आज ही के दिन 1945 में अमेरिका ने किया था पहला परमाणु बम परीक्षण

आज ही के दिन 1945 में अमेरिका ने किया था पहला परमाणु बम परीक्षण
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आज ही के दिन 74 साल पहले अमेरिका ने न्यू मेक्सिको के रेगिस्तान के अलामागोर्दो के निकट जंगलों में 1945 को सुबह 5 बजकर 29 मिनट 45 सैकेंड पर पहला परमाणु बम का विस्फोट किया था। ट्रिनिटी टेस्ट कहे जाने वाले इस परीक्षण से हाइड्रोजन बमों की ताकत की पुष्टि हुई थी। ये यह बम अमेरिकी सेना ने दूसरे वल्र्डवॉर के दौरान तैयार किया गया था। इस परमाणु बम को बनाने का प्रयास 1939 से ही चल रहा था। जे.रॉबर्ट आइजनहॉवर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन करके महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता पर शोध किया और अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी यानी त्रिदेव। रॉबर्ट के नेतृत्व में 1939 से 1945 के बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया और अमेरिका में 16 जुलाई 1945 को पहला परमाणु परीक्षण करने दुनिया की दशा और दिशा बदल दी। परमाणु ऊर्जा से मानव ने निश्चित ही विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ, लेकिन हमारे पास हिरोशिमा और नागासाकी के विध्वंस की बरसी और त्रासदी का इतिहास भी है। तीन सप्ताह बाद हिरोशिमा और नगासाकी पर ये बम गिराए गए थे। इसके बाद 1949 में सोवियत संघ ने भी अपने पहले परमाणु बम का विस्फोट किया था। इसके बाद रूस और अमरीका के बीच परमाणु होड़ी शुरू हो गयी थी।

प्रशांत महासागर में क्रिसमस द्वीप के ऊपर परमाणु बम फोड़ कर ब्रिटेन ने 1952 में परमाणु क्लब के दरवाजे पर दस्तक दी थी। इसके बाद 1954 में अमरीका ने प्रशांत महासागर में मार्शल द्वीप के पास एक बड़ा परमाणु परीक्षण किया था। ब्रेवो नामक इस परीक्षण में 15 मेगाटन का बम फोड़ा गया था और इसका असर जापान पर पड़ा था, जिसके हर्जाने के रूप में अमरीका ने जापान को डेढ़ करोड़ डॉलर दिए थे।

अमेरिका ने 1957 में लाॅस वेगास से 100 मील दूर एक पहाड़ी सुरंग में अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया था। 1974 में भारत ने पहला भूमिगत सर्वेक्षण किया था। मई 1998 में भारत ने राजस्थान में पोखरन में पाँच परमाणु बम फोड़े थे। पाकिस्तान ने भी कुछ ही दिन बाद चगाई पहाड़ियों में तीन भूमिगत परमाणु परीक्षण किए थे।

यह आश्चर्य वाली बात है कि गीता पढ़कर दुनिया का आधुनिक परमाणु बम बनाया गया और आज दुनिया के पास हजारों जीवित परमाणु बम हैं जिसके बल पर धरती से सैकड़ों बार जीवन को नष्ट किया जा सकता है। चिंता की बात तो यह है कि अब परमाणु बम उन मुल्कों के पास भी हैं, जिनमें जरा भी सह-अस्तित्व भी भावना नहीं है।

आधुनिक युग में परमाणु सिद्धांत और अस्त्र के जनक जॉन डाल्टन को माना जाता है, लेकिन उनसे भी 2,500 वर्ष पर ऋषि कणाद ने वेदों में लिखे सूत्रों के आधार पर परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। भारतीय इतिहास में ऋषि कणाद को परमाणु शास्त्र का जनक माना जाता है। आचार्य कणाद ने बताया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं। कणाद प्रभास तीर्थ में रहते थे। उल्लेखनीय है कि विश्वामित्र ऋषि सभी देवी और देवताओं के लिए अस्त्र-शस्त्र का निर्माण करते थे।

इतिहासकार टीएन कोलेबु्रक ने लिखा है कि अणुशास्त्र में आचार्य कणाद तथा अन्य भारतीय शास्त्रज्ञ यूरोपीय वैज्ञानिकों की तुलना में विश्वविख्यात थे।

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