10 साल तक स्कूल न जाने वाला आईपीएस बना था 10वीं का टाॅपर

10 साल तक स्कूल न जाने वाला आईपीएस बना था 10वीं का टाॅपर

शामली। दस साल की उम्र तक स्कूल न जाने वाला बालक दसवीं की बोर्ड परीक्षा में जिला टॉप करेगा, यह किसी ने सोचा भी नहीं था। इससे भी अधिक यही बालक आगे चलकर यूपीएससी की परीक्षा में अच्छे रैक में पास करके आईपीएस अफसर बनकर देश की सेवा करेगा, यह तो शायद उस बालक को भी उम्मीद नहीं होगी।

जी हां! हम बात कर रहे हैं आईपीएस अफसर और वर्तमान में मैनपुरी के पुलिस कप्तान अजय कुमार की। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला हैडक्वार्टर से 7-8 किलोमीटर दूर स्थित देवापार गांव निवासी वंशबहादुर पाण्डेय की पांचवी संतान के रूप में जन्में अजय कुमार को स्कूल के पहले ही दिन मास्टरजी की पिटाई का सामना करना पड़ा। बालक अजय के दिमाग पर उस शिक्षक की पिटाई इतना खराब असर हुआ कि उन्होंने स्कूल न जाने की जिद पकड़ ली। सभी घर वालों की लाख कोशिशों के बावजूद अजय ने स्कूल नहीं जाने की मानों कसम खा ली थी। बालक की जिद के सामने घरवालों को भी झुकना पड़ा, लेकिन उसके ताऊ विश्वनाथ पाण्डेय ने सूझबूझ से काम लिया और अजय को घर पर ही पढ़ाना शुरू किया और उन्होंने कक्षा चार तक की पढ़ाई घर पर ही पूरी की। इसके बाद पिता वंश बहादुर पाण्डेय ने अजय को डांटफटकार कर किसी तरह स्कूल भेजा और उसका दाखिला कक्षा पांच में करा दिया।

एक तो मास्टरजी की पिटाई का असर, दूसरे दस साल तक स्कूल से दूर रहने के कारण अजय में दबूपन घर कर गया। इसके साथ ही स्कूल से दूर रहने के कारण उनमें स्वाभाविक रूप से शर्मीलापन भी आ गया था, लेकिन एक बात बहुत अच्छी थी कि दस साल तक अपने ताऊजी द्वारा पढ़ाये जाने के कारण वे पढ़ाई-लिखायी में अच्छे हो गये थे। हालांकि इस सबके बावजूद पांचवी कक्षा में वे कुछ खास अच्छा नहीं कर पाये और कक्षा छ में उनका दाखिला गांव से लगभग 5 किलोमीटर दूर एक जूनियर हाईस्कूल में करा दिया गया। इसके बाद अजय कुमार ने जो रफ्तार पकड़ी तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और दसवीं की बोर्ड परीक्षा में जिला टॉप करके सबको बड़ा सरप्राईज दे दिया। इंटर की परीक्षा अच्छे नम्बरों से पास करके उन्होंने कानपुर के एचबीटीआई में दाखिला ले लिया।

एचबीटीआई में चार वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान अजय कुमार के व्यक्तित्व में चमत्कारिक परिर्वन आये। यहां उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही व्यक्तित्व विकास (पर्सनॉल्टी डेवलपमैंट) जैसे अंग्रेजी बोलना आदि के लिए हाथ-पांव मारना आरम्भ किया, जिसका नतीजा निकला कि व्यक्तित्व विकास के मामले में अपने सहपाठियों से मीलों आगे निकल गये। इसी दौरान एलजी कम्पनी ने एक्स्ट्रा केरिकुलर एक्टिविटी (पाठ्येत्तर गतिविधि) के आधार पर उन्हें बेस्ट स्टूडेंट का गोल्डन मेडल प्रदान किया। इसके लिए अजय कुमार को 25 हजार रुपये की छात्रवृत्ति भी प्रदान की गयी थी। बस इसके बाद उनकी दुनिया ही बदल गयी। इस सम्मान ने उनको नया हौसला दिया। मैकेनिकल इंजीनियरिंग की चार वर्षीय डिग्री प्राप्त करने के दौरान सफलता के ऐसे सूत्र हासिल कर लिये थे कि इसके बाद वे सीढ़ी-दर-सीढ़ी सफलता की ऊंचाईयों को छूते गये।

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