मांगा अली के मददगार अनिरुद्ध के लिए एसएसपी अभिषेक यादव ने निभाया कर्तव्य

मांगा अली के मददगार अनिरुद्ध के लिए एसएसपी अभिषेक यादव ने निभाया कर्तव्य

मुजफ्फरनगर। नागपुर महाराष्ट्र प्रदेश का वह शहर जो संतरे की मिठास के साथ साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय के रूप में भी जाना जाता है, मगर अनिरुद्ध भोलाराम के मानवीय कदम से अब यह शहर मुजफ्फरनगर वालों के लिए अनिरुद्ध के नाम से भी पहचान बन गया है। अनिरुद्ध ने दिव्यांग गय्यूर अली उर्फ मांगा के लिए मानवता दिखाई तो अनिरुद्ध को भी बदले में एसएसपी मुजफ्फरनगर अभिषेक यादव का अपनापन मिला। अनिरुद्ध ने विकलांग मांगा की मदद करते वक़्त सोचा भी नही था कि जिस मुज़फ्फरनगर के मांगा अली को वो 300 किलोमीटर तक पैदल चलकर उसके घर पहुंचाने जा रहा है , वहां के एसएसपी अभिषेक यादव उसकी वापसी का इंतजाम कर उसके मन मे पुलिस की छवि को बदल कर रख देंगे। अनिरुद्ध और मांगा अली के बीच बने मार्मिक रिश्ते में एसएसपी अभिषेक यादव ने कैसे मानवीय पुलिस कर अनिरुद्ध और गय्यूर उर्फ मांगा का दिल जीता।

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मुजफ्फरनगर शहर का रहने वाला 45 वर्षीय दिव्यांग गय्यूर अली उर्फ मांगा राजस्थान के जोधपुर में स्टेडियम इलाके में सोफा बनाने की फैक्ट्री में काम करता था। 24 मार्च को अचानक लॉक डाउन की घोषणा कर दी गई तो दिव्यांग मांगा के सामने घर वापसी लौटने की संभावना इसलिए भी खत्म हो गई, क्योंकि रेल एंव बस सेवाओं सहित सभी राज्यों ने अपने-अपने बॉर्डर सील कर लिए थे। मांगा इस उम्मीद में वहीं रुक गया कि जब लॉक डाउन खुलेगा तो वह अपने घर चला जाएगा, मगर मांगा की किस्मत में ऐसा दोस्त शायद कुदरत ने लिख दिया था जिसको वह कभी भूल नहीं पाएगा ।

हुआ यूं कि जिस इलाके में मांगा रहा था वहां कोरोना पॉजिटिव मरीज मिल गया तो स्थानीय प्रशासन ने आनन-फानन में पूरे इलाके को सील करते हुए कुछ लोगों के लिए को एक कैम्प में क्वारन्टीन कर दिया। इसी कैंप में जोधपुर घूमने आए महाराष्ट्र के नागपुर शहर के ओमनगर का रहने वाला 22 साल का युवा अनिरुद्ध भी मांगा अली के साथ क्वारन्टीन हुआ। नागपुर का अनिरुद्ध भोलाराम और मुजफ्फरनगर के मांगा अली के बीच क्वारन्टीन कैंप में धीरे-धीरे दोस्ती परवान चढ़ने लगी । चंद दिनों में उम्र, जाति, धर्म की परवाह किये बिना दोनों एक दूसरे का दुख दर्द बांटने लगे।

इसी बीच लॉकडाउन में अन्य राज्यों के फंसे लोगों को राजस्थान सरकार ने बॉर्डर पर छोड़ना शुरू किया तो एक बस में अनिरुद्ध एवं मांगा को उत्तर प्रदेश राजस्थान के बॉर्डर भरतपुर पर छोड़ दिया गया। यहां मांगा के जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिला तो दिव्यांग मांगा अपनी हाथ से खींचने वाली ट्राई साइकिल पर सवार होकर चलने की प्लानिंग करने लगा। मांगा के सामने खुद के दिव्यांग होने एवं मुजफ्फरनगर की दूरी 300 किलोमीटर लंबी होने के कारण , उसे इतना लंबा सफर तय करने में मुश्किल नजर आने लगी। ऐसे में अनिरुद्ध, मांगा अली के लिए मददगार बनने को तैयार हो गया और वह मांगा को लेकर भरतपुर से मुज़फ्फरनगर के लिए निकल पड़ा।



मांगा को मुजफ्फरनगर छोड़ने के सवाल पर अनिरुद्ध कहते हैं " साथ रहकर पता चल गया था कि मांगा के छोटे-छोटे बच्चे हैं, जो उसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मेरी तो अभी शादी भी नहीं हुई इसलिए मैंने तय कर लिया था कि मांगा को मुजफ्फरनगर उसके बच्चों के बीच छोड़कर ही नागपुर लौटूंगा।

8 मई 2020 को ट्राईसाईकिल में सवार मांगा को लेकर अनिरुद्ध पैदल ही निकल पड़ा और 12 मई को दोनों मुजफ्फरनगर पहुंच गए। मांगा को लेकर जब अनिरुद्ध मुजफ्फरनगर शहर के किदवईनगर मोहल्ले में उसके मकान पहुंचा तो मांगा के परिजनों एवं मोहल्ले वालों ने अनिरुद्ध का अभिनंदन कर बता दिया कि नागपुर के लाल पर हमें अभिमान है। मुजफ्फरनगर पहुंचने के बाद अनिरुद्ध के सामने अब वापस 1400 किलोमीटर दूर अपने घर नागपुर जाने की चिंता सताने लगी । ऐसे में उसके लिए मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक यादव फरिश्ता बनकर आए। दरअसल 12 मई को अनिरुद्ध और मांगा जब वापस मुजफ्फरनगर लौटे थे तो किदवई नगर में साम्प्रदयिक सदभाव से महक रहे इस प्रकरण की चर्चा होने लगी । सोशल मीडिया के माध्यम से यह खबर एसएसपी अभिषेक यादव को हुई तो अपने 10 महीने के कार्यकाल में मुज़फ्फरनगर में मानवीय पुलिस के जनक बन चुके एसएसपी अभिषेक यादव ने तुरंत स्थानीय पुलिस को अनिरुद्ध से संपर्क करने को कहा। एसएसपी अभिषेक यादव ने मांगा एंव अनिरुद्ध से बात कर भरोसा दिलाया कि जिस तरह अनिरुद्ध ने मानवता दिखाते हुए मुज़फ्फरनगर के व्यक्ति को उसके घर छोडा है तो पुलिस अब अनिरुद्ध की घर वापसी जाने में मदद करेगी।

अनिरुद्ध को नागपुर भेजने के लिए अभिषेक यादव ने भूमिका बनानी शुरू कर दी । इसी बीच उन्हें खबर मिली कि मुजफ्फरनगर से नागपुर सब्जी एवं फलों को लेकर ट्रक जाते हैं। तब उन्होंने पुलिस की जिम्मेदारी लगाई कि वह ऐसे ट्रक का पता लगाएं जो अनिरुद्ध को नागपुर लेकर जाए। जब अनिरुद्ध को वापस भेजने के लिए शहर कोतवाली की किदवई नगर पुलिस चौकी के इंचार्ज सब इंस्पेक्टर सतीश शर्मा वाहन तक छोड़ने के लिए आए तो एसएसपी अभिषेक यादव के वादा पूरे करने के सवाल पर अनिरुद्ध भोलाराम खोजी न्यूज़ से कहते हैं " अभी तक पुलिस के खराब रवैये के बारे में देखता और सुनता था, मगर पुलिस का कोई अफसर इस तरह मदद कर सकता है। मैंने कभी नहीं सोचा था। यहां तक की पुलिस ने मुझे जेब खर्च के लिए कुछ रुपये भी दिए है। अनिरुद्ध कहते हैं " मैंने एसएसपी सर को देखा तो नहीं , सिर्फ फोन पर बात की है, मगर मैं ऐसे पुलिस अफसर को सैल्यूट करता हूं। एसएसपी अभिषेक यादव की मदद पर मांगा बोला " कप्तान साहब ने अनिरुद्ध के जाने का इंतजाम कर बहुत अच्छा किया है।

अनिरुद्ध के धन्यवाद पर एसएसपी अभिषेक यादव खोजी न्यूज़ के सवाल पर कहते हैं " मीडिया के माध्यम से मुझे पता चला कि अनिरुद्ध ने मुजफ्फरनगर के किसी दिव्यांग व्यक्ति की यहां तक आने में मदद की है तो मुजफ्फरनगर पुलिस की नैतिक जिम्मेदारी बनती थी कि अब उसे उसके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए । बस पुलिस के द्वारा वही किया गया है।

मानवीय पुलिस के पक्षधर रहें है अभिषेक यादव

मऊ के बाद मुजफ्फरनगर में पुलिस कप्तान के रूप में दूसरी पारी खेलने वाले एसएसपी अभिषेक यादव मानवीय पुलिस के पक्षधर रहे हैं। अपने पुलिस स्टाफ के अभिभावक के रूप में काम करने वाले एसएसपी अभिषेक यादव पब्लिक में भी फेयर पुलिसिंग के लिए जाने जाते हैं। कांवड़ यात्रा में बुजुर्ग कांवड़ियों का हालचाल जानने की तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर आई थी तो तभी मान लिया गया था कि इस नौजवान आईपीएस अफसर में मानवता कूट-कूट कर भरी है। पब्लिक में पुलिस की छवि बदलने को आतुर एसएसपी अभिषेक यादव ने पिछले दिनों भी एक ऐसे बुजुर्ग दंपत्ति की शादी की सालगिरह पुलिस को भेजकर मनवाई थी, जिनकी शादी को 75 वर्ष पूरे हो चुके थे। इसके अलावा भी बहुत ऐसे प्रकरण हैं जिनमें एसएसपी अभिषेक यादव ने जरूरतमंद की हेल्प कर पब्लिक में मानवीय पुलिसिंग का संदेश दिया है।

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