प्रदूषण फैलाने वालों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा : डॉ. हर्षवर्धन

प्रदूषण फैलाने वालों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा : डॉ. हर्षवर्धनThe Union Minister for Science & Technology, Earth Sciences and Environment, Forest & Climate Change, Dr. Harsh Vardhan addressing a press conference on Clean Air Campaign in Delhi, in New Delhi

नई दिल्ली : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज जोर देकर दोहराया कि दो सप्ताहों तक चलने वाला 'स्वच्छ वायु अभियान' कोई प्रतीकात्मक अभ्यास नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के स्तर में आमूल कटौती करने का एक गंभीर प्रयास है। उल्लेखनीय है कि स्वच्छ वायु अभियान दिल्ली में 10-23 फरवरी, 2018 तक चलेगा। पत्रकारों को संबोधित करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस समय एक सख्त संदेश देने की आवश्यकता है कि प्रदूषण हमारे आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी विषयों के मद्देनजर एक गंभीर समस्या है। इससे हमारी राष्ट्रीय छवि भी जुड़ी है। मंत्री महोदय ने कहा कि प्रदूषण स्तर में कमी लाने का प्रयास केवल इन्हीं दो सप्ताहों के दौरान नहीं किया जाएगा, बल्कि इस अभियान को पूरे वर्ष लगातार चलाया जाएगा।
केन्द्र और दिल्ली सरकार मिलकर दिल्ली में 10-23 फरवरी, 2018 के दौरान प्रदूषण के खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे। इस संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सीपीसीबी, दिल्ली सरकार, डीपीसीसी, नगर निगम और एनडीएमसी के अधिकारियों के 70 संयुक्त दल गठित कर लिए गए हैं। ये दल दिल्ली के सभी प्राशसनिक प्रभागों का दौरा करेंगे, प्रदूषण के कारणों की निगरानी करेंगे और उपचारात्मक उपाय करेंगे, इसके तहत प्रदुषण फैलाने वालों के विरुद्ध मौके पर ही दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान शामिल है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि देश के उच्च स्तर पर यह प्रतिबद्धता दोहराई गई है कि वायु प्रदूषण के मुद्दों का निपटारा किया जाएगा। दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के संबंध में बजट में भी विशेष प्रावधान किया गया है ।
मंत्री ने इस राष्ट्रीय प्रयास में सबको शामिल होने के अपील करते हुए कहा, 'हालात अब इस स्थिति पर पहुंच गए है, जहां प्रदूषण को लेशमात्र भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। प्रदूषण फैलाने वालों को अब कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।' उन्होंने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण को कम करना एक जनांदोलन बन जाना चाहिए तथा सरकार इसकी सफलता के लिए हर संभव कदम उठाएगी। डॉ. हर्षवर्धन ने मीडिया से आग्रह किया कि वह इस अभियान को समर्थन दे तथा लोगों में जागरुकता फैलाने में भूमिका निभाए।
मंत्री ने बताया कि दिल्ली में रोजाना 131 टन धूल पैदा होती है, जिस पर नियंत्रण करने मात्र से वायु प्रदूषण में भारी कमी लाई जा सकती है। दिल्ली-एनसीआर में बड़े पैमाने पर होने वाली निर्माण गतिविधियों से वायु प्रदूषण बढ़ता है। उन्होंने कहा कि वे पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दे पर जागरुकता पैदा करने के लिए अध्यापकों, छात्रों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से मुलाकात करते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हाल में 'ग्रीन गुड डीड्स' नामक एक राष्ट्रीय अभियान लांच किया गया है।

केन्द्र ने हवा में धूल कणों को रोकने के लिए नियमों को अधिसूचित किया है। इसका ब्यौरा इस प्रकार हैं-

1. जिन इमारती या संरचनात्मक परियोजनाओं के लिए पर्यावरण क्लीयरलेंस आवश्यक है, उन्हें धूल कणों को कम करने के उपायों सहित स्वीकृत पर्यावरण प्रबंधन योजना के बिना क्रियान्वित नहीं किया जाएगा।

2. निर्माण स्थलों से जुड़ी सड़कों को पक्का किया जाना अनिवार्य होगा।

3. धूल कणों में कटौती करने वाले उचित उपायों के अभाव में मिट्टी की खुदाई नहीं की जाएगी।

4. मिट्टी का ढेर या बालू या निर्माण मलबा या किसी प्रकार की निर्माण सामग्री को खुले में नहीं छोड़ा जाएगा।

5. इमारत की ऊंचाई के एक तिहाई आकार के बराबर और अधिकतम दस मीटर की ऊंचाई तक के विंड-ब्रेकर उपलब्ध कराए जाएंगे।

6. पानी के छिड़काव की व्यवस्था की जाएगी।

7. धूल कणों में कटौती करने के उपायों को निर्माण स्थल पर स्पष्ट रूप में प्रदर्शित करना होगा, ताकि लोग उसे आसानी से देख सकें।


अभियान के तहत वाहनों के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपाय, वाहन चालन अनुशासन और दिल्ली में बिजली संयंत्रों का निरीक्षण भी शामिल हैं ताकि प्रदूषण में कमी लाई जा सके।

केन्द्र और राज्य सरकारों के अलावा इस अभियान में दिल्ली पुलिस, शिक्षा संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों, उद्योगों, प्रमुख औद्योगिक इकाइयों, आवासीय कल्याण संघों, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों इत्यादि को भी शामिल किया जाएगा।

अधिकारियों के अधिकृत दल मैदानी सर्वेक्षण करेंगे। इसके अलावा प्रदूषण में कमी लाने के लिए अभियान के दौरान संगोष्ठियों का आयोजन भी किया जाएगा। इनमें वायु प्रदूषण एवं स्वास्थ्य कार्यशाला, वायु प्रदूषण रोकने वाली प्रौद्योगिकियों, गैर-सरकारी संगठनों, सिविल सोसायटी, नागरिकों इत्यादि का सहयोग लिया जाएगा। अभियान के दौरान राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के पर्यावरण मंत्रियों का सम्मेलन भी आयोजित होगा।

दैनिक प्रगति का जायजा लेने के लिए सीपीसीबी में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाएगा, जो केन्द्र और राज्य सरकारों के साथ अपनी रिपोर्ट साझा करेगा और सुधार का सुझाव देगा।

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