आप सरकार के ख़िलाफ़ सियासी बयानबाज़ी कर दिल्ली के IAS औफिसर कर रहे हैं सर्विस रुल का उल्लघंन

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सर्विस कंडक्ट रुल के उल्लंघन के चलते IAS अधिकारियों पर दर्ज़ हो मुकदमा

दिल्ली : आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एंव राष्ट्रीय प्रवक्ता आशुतोष ने कहा कि 'वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा दिल्ली के अंदर जो माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, उसकी आम आदमी पार्टी ना केवल निंदा करती है बल्कि ये भी कहती है कि ये सब बड़े षडयंत्र के तहत किया जा रहा है।'

'मुख्य सचिव के एक बयान के आधार पर आम आदमी पार्टी के विधायकों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन वहीं सचिवालय में आम आदमी पार्टी की सरकार के मंत्री और दूसरे लोगों पर हुए हमले में पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।'

'वहीं अधिकारियों की तरफ से और उनकी प्रतिक्रियाओं से ऐसा लगता है कि उन्हें उसका कोई पश्चाताप नहीं है, क्योंकि मंत्री पर हमला एक बड़ी साज़िश के तहत किया गया था।'

'सर्विस कंडक्ट रुल के तहत यह साफ़ है कि सरकारी अफ़सर किसी भी तरह की राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं कर सकते और ना ही वो हड़ताल या प्रोटेस्ट जैसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं हो सकते। वरिष्ठ अधिकारी किसी भी तरह का राजनीतिक बयान नहीं दे सकते लेकिन बावजूद इसके फिर भी ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से अधिकारी आम आदमी पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ राजनीतिक बयानबाज़ी कर रहे हैं और सरकारी ऑफ़िस का इस्तेमाल करते हुए राजनीतिक हमलेबाज़ी की जा रही है।'

'अधिकारियों से जुड़े कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स से साफ़ हो जाता है कि आईएएस अफ़सर प्रोटेस्ट भी कर रहे हैं और ये भी कह रहे हैं कि किसी भी तरह की सरकारी मीटिंग में नहीं जा रहे हैं।'

अधिकारियों की इस राजनीतिक बयानबाज़ी और गतिविधियों पर हम 6 सवाल पूछ रहे हैं-

मुख्य सचिव के साथ कथित मारपीट का मामला अदालत के संज्ञान में है, जांच और सुनवाई चल रही है, बावजूद इसके अधिकारी मुख्यमंत्री से माफ़ी मांगने की मांग कर रहे हैं जो अनुचित है। अधिकारी ऐसा किसके इशारे पर कर रहे हैं? क्या अधिकारियों को कानून और न्यायालय पर भरोसा नहीं है?

सचिवालय में मंत्री के साथ हुई मारपीट को लेकर किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने एक शब्द भी बोला है? ऐसा क्यों? कहीं ऐसा तो नहीं कि अधिकारी भी इस षडयंत्र में शामिल हैं?
सर्विस रुल के मुताबिक सरकारी अफ़सर किसी भी तरह की राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं सकते, लेकिन वो ऐसा क्यों कर रहे हैं और किसकी शह पर कर रहे हैं?
ऐसे अफ़सरों के ख़िलाफ़ क्यों ना विभागीय कार्रवाई हो?
सरकारी परिसर और सरकारी कार्यालय का इस्तेमाल राजनीतिक बयानबाज़ी के लिए क्यों हो रहा है?
क्यों नहीं इन तमाम अधिकारियो की कॉल डीटेल्स की पड़ताल होनी चाहिए, आखिर पता तो चले कि इन अधिकारियों ने किस-किससे बात की है, इनके तार किन-किन भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से जुड़े हैं?
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिलीप पांडे ने कहा कि 'जिस तर्क के आधार पर अधिकारियों का अराजक हो चुका संगठन आरोप लगाकर सीएम और डिप्टी सीएम से माफ़ी की मांग कर रहा है वो एक राजनीतिक षडयंत्र से कम कुछ नहीं लग रह है।'

'आम आदमी पार्टी ये मांग करती है कि सचिवालय में मंत्री के उपर जो हमला हुआ था, उस हमले में ये माना जाए कि आईएएस एसोसिएशन शामिल रहा है और उनके ख़िलाफ़ आपराधिक षडयंत्र, सरकारी ऑफ़िस का ग़लत इस्तेमाल करने को लेकर मुकदमा दर्ज़ होना चाहिए, सर्विस रुल बुक में सेक्शन 7 में साफ़ लिखा है कि कोई भी अधिकारी सरकार की आलोचना नहीं कर सकता।'

'एक अधिकारी ने देश के प्रतिष्ठित अंग्रेजी अख़बार में पूरा लेख लिखते हुए यह कहा है कि वर्तमान सरकार चली जानी चाहिए। ये तो राजनीतिक बयान है और क्यों ना उस अधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए?

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