लोगों की सोच में मानव अधिकारों की रक्षा का भाव होना जरूरी : मुख्यमंत्री कमल नाथ

लोगों की सोच में मानव अधिकारों की रक्षा का भाव होना जरूरी : मुख्यमंत्री  कमल नाथ
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प्रदेश में जल का अधिकार कानून बनाने और नदियों के पुनर्जीवन का काम शुरु


मानव अधिकार आयोग के स्थापना दिवस पर हुई "जल का अधिकार-मानव अधिकार" संगोष्ठी

भोपाल । मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि सिर्फ कानून बनाने से मानव अधिकारों की रक्षा नहीं हो सकती। लोगों की सोच में मानव अधिकारों की रक्षा का भाव होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ जल मानव का अधिकार है। भविष्य में पानी को लेकर जो चुनौतियाँ हमारे सामने हैं, उससे निपटने के लिये राज्य सरकार ने 'जल का अधिकार' कानून बनाने के साथ ही नदियों को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई है। श्री कमल नाथ आज जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के 25वें स्थापना दिवस पर 'जल का अधिकार -मानव अधिकार' संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।






मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि संविधान में हर नागरिक के मानव अधिकारों को संवैधानिक दर्जा दिया गया है। मानव अधिकारों की रक्षा के लिए बहुत से कानून हैं लेकिन कानून के अलावा इन अधिकारों की रक्षा की मूलभूत सोच मानव स्वभाव में होना जरुरी है। उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों के प्रति लोगों में जागरूकता लाना होगी। जल एक मात्र ऐसी जरूरत है, जो विश्व के हर व्यक्ति और प्राणी को प्रभावित करती है। कमल नाथ ने कहा कि ब्राजील में हुए पृथ्वी सम्मेलन में भारत सरकार के पर्यावरण मंत्री के रूप में मैने पानी को लेकर भविष्य में आने वाली चुनौतियों की तरफ विश्व का ध्यान आकर्षित किया था और योजना प्रस्तुत की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में भविष्य में जल की चुनौतियों से निपटने के लिए हमने कारगर योजनाओं पर काम शुरु कर दिया है। नदियों को पुनर्जीवित करने के साथ ही पानी बचाने और संरक्षित करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। लोगों को हम जल का अधिकार देने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश जल और सहायक संसाधनों के रूप में धनी है। यहाँ वन, नदियाँ और तालाब काफी संख्या में उपलब्ध हैं। आवश्यकता इस बात की है कि हम जल संरक्षण को कैसे नई तकनीक से जोड़कर भविष्य के लिए पानी को बचा सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। बगैर सिंचाई के खेती की कल्पना भी नहीं कर सकते। पानी को बचाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि भावी पीढ़ी के लिए एक ट्रस्टी के रूप में काम करे और उसके लिए पर्याप्त जल भंडारण सुलभ कराने में अपना योगदान दे।






मध्यप्रदेश मानव आधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने मुख्यमंत्री कमल नाथ के 'जल का अधिकार -मानव अधिकार' कानून बनाने के निर्णय की सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी। जैन ने बताया कि इस कानून का मसौदा लगभग तैयार हो गया है। इसमें स्टेट वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी को पानी उपलब्ध करवाने और उससे जुड़े वित्तीय अधिकार प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में पर्याप्त मात्रा में शुद्ध और साफ जल उपलब्ध होने का उल्लेख है। न्याय मूर्ति जैन ने आयोग की गतिविधियों को रेखांकित करते हुए बताया कि आयोग ने अपनी स्थापना वर्ष से अब तक 2 लाख 70 हजार 286 शिकायतों में से 2 लाख 66 हजार 960 शिकायतों का निराकरण किया। उन्होंने बताया कि मानव अधिकार का मौके पर ही निराकरण करने के लिए 'आयोग आपके द्वार' योजना शुरु की गई है। इस योजना में 12 जिलों में सुनवाई की गई है। आयोग के सदस्य सरबजीत सिंह और श्री मनोहर ममतानी भी उपस्थित थे।





पोर्टल का लोकार्पण


मुख्यमंत्री कमल नाथ ने आयोग द्वारा आम लोगों को ऑनलाइन शिकायत करने के लिए बनाए गए पोर्टल का लोकार्पण किया। पोर्टल पर शिकायतकर्ता अपनी शिकायतों पर हुई कार्यवाही भी देख सकेंगे। मुख्यमंत्री ने जल पुस्तिका का भी विमोचन किया।

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