कपरवान, थाना प्रभारी सिविल लाइन समयपाल अत्री, एसएचओ नई मंडी दीपक चतुर्वेदी के साथ-साथ सूचना के स्तर पर एलआईयू के प्रभारी इंस्पेक्टर धर्मेंद्र चौहान को भी अपनी-अपनी टीम के साथ शहर के मदीना कॉलोनी चौराहा, सरवट, जिला अस्पताल चौराहा, मीनाक्षी चौक, फक्करशाह चौक पर लगाया हुआ था, जैसे-जैसे घड़ी की सुई दिन के 1 बजे से आगे बढ़ना शुरू हुई, तो शहर की मस्जिदों में जुमे की नमाज शुरू होने लगी। जब 2 बजे तक लगभग 80 फीसदी मस्जिदों में नमाज हो चुकी, तो सड़कों पर मुस्लिम समाज के लोगों की भीड़ धीरे-धीरे इकट्ठा होने लगी और सभी मीनाक्षी चौक की तरफ चल पड़े। इसी बीच सबसे पहले मदीना चौक पर छुटपुट घटना हुई तो पुलिस टीम उसे शांत कराने में लगी रही। इसी बीच एसएसपी अभिषेक यादव को सूचना मिली कि लद्दावाला, अस्पताल चौराहा, सरवट, मिमलाना रोड़, नियाजूपुरा जैसे मुस्लिम बाहुल्य इलाकों की एक बड़ी भीड़ मीनाक्षी चौक की तरफ मूवमेंट कर रही है। एसएसपी अभिषेक यादव, डीएम सेल्वा कुमारी जे को साथ लेकर नॉवल्टी चौराहे पर पहुंच गए। नाॅवल्टी चौराहा वह जगह है, जो इन मोहल्लों से आई भीड़ को मीनाक्षी चौक की तरफ मोड़ने का काम करती है।

कप्तान अभिषेक यादव और डीएम सेल्वा कुमारी जे की अपील का असर यहां हुआ। शहर कोतवाल अनिल कपरवान ने भीड़ को वहीं पर रोक लिया। एसएसपी अभिषेक यादव और डीएम सेल्वा कुमारी जे. इस भीड़ को समझाने लगे कि आगे मत जाओ!, आपकी हर बात सुनने के लिए हम यहां मौजूद हैं! हमें अपनी बात बताओ!

20 दिसंबर का वो दिन, आज भी जहन में है, जब सीएए का विरोध करने के लिए करीब 20,000 से ज्यादा लोगों की भीड़ शहर के इस चैराहे के चारों तरफ खड़ी थी और बीच में एसएसपी अभिषेक यादव, कलेक्टर सेल्वा कुमारी जे और शहर कोतवाल अनिल कपरवान फोर्स के चन्द जवानों को साथ लेकर खड़े हुए थे। ये अफसर यहां पर इस आक्रोशित भीड़ और मीनाक्षी चौक के बीच दीवार बनकर खड़े हो गए थे।

गौरतलब है कि 20,000 लोगों की इस बड़ी भीड़ को संभालने के लिए एसएसपी अभिषेक यादव के पास अपनी एस्कॉर्ट, डीएम के एस्कॉर्ट एवं शहर कोतवाल के हमराह, जिनकी कुल संख्या 20 पुलिसकर्मियों के लगभग थी, 20 दिसम्बर, 20 हजार की भीड़ और 20 पुलिस कर्मचारियों के साथ एसएसपी अभिषेक यादव, डीएम सेल्वा कुमारी जे. और शहर कोतवाली प्रभारी अनिल कपरवान मजबूती के साथ डटे हुए थे। इतनी बड़ी भीड़ को देखकर कोई और अफसर होता तो सहम जाता, लेकिन एसएसपी अभिषेक यादव ने संयम के साथ ही मर्यादा को भी नहीं खोया और वह लगातार भीड़ से संवाद करते रहे। उन्हें पता था कि इतना फोर्स नहीं है, इसलिए भीड़ को समझाकर ही शांत किया जा सकता है। इस बीच शहर कोतवाल अनिल कपरवान ने इलाके के सभासद नदीम खान एवं मुफ्ती फारूक को बुलाया। तब एसएसपी ने इन दोनों को भीड़ को समझाने के लिए आगे किया, लेकिन भीड़ मानने को तैयार ही नहीं थी, वह मीनाक्षी चौक जाने की जिद करने लगे, डीएम ने जब उनसे पूछा कि मीनाक्षी चौक क्यों जाना चाहते हो, तो भीड़ का एक ही जवाब था, ज्ञापन देने, तब एसएसपी अभिषेक यादव और कोतवाल अनिल कपरवान ने नदीम सभासद की लेटर पैड पर वही भीड़ में ही रहकर उनकी समस्या को लेकर एक ज्ञापन लिखवाया, डीएम सेल्वा कुमारी जे. ने यह ज्ञापन वहीं पर ले लिया और भीड़ को शांत करने का प्रयास किया। यह एसएसपी अभिषेक यादव का अदम्य साहस ही था कि वह भीड़ के बीच भी लगातार नारेबाजी करने और मीनाक्षी चौक जाने की जिद करती भीड़ के बीच दीवार बनकर खड़े हुए थे, उन्हें अंदाजा था कि अगर यह भीड़ मीनाक्षी चौक पर इकट्ठा हुई, तो शहर में बवाल हो सकता है। ज्ञापन देने के बाद भीड़ को संतुष्ट करने में एसएसपी और डीएम सफल रहे, लेकिन जब भीड़ ने इस प्रदर्शन को लेकर किसी भी कार्रवाई की आशंका जताते हुए अफसरों से गारंटी मांगी, तो अभिषेक यादव ने फिर भीड़ से संवाद किया और विश्वास दिलाने के लिए कहा कि आप लोग जो वीडियो बना रहे हो, यह आपके पास सबूत के तौर पर रहेगा।

एसएसपी अभिषेक यादव के संवाद का ही नतीजा रहा कि एक बड़ी भीड़ अपने कप्तान अभिषेक यादव पर भरोसा करके अपने-अपने घरों को लौट गई। मगर कुछ शरारती तत्व फिर भी मीनाक्षी चौक पहुंच गए और हडकंप शुरू कर दिया। इसी बीच एसएसपी को सूचना मिली कि मदीना चौक पर बवाल हो गया है, इस सूचना पर एसएसपी अभिषेक यादव डीएम सेल्वा कुमारी जे मदीना चौक चले गए और वहां हुई घटना पर काबू पाने का प्रयास शुरू कर दिया। अफसर मदीना चौक को शांत कर ही रहे थे कि इधर मीनाक्षी चौक पर भीड़ बढ़ने एवं छुटपुट पथराव की घटना की सूचना पर एसएचओ अनिल कपरवान मीनाक्षी चौक पहुंचे तो भीड़ पथराव कर रही थी, कोई पुलिस की बात सुनने को तैयार नहीं था, मगर डेढ़ साल के अपने कार्यकाल में 'फेयर पुलिसिंग' और 'फीयरलैस पुलिसिंग' करने वाले अफसर की पहचान बनाने वाले कोतवाल अनिल कपरवान एवं उनके हमराह सिपाही यहां पर पत्थर बरसाते युवाओं के बीच हेलमेट उतार कर, उनके आक्रोश का जवाब जिस तरह एक अभिभावक की भांति सम्मान और शांति से दिया, उसका रिजल्ट दो मिनट में ही आ गया। पुलिसकर्मियों पर पत्थर बरसाती मीनाक्षी चौक की यह आक्रोशित भीड़ कोतवाल अनिल कपरवान को देखते ही शांत हो गई और फिर शुरू हुआ पुलिस और पब्लिक के बीच संवाद। इस संवाद का नतीजा यह रहा कि घंटों में जुटी हजारों की भीड़ 5 मिनट में ही मीनाक्षी चौक से गायब हो गई। शहर के चुनिंदा पुलिसकर्मियों के साथ एसएसपी अभिषेक यादव ने जिस तरह से 40000 से ज्यादा लोगों की भीड़ को व्यापक रूप से हिंसक नहीं होने दिया, वह नेतृत्व क्षमता उनके अदम्य साहस और विकट परिस्थितियों में धैर्य को प्रदर्शित करती है। हालांकि शहर में हिंसक वारदातें हुई, मगर केवल 2 घंटे में उस पर काबू पाना अभिषेक यादव की कार्यशैली के साथ ही उनकी सहनशीलता को सामने रखने के साथ ही तेजी के साथ डेमेज कंट्रोल का पूर्ण श्रेय 5 महीने में जनपद में उनके द्वारा की गई गुड़ पुलिसिंग को ही जाता है।

ऐसा नहीं है कि एसएसपी अभिषेक यादव ने इसी बार अदम्य साहस का परिचय देकर जिले को 2 घंटे में शांत किया हो, कभी 'क्राइम कैपिटल' तो कभी 'दंगों का शहर' का तमगा पा चुके मुजफ्फरनगर के पुलिस कप्तान के रूप में कमान जब आईपीएस अभिषेक यादव ने संभाली थी, तो कावड़ यात्रा शुरू हो चुकी थी। पुलिस कप्तान के रूप में उनकी यह दूसरी पोस्टिंग थी, कांवड यात्रा हिन्दुस्तान ही नहीं वरन दुनिया की सबसे बड़ी पैदल धार्मिक यात्रा है, उनके सामने चुनौती थी कि कैसे कावड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराया जाए, तब एसएसपी अभिषेक यादव ने जनपद की पब्लिक से इस तरह खुद को कनेक्ट किया था कि पूरे जनपद की जनता पुलिस के साथ खड़ी नजर आई थी। कांवड मार्ग पर 'राम' की सेवा में 'रहीम' उतरे हुए थे। खुद एसएसपी अभिषेक यादव कभी मोटरसाइकिल पर बैठकर तो कभी पैदल भ्रमण करते हुए कांवड मार्ग पर शिवभक्त कावड़ियों के साथ ही सेवा सत्कार में जुटे लोगों से संवाद स्थापित करने में दिन रात जुटे रहे। एसएसपी ने कांवडियों से सहज संवाद स्थापित कर उनकी समस्या को जानने का प्रयास किय, जिस कारण वह यहां अपने कार्यकाल के शुरूआती दिनों में ही सुर्खियों में रहे थे। उनकी कार्यशैली ही का नतीजा था कावड़ यात्रा सकुशल संपन्न हुई थी।

दीपावली पर खाकी को बताई ड्यूटी की खासियत

संवादहीनता या कम्युनिकेशन गेप कई समस्याओं को जन्म देता है, हम कई अफसरों को कम्युनिकेशन गेप रखने का आदी देख चुके हैं, जनता से उनकी दूरी ही समस्या बढ़ाने में भी सहायक रही हैं, लेकिन एसएसपी अभिषेक यादव को एक 'कम्युनिकेशन फ्रेंडली' आॅफीसर के रूप में पहचाना जाता है। वह सड़कों पर, बैठकों में और किसी भी अवसर पर संवाद पर जोर देते रहे हैं। यही कारण है कि दीपावली के दौरान एसएसपी अभिषेक यादव ने भगत सिंह रोड तुलसी पार्क में पुलिस कर्मियों का ओपन हाउस लगाकर, यहां खाकी को ड्यूटी की खासियत बतायी। उन्होंने घंटों तक लगातार पुलिसकर्मियों को ब्रीफ किया और उनको 'बेसिक पुलिसिंग' सिखाते हुए समाज में जिम्मेदारी का अहसास कराया। पुलिस कर्मियों को मनोबल बढ़ाने के लिए उनको यह अहसास कराया कि भगवान या अल्लाह ने उनको खाकी के लिए क्यों चुना है, क्या उनका दायित्व है, उनके जादुई संवाद का असर था कि दीपावली पर जनपद में पुलिस सड़कों पर भाईचारे का माहौल पैदा करने के साथ ही 24 घंटे मुस्तैद नजर आयी और पत्ता भी नहीं हिल पाया।

जीरो ड्रग्स अभियान से सुधार रहे पीढ़ी

एसएसपी अभिषेक यादव ने कानून व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए कई अभियान चलाये, इनमें उनका जीरो ड्रग्स अभियान सराहनीय रहा है। यह अभियान जहां देश की भावी पीढ़ी को नशे से स्वास्थ्य की ओर ले जाने वाला साबित हो रहा है, वहीं नशे के सौदागरों का सुरूर उतारने का काम भी कप्तान अभिषेक यादव के नेतृत्व में पुलिस कर रही है। जीरो ड्रग्स अभियान के सहारे एसएसपी अभिषेक यादव कई बड़े नशीले पदार्थ के माफियाओं, ईनामी गैंग लीडरों और अवैध शराब माफियाओं को जेल भिजवा चुके हैं। इसके साथ ही वह नशे के अवैध कारोबार का भंडाफोड करते हुए राज्य सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व के नुकसान से बचाने में भी सफल रहे है। यही कारण है कि उनके इस अभियान के लिए डीजीपी ओपी सिंह ने पुलिस टीम को टीमों को विशेष तौर पर 50 हजार रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया।

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