रविदास मंदिर का मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट में

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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर ढहा दिये गये दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित रविदास मंदिर का मामला एक बार फिर शीर्ष अदालत के समक्ष पहुंच गया है। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व मंत्री प्रदीप जैन ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कहा है कि न्यायालय के समक्ष मंदिर से जुड़े तथ्य सही तरीके से नहीं रखे गये है। याचिकाकर्ताओं ने पूजा के अधिकार को एक संवैधानिक अधिकार बताते हुए इस अधिकार को संरक्षित करने की न्यायालय से मांग की है। याचिका में मंदिर के पुनर्निर्माण कराने तथा मूर्ति को दोबारा स्थापित करने की अनुमति देने का अनुरोध भी किया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह मंदिर 600 साल पुराना है, तो दिल्ली विकास प्राधिकरण इसका हकदार कैसे हो सकता है।


ज्ञात हो कि तुगलकाबाद स्थित संत रविदास का मंदिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जीडीए ने तोड़ा गया है, जिसके बाद से विरोध प्रदर्शन का दौर चल रहा है। उसी दिन पंजाब से आए कुछ लोगों के समूह ने दिल्ली में जमकर बवाल किया था। विरोध के समर्थन में दिल्ली के भी हजारों लोग सड़कों पर उतर आये थे। रामलीला मैदान में रैली के बाद करीब बीस हजार लोग लाठी-डंडा, सरिया, चिमटा लेकर सड़क पर उतरे। पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों से जुटी भीड़ ने मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए तुगलकाबाद का रुख किया। भीड़ कनॉट प्लेस, मंडी हाउस, इंडिया गेट, निजामुद्दीन, आश्रम, मोदी मिल होते हुए अंबेडकर नगर तक गई। अंबेडकर नगर में संत रविदास मार्ग पर पुलिस से भिड़ंत भी हो गई थी।

सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में संत रविदास मंदिर तोड़े जाने की घटना पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन इसके बावजूद ऐसा तेजी से हो रहा है। कुछ दिन पहले बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने इसकी निंदा करते हुए सरकार से इसका पुनर्निर्माण करने को कहा था। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि इस घटना से बहुजन समाज के संतों के प्रति हीन व जातिवादी मानसिकता साफ झलकती है। एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने केंद्र और दिल्ली सरकार से कोई बीच का रास्ता निकालने और मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की मांग की थी।

विधानसभा सदन में संत रविदास मंदिर तोड़े जाने पर सीएम केजरीवाल ने कहा कि मंदिर तोड़े जाने का दुख है। मंदिर वहीं बनना चाहिए। इस पर कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं। वे ऐसा न करें। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा 12 से 15 करोड़ लोगों की भावनाओं से जुड़ा है। केंद्र सरकार इसे ध्यान में रख कर फैसला ले। केंद्र सरकार यह 4-5 एकड़ जमीन मंदिर के लिए दे दे, मैं इसके बदले 100 एकड़ वन विकसित कर केंद्र सरकार को दे दूंगा। दिल्ली सरकार इस मामले में पार्टी नही है, मगर मैं अनुरोध कर रहा हूं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पुनर्विचार करे। केजरीवाल ने कहा कि यदि केंद्र सरकार 4-5 एकड़ जमीन दे देती है तो हम वहां संत रविदास का भव्य मंदिर बनवाएंगे। इसके लिए जितने पैसे खर्च करने पड़ेंगे तो हम करेंगे। केजरीवाल ने कहा कि मंदिर की जमीन के लिए केंद्र सरकार को फिर से कोर्ट जाना चाहिए। यदि ऐसा संभव नही है तो संसद में इस बारे में प्रस्ताव पास किया जाना चाहिए। रविदास मंदिर तोड़े जाने के बाद दिल्ली विधानसभा में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के विधायकों द्वारा संत रविदास मंदिर विध्वंस मामले में भाजपा के खिलाफ नारेबाजी करने से हंगामे जैसा माहौल रहा था।


दिल्ली में आम आदमी पार्टी और पंजाब की कांग्रेस सरकार समेत भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणी अकाली दल ने भी मंदिर ढहाए जाने की आलोचना की और डीडीए को इसका दोषी ठहराया, जो केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के अधीन आता है।

पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने लिखा कि सरकार मंदिर के मामले में सावधानी से काम लेती है तो फिर गुरु रविदास जी के तुगलकाबाद प्राचीन मंदिर को क्यों तोड़ा गया? क्या इस पवित्र मंदिर को इसलिए तोड़ा गया क्योंकि गुरु जी के भक्त दलित हैं, परन्तु गुरु जी तो सभी के हैं।

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक ट्वीट में लिखा कि तुगलकाबाद स्थित प्राचीन मंदिर स्थल पर गुरु रविदास 1509 में खुद आए थे और मेरे पिता बाबू जगजीवन राम ने इसका जीर्णोद्धार कर एक मार्च 1959 को इसका उद्घाटन किया था।

जानकारों की मानें तो 15वीं सदी में हुए संत रविदास से दिल्ली में लोदी वंश के सुल्तान रहे सिकंदर लोदी ने दीक्षा ली थी। इसके बाद उन्हें तुगलकाबाद में 12 बीघा जमीन दान दी थी, जिस पर यह मंदिर बना था। यह भी माना जाता है कि 1509 में जब संत रविदास बनारस से पंजाब की ओर जा रहे थे तो उन्होंने इस स्थान पर आराम किया था। कुछ यह भी कहते हैं कि यह मंदिर संत रविदास की याद में साल 1954 में बनवाया गया था।

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