कोरोना को लेकर भ्रम व भय

कोरोना को लेकर भ्रम व भय

लखनऊ। अनुमान किसी भी अनुसंधान से पहले की प्रक्रिया है। इसलिए कोरोना जैसी घातक और धोखेबाज महामारी को नियंत्रित करने के लिए दुनिया भर में 140 प्रयोगशालाओं में इसका वैक्सीन तैयार किया जा रहा है। भारत की प्रयोगशालाओं में भी तैयारी चल रही है। गत 8 जुलाई को ही खबर आयी थी कि हैदराबाद की प्रयोगशाला में कोरोना का वैक्सीन तैयार हो गया है और उसका ह्यूमन ट्रायल भी शुरू हो गया है। देश के स्वतंत्रता दिवस अर्थात 15 अगस्त तक उसे लांच कर दिया जाएगा। इस वैक्सीन के ट्रायल में लगभग 14 दिन का गैप देना पड़ता है, इसलिए स्वाभाविक है कि दो तीन ट्रायल में ही एक महीना निकल जाएगा। अब कहा जा रहा है कि अभी वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल ही नहीं शुरू हुआ है। कोरोना वायरस को लेकर भी यह कहा जा रहा है कि अलग अलग देशों में इसके प्रभाव अलग अलग हैं। कोरोना की टेस्टिंग के बारे में लोगों को भय लगता है। कोरोना पाजिटिव पाये जाने के बाद भर्ती होना जरूरी हो जाता है। इसके बाद उस परिवार पर मुसीबत का पहाड़ ही टूट पडता है। जांच के लिए नमूना लिया जाता है। उसकी रिपोर्ट जब तक नहीं आ जाती, तब तक सांसें तेज चलती रहती हैं । निगेटिव रिपोर्ट आ गयी तो जैसे लाटरी निकल आयी हो लेकिन पाजिटिव रिपोर्ट आ गयी तो उसे भी अस्पताल वास में भेज दिया जाता है। अभी कुछ दिन पहले यूपी की योगी सरकार ने घोषणा की थी कि घर-घर जांच करायी जाएगी। इसके बाद लोग फिर बेचैन दिखे कि पता नहीं कैसे जांच होगी लेकिन घर घर जांच में टेम्परेचर देखा जा रहा है। ब्लड प्रेशर, शुगर आदि के बारे में भी जानकारी ली जाती है। इस प्रकार जांच को लेकर जो डर था, वो खत्म हो गया। बीमारी को लेकर अभी डर है। सबसे ज्यादा उन लोगों में डर है जो चिकित्सालय से जुड़े हैं। बीमारियाँ और परेशानियां और भी हैं। लोग उनके इलाज के लिए भी अस्पताल जाते हैं। निजी अस्पतालों का रवैया तो और भी संवेदनाहीन हो गया है। पहले इन अस्पतालों में दामाद की तरह स्वागत होता था लेकिन अब आशंका भरी निगाहों से देखा जा रहा है कि कहीं कोरोना पाजिटिव तो नहीं है। घर-घर हो रही जांच में लोगों को ऐसी पर्ची या सर्टिफिकेट दे दिया जाए तो अस्पताल में दूसरी बीमारी का इलाज कराने जाने पर कोई घूर-घूर कर आशंका भरी निगाहों से तो नहीं देखेगा? घर-घर जांच करने वाले स्वास्थ्यकर्मी अपनी जांच रिपोर्ट तो कम्प्यूटर में फीड करवा सकते हैं । इसे कोरोना टेस्टिंग के नाम से सेव कर दें और जिसको जरूरत पड़े, वो चेक कर ले कि फलां व्यक्ति कोरोना पाजिटिव है अथवा नहीं है। इस प्रकार भ्रम की स्थिति दूर हो जाएगी और लोगों का भय भी समाप्त हो जाएगा। चिकित्साकर्मियों को इससे बहुत सहूलियत रहेगी और वे मरीज को बिना किसी हिचक के अटेण्ड करेंगे।

दुनिया भर में कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए इसके वैक्सीन की खोज जारी है। इसी बीच 9 जुलाई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि भारत बायोटेक और कैडिला हेल्थकेयर कोरोना के टीके विकसित कर चुके हैं। दोनों टीकों के अनुमोदन के बाद जानवरों पर इसके ट्रायल और स्टडी को पूरा कर लिया गया है। डीसीजीआई ने चरण 1 और 2 नैदानिक परीक्षणों में जाने के लिए इन 2 टीकों को अधिकृत किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने कहा अभी इनका ह्यूमन ट्रायल शुरू होना है। आशा है कि यह जल्द ही शुरू होगा। कोरोना वैक्सीन के लिए 15 अगस्त तक की समय सीमा तय करने वाले आईसीएमआर डीजी के पत्र पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने सफाई दी। राजेश भूषण ने कहा कि पत्र में सेफ्टी से समझौता न करते हुए केवल क्लीनिकल ट्रायल तेजी से करने की बात कही गई है। कोरोना वायरस के हवा से फैलने की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि यह उभरती हुई परिस्थिति है। इस मामले में डब्ल्यूएचओ से आ रही जानकारी पर मंत्रालय और अधिकारी नजर बनाए हुए हैं। वैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक के पत्र के मुताबिक, पहले फेज के ट्रायल में 28 दिन का वक्त लगेगा। यानी अगर 18 तारीख से पहला ट्रायल शुरू होता है तो 15 अगस्त तक उसका पहला ट्रायल ही पूरा हो पाएगा। बता दें कि भारत की फार्मास्यूटिकल कंपनी भारत बायोटेक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर कोविड-19 की संभावित वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू करने वाली है। पहले ट्रायल में सफलता मिली तो दूसरे और तीसरे स्टेज में पटना एम्स के डॉक्टर और वैक्सीन बनाने वाली कंपनी के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और वैज्ञानिकों की टीम के नेतृत्व में ट्रायल होगा।

वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल को लेकर कंपनी भारत बायोटेक का कहना है कि आज अगर किसी को वैक्सीन लगाई जाती है तो उसे इस वैक्सीन की दूसरी डोज 14 दिन के बाद ही दी जाएगी। इस लिहाज से पहला फेज पूरा होने में 28 दिन का समय लगेगा। ऐसे में 3 अगस्त को वैक्सीन का पहला फेज पूरा किया जा सकेगा। इस तरह अभी कोरोना वैक्सीन के बारे में अपेक्षा करना ही व्यर्थ है लेकिन इसके प्रति भ्रम और भय को जरूर दूर करना होगा। ऐसा करने से ही हम कोरोना के साथ लम्बे समय तक जी सकते हैं।

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच राज्यों में अब फिर से कुछ दिनों का लॉकडाउन लगाया जाना शुरू कर दिया गया। गत 9 जुलाई को देर रात कोविड-19 और अन्य इंफेक्शन वाले रोगों का संक्रमण रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 10 जुलाई से 13 जुलाई तक राज्य में लॉकडाउन से मिलती-जुलती पाबंदियां लागू करने का फैसला किया है। कोरोना संक्रमण रोकने का यह भी एक उपाय है। पश्चिम बंगाल सरकार ने भी कुछ ऐसा ही फैसला किया है। इसके साथ ही बिहार में पटना समेत कुछ जिलों में लॉकडाउन लगाने का निर्णय लिया गया है। केरल की राजधानी तिरवनंतपुरम समेत कुछ क्षेत्रों में संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान किया गया है। इन राज्यों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे थे। बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण से पिछले 24 घंटे के दौरान नौ और लोगों की मौत हो गई। राज्य में इस महामारी से अब तक कुल 109 लोगों की मौत हुई है। साथ ही, संक्रमण के कुल मामले बढ़ कर 13,978 हो गये।

उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोविड-19 के और 17 मरीजों की मौत हो गई, जबकि संक्रमण के 1,206 नये मामले सामने आने के बाद प्रदेश में इसके कुल मामले बढ़ कर 32,362 हो गये हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमित 17 और लोगों की मौत के साथ इस महामारी से मरने वाले लोगों की कुल संख्या बढ़कर 862 हो गई है। उन्होंने जानकारी दी थी कि इस दौरान प्रदेश में संक्रमण के 1206 नये मामले सामने आए हैं। प्रदेश में इलाजरत मरीजों की कुल संख्या 10,373 है। इसके अलावा अब तक 21,227 मरीज पूरी तरह ठीक हो कर घर जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 32,362 लोग संक्रमित हुए हैं। पश्चिम बंगाल में 9 जुलाई को एक दिन में सबसे ज्यादा 1,088 लोगों में कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया और रिकॉर्ड 27 मरीजों की मौत हुई। वहां के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि राज्य में कोविड-19 के कुल मामले 25,911 पहुंच गए और मृतकों की संख्या 854 हो गयी। स्वास्थ्य विभाग ने बुलेटिन में बताया कि जान गंवाने वाले 27 में 24 मरीजों को पहले से ही कोई गंभीर बीमारी थी जिससे उनकी मौत हुई और उनको कोरोना वायरस का संक्रमण भी हो गया था। बुलेटिन में बताया गया है कि पिछले 24 घंटे में संक्रमण से उबरने के बाद अलग-अलग अस्पतालों से 535 मरीजों को छुट्टी दी गई है। राज्य में संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या 8,231 है। पश्चिम बंगाल में एक हफ्ते का लॉकडाउन चल रहा है। मध्यप्रदेश में भी एक ही दिन कोरोना वायरस संक्रमण के 305 नए मामले सामने आए। इन आंकड़ों से चिंता पैदा होना स्वाभाविक है। कोरोना से जो संक्रमित हैं,उनके प्रति सहानुभूति है। कोरोना से जिनकी मौत हो गयी, उनके लिए दुख है लेकिन जो लोग जीवित हैं, उनको कोरोना के भय और भ्रम से मुक्ति मिलना चाहिए।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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