ममता बनर्जी की जीत पर भाजपा की छाया

ममता बनर्जी की  जीत पर भाजपा की छाया
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ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने गत 29 जनवरी को हुए दो उपचुनावों में विजय श्री जरूर हासिल की है लेकिन भाजपा ने जिस तरह से विपक्षी दलों-माकपा और कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया है, उससे उनकी चिंता भी बढ़ गयी है। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में वाममोर्चे से सत्ता छीनी थी और वामपंथियों की नीति की आलोचना करके ही उन्होंने जनता को अपने पक्ष में किया था। कांग्रेस वहां काफी पहले हाशिए पर आ चुकी है और पुरानी कांग्रेसी होने के नाते ममता बनर्जी को उससे निपटना भी अच्छी तरह आता है लेकिन अब दक्षिणपंथी कही जाने वाली भाजपा उनके मुकाबले में आ गयी है। भाजपा का जनाधार लगातार बढ़ रहा है। राज्य भर में अब संघ की शाखाएं भी दिखाई पड़ने लगी हैं। ममता बनर्जी ने इसीलिए पिछले कुछ समय से हिन्दूधर्म की चर्चा करना भी शुरू कर दिया है और गंगासागर मेले को उन्होंने महाकुंभ स्नान का दर्जा देने की केन्द्र सरकार से मांग की थी। राज्य के अल्पसंख्यकों को (मुसलमानों) के बल पर ममता बनर्जी सत्ता में आयी थीं लेकिन अब उन्हें हिन्दू कार्ड भी खेलना पड़ेगा।
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने उत्तर 24 परगना जिले की नोआपाड़ा सीट कांग्रेस से छीन ली है जब कि हाबड़ा जिले कि उलुबेड़िया लोकसभा सीट के उपचुनाव में उसने अपना कब्जा बनाये रखा है। इन दोनों सीटों पर भाजपा प्रत्याशी ही दूसरे नम्बर पर रहा है। तृणमूल कांग्रेस के मुख्य प्रतिद्वन्द्वी मानी जाने वाली माकपा और कांग्रेस के प्रत्याशी तीसरे और चैथे नम्बर पर पहुंच गये हैं। नोआपाड़ा में तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी सुनील सिंह ने भाजपा के संदीप बनर्जी को 63018 मतों से पराजित किया है। इसी प्रकार उलुबेड़ि़या लोकसभा सीट से तृणमुल कांग्रेस के साजदा
अहमद ने भाजपा प्रत्याशी अनुपम मलिक को 4.74 लाख से अधिक मतों से हराया है। राज्य की दोनों सीटों पर माकपा तीसरे स्थान पर रही है और कांगे्रस चैथे नम्बर पर खिसक गयी है इससे साफ जाहिर होता है कि राज्य के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का मुख्य मुकाबला भाजपा से ही होगा।
उलबेड़िया से तृणमूल सांसद सुलतान अहमद और नोआपाड़ा से कांग्रेस विधायक मधुसूदन घोष का निधन होने से इन दोनों सीटों पर उपचुनाव हुआ है। उलबेड़िया तृणमूल कांग्रेस की अपनी सीट थी और इसके बाद भी भाजपा ने वहां दूसरा स्थान पाया है।
इसी प्रकार नोआपाड़ा में कांग्रेस को ठुकरा कर जनता ने भाजपा का साथ दिया है। उलबेड़िया में तृणमूल कांग्रेस ने सांसद सुलतान अहमद की पत्नी साजदा अहमद को प्रत्याशी बनाया था। इस प्रकार साजदा को अपने पति की मौत होने पर सहानुभूति का मत भी मिला है। इसलिए वहां सत्तारूढ़ दल को बढ़त मिलने पर किसी को आश्चर्य नहीं हो रहा था लेकिन मतगणना के समय जब यह खबर मिलती थी कि भाजपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर है तो भाजपा कार्यकर्ता मुस्करा रहे थे। वामपंथी कार्यकर्ता सोच रहे थे कि बदली हुई परिस्थिति में यदि उनका प्रत्याशी दूसरे स्थान पर भी आता है तो उनके लिए राहत की बात होगी लेकिन मतगणना के अंत तक वाममोर्चे को यह राहत नहीं मिल सकी।
माकपा को नोआपाड़ा में भी निराशा का सामना करना पड़ा। यहां पर इससे पूर्व भाजपा और माकपा के बीच ही टक्कर होती रही है। कभी भाजपा आगे निकलती थी तो कभी माकपा। इस बार माकपा के गार्गी चटर्जी को सिर्फ 35 हजार के लगभग मत मिल पाये और भाजपा के संदीप बनर्जी को 38 हजार 711 वोट मिले हैं। इस प्रकार भाजपा आगे निकल गयी है। इसी तरह उलबेड़िया लोकसभा क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस भी साजदा आहमद को 7 लाख 67 हजार 556 वोट मिले और भाजपा के अनुपम मलिकने भी 2 लाख 93 हजार 46 वोट हासिल कर लिये। माकपा के शबीरूद्दीन मोल्ला को एक लाख 38 हजार 892 वोट मिल पाये। यहां भी माकपा प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशी से काफी पीछे रह गया है। कांग्रेस प्रत्याशी तो काफी पीछे चले गये और मुकाबलों में वहीं दिखते ही नहीं है। सुश्री ममता बनर्जी की यही असली चिंता है। माकपा और कांग्रेस से मुकाबला करने में उन्हें कोई परेशानी नहीं हो रही थी लेकिन अब भाजपा से मुकाबले के लिए उन्हें हिन्दू कार्ड खेलना पड़ रहा है। इससे उन्हें खतरा भी है क्योंकि उनका अल्पसंख्यक वोट भड़क सकता है।
ममता गढ़ेंगी सोनार बांग्ला
ममता बनर्जी नेे एक तरफ जहां हिन्दुओं की पैरोकारी शुरू की है और गंगासागर मेले को कुंभ का दर्जा देने की बात कही, वहीं उनके वित्तमंत्री डा. अमित मित्रा ने 2018-19 के लिए घाटे का बजट पेश किया और बजट में ग्राम बोग्ला के विकास पर जोर दिया गया हैं। ग्रामीण बंगाल को सोनार बांग्ला में बदलने का लक्ष्य रखा गया हे। बजट में स्कूल शिक्षा, कन्या समृद्धि एवं कृषि व सामाजिक विकास पर जोर दिया गया है। बजट में कहा गया है कि राज्य में 8.92 लाख लोगों को रोजगार दिया जाएगा। लड़कियों की शादी के लिए एक मुश्त 25 हजार रूपये देने की रूपश्री योजना है।
वित्तमंत्री डा. अमित मित्रा ने वर्ष 2018-19 के लिए 214958 करोड़ रूपये खर्च करने की घोषणा की है जबकि पिछले वर्ष के बजट में 64733 करोड़ रूपये ही आवंटित किये गये थे। स्कूल शिक्षा विभाग को सबसे अधिक 24721.90 करोड़ और ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के लिए 19063.22 करोड़ रूप्ये आवंटित किये गये है। सामाजिक विकास की योजनाओं पर 63338 करोड़ रूपये खर्च किये जाएंगे। इसके साथ ही कृषि एवं संबंधित योजनाओं पर 5069 करोड़ से ज्यादा खर्च करने की घोषणा हुई है। ममता बनर्जी ने कहा कि यह किसानों का बजट है। किसानों के लिए वृद्धा पेंशन में वृद्धि करने की घोषणा हुई है। कृषि के लिए जमीन खरीदने पर म्यूटेशन फीस नहीं लगेगी वरिष्ठ किसानों को प्रतिमाह 750 रूपये की दी जा रही पेंशन को बढ़ाकर एक हजार रूपये कर दिया गया है।
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव होने है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन चुनावों को सेमीफाइनल मान रही हैं। हालांकि राज्य के दो उपचुनावों ने उन्हें आश्वस्त किया है लेकिन भाजपा का प्रभाव जिस तरह बढ़ रहा है, उससे इस बात की आशंका है कि पंचायतों में भाजपा के प्रत्याशी बड़ी संख्या में जीत दर्ज करेंगे। इस प्रकार ममता बनर्जी को भाजपा का भय बना हुआ है। इसे वे खुलकर भले ही नहीं कह पा रही हैं लेकिन भाजपा की छाया उनकी सत्ता पर स्पष्ट दिखाई दे रही है।

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