आनंदीबेन पटेल ने उत्तर प्रदेश के 34 वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली

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लखनऊ । मध्य प्रदेश की पूर्व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद का कार्यभार संभाला और गोपनीयता की शपथ ली।


लखनऊ के राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर ने नवनियुक्त राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को शपथ दिलाई ।


अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर चुके राज्यपाल राम नाईक राजभवन में आनंदीबेन पटेल के शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहे और उन्हें कार्यभार सौंपा।

गुजरात राज्य की मूल निवासी आनंदीबेन मफतभाई पटेल ने इससे पूर्व जनवरी 2018 में मध्यप्रदेश के राज्यपाल का पदभार सम्भाला था। आनंदीबेन पटेल के पास छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी रहा है। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन के निधन के बाद उनको प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। इससे पूर्व वे गुजरात की मुख्यमंत्री सहित विभिन्न मंत्रालयों का पदभार सम्भाल चुकी हैं। गुजरात में उन्होंने नरेन्द्र मोदी के त्यागपत्र के बाद मुख्यमंत्री का पद सम्भाला था, इसके बाद विजयरूपाणी गुजरात में उनके उत्तराधिकारी बने थे।


आनंदी बेन पटेल मध्य प्रदेश की राज्यपाल तथा गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं


गुजरात स्थित मेहसाणा जिले के विजापुर तालुका के खरोद गांव में 21 नवम्बर 1941 को गुजरात के अहमदाबाद में जन्मी आनन्दी बेन पटेल एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो मध्य प्रदेश की राज्यपाल तथा गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उनका पूरा नाम आनन्दी बेन जेठाभाई पटेल है, उनके पिता एक गांधीवादी नेता थे। उनके पिता लोगों ने कई बार गाँव से इसलिए निकाल दिया था, क्योंकि वह ऊंच-नीच और जातीय भेदभाव को मिटाने की बात करते थे। आनंदीबेन पटेल के ऊपर अपने पिता का भरपूर प्रभाव पड़ा। उनके आदर्श भी उनके पिता हीं हैं। विज्ञान स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होने पहली नौकरी के रूप में महिलाओं के उत्थान के लिए संचालित महिला विकास गृह में थी, जहां उन्होने 50 से अधिक विधवाओं के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शुरुआत की थी। वर्ष 1965 में वे अपने पति मफतलाल पटेल के साथ अहमदाबाद आ गईं, जहां उन्होने विज्ञान विषय के साथ स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की और 1970 में प्राथमिक शिक्षक के रूप में अहमदाबाद के मोहनीबा कन्या विद्यालय में शिक्षक तैनात हो गईं। बाद में वे इस विद्यालय की प्रधानाचार्य भी बनी। आनंदीबेन पहली बार उस समय चर्चा में आई जब उन्होंने अकाल पीडितों के लिए न्याय मांगने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था।


इंडियन एक्सप्रेस के द्वारा वर्ष-2014 के शीर्ष 100 प्रभावशाली भारतीयों में उन्हें सूचीबद्ध किया जा चुका है वे 1987 से भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी हैं और 1998 से विधायक हैं।


आनंदीबेन पटेल गुजरात सरकार में सड़क और भवन निर्माण, राजस्व, शहरी विकास और शहरी आवास, आपदा प्रबंधन और वित्त आदि महत्वपूर्ण विभागों की कबीना मंत्री का दायित्व भी निभा चुकी हैं। इंडियन एक्सप्रेस के द्वारा वर्ष-2014 के शीर्ष 100 प्रभावशाली भारतीयों में उन्हें सूचीबद्ध किया जा चुका है।

आनंदीबेन पटेल को विद्यालीय शिक्षा के दौरान एथलेटिक्स में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए उन्हें बीर वाला पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हे वर्ष 1987 में वीरता पुरस्कार से इसलिए सम्मानित किया गया था, क्योंकि वे एक छात्रा को डूबने से बचाने के लिए वे खुद झील में कूद गई थीं। उन्हें 1989 में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार, 1999 में पटेल जागृति मंडल मुम्बई द्वारा सरदार पटेल पुरस्कार, श्री तपोधन ब्रह्म विकास मंडल द्वारा 2000 में विद्या गौरव पुरस्कार, 2005 में पटेल समुदाय द्वारा पाटीदार शिरोमणि अलंकरण, महिलाओं के उत्थान अभियान के लिए धरती विकास मंडल द्वारा विशेष सम्मान सहित चारुमति योद्धा पुरस्कार, अहमदाबाद की विजेता व अंबुभाई व्यायाम विद्यालय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

शाकाहारी आनंदीबेन को पक्षियों से बहुत लगाव है और बागवानी में अपना समय बिताना उन्हें बहुत अच्छा लगता है।


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